चिकित्सकों की सलाह, मानसून सीजन में सजग रहें, लापरवाही से बचे

पेशेवर चिकित्सकों के लिए कमाई का सीजन
रायपुर। मानसून के आते ही सर्दी, खांसी, बुखार, हाथ-पैर दर्द, वायरल फीवर, टांसिल, नेत्र रोग, छोटी-बड़ी चोट या दुर्घटना आदि की आशंका बढ़ जाती है। इस क्रम में शारीरिक तौर पर कमजोर व्यक्ति ज्यादा प्रभावित होता है। स्वभाविक तौर पर चिकित्स्कों के लिए यह सीजन लाभकारी होता हैं।
गर्मी खत्म होते ही वर्षा ऋतु का आगमन। कमजोर शरीर वाला व्यक्ति यकायक मौसम परिवर्तन को सहन नहीं कर पाता। बारिश में भीग कर वह सर्दी, खांसी, वायरल बुखार, टांसिल या हाथ-पैर दर्द से ग्रसित हो जाता है। संक्रमण काल के लिए सजग होना जरूरी है पर अक्सर व्यक्ति लापरवाही के चलते शिकार बनता है।
मानसून काल में फिसलने की संभावना बनी रहती है नतीजन छोटी-मोटी चोट लगती ही रहती है। दुर्घटना की आशंका भी होती है। तेज रफ्तार से वाहन चलाने पर सड़क में मिट्टी होने पर वाहन फिसल जाता है। कई बार घनघोर बारिश में विपरीत दिशा से आ रहा वाहन नहीं दिखता। ऐसे फुटपाथ पर कीचड़ रहता हैं। ऐसे हालात बनने पर दुर्घटना तय है लिहाजा सावधानी बेहद जरूरी हैं।
शहर के सह्रदयी प्रवृत्ति के चिकित्सकों का कहना है कि- बारिश में बीमार पड़ना आम बात है। या चोटिल,घायल होना। चिकित्सा जगत के लिए यह मौसम कुछ ज्यादा मरीज जुटाना है। पेशेवर चिकित्सकों के लिए लाभकारी रहता है। मौसम आधारित रोग एवं सामान्य दुर्घटना आदि को सम्हालना या इनका इलाज करना पेशेवर चिकित्सकों के लिए बांये हाथ का खेल रहता है। केस बढ़ जाने से स्वाभाविक है कि कमाई बढ़ेगी। पर नेक चिकित्सक सही सलाह देते हैं।
कुछ चिकित्सक नाम ना छापने की शर्त पर कहते हैं कि- अगर इस मौसम का बगैर बीमार हुए लुफ्त उठाना है तो- बारिश में ज्यादा न भीगे। बाहर खुले में बिक रही खाद्य सामग्री के सेवन से बचे। पानी गर्म (उबालकर) पीए। आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक इस्तेमाल से यथासंभव बचे। भोजन गर्म एवं ताजा ले, मच्छरों से बचे। वायरल पीड़ित से दूर रहें। भोजन-नाश्ता हल्का ले। चाय-काफी पीए तो गर्म पीए। वहन चलाते समय सावधानी बरतें। ऊंचाई वाले स्थानों यथा पहाड़, पेड़, ऊंची दीवारों, पर चढ़ाई ना करें। तबीयत खराब हो तो अपने परिवारिक चिकित्सक से सलाह-मशविरा करे। घर- कपड़े को साफ सुथरा रखें।