ई. रिक्शा बेलगाम, रोकने-टोकने किसी की जिम्मेदारी नहीं …!

ई. रिक्शा
यातायात पुलिस वाले इन पर चालानी कार्रवाई भी नहीं कर पा रहे हैं। दस्तावेज, कागजात तक की जांच का नियम नहीं है। लिहाजा धड़ल्ले से किशोर,युवा, अधेड़ आयु वर्ग के लोग चालाक बन गए हैं।
रायपुर न्यूज : राजधानी रायपुर समेत प्रदेश के तमाम जिलों में ई रिक्शा की बाढ़ सी आ गई है। खासकर रायपुर में, हर चौक-चौराहों पर, हर 5 मिनट में दर्जनों ई रिक्शा निकलते नजर आते हैं। सवारी के नाम पर अघोषित टैक्सी स्टैण्ड खुद से बना रखे हैं। जबकि ई. रिक्शा एक जगह कायदे से खड़े करना चाहिए।
जब से लोन पर बड़ी आसानी से बैंकिंग समूह एवं फाइनेंस कंपनियों ई रिक्शा उपलब्ध करा रही है, तब से इनकी तादाद लगातार बढ़ते जा रही है। दरअसल इसे खरीदना जितना आसान है, उतना ही चलाना सरल है। झंझट वाली बात नहीं है। जो युवक-युवती या व्यक्ति कभी दुपहिया नहीं चलाए वह भी ई. रिक्शा आसनी से चला सकते हैं। महिला चालकों की संख्या भी एका एक बढ़ रही है।
ई. रिक्शा चूंकि बिजली से चार्ज होता है। लिहाजा डीजल, पेट्रोल के महंगा होने का कोई असर नहीं पड़ता, बिजली भी कम खपत होती है। फिर आधा दर पर बिजली बिल भुगतान ने इसे और बढ़ावा दिया है। इसमें मेंटेनेंस पर सिर्फ पंचर का ध्यान रखना है। आसानी से 8 सवारी लेकर दौड़ रहे हैं, जबकि ई. रिक्शा में चार सवारी अधिकतम का नियम है। राजधानी समेत तमाम जिलों में इसकी संख्या पिछले डेढ़ साल में तिगुनी, चौगुनी हो गई है। अनुमान है कि राजधानी में चार पहिया वाहन (कार) की तुलना में ई. रिक्शा अधिक है।
यातायात पुलिस वाले इन पर चालानी कार्रवाई भी नहीं कर पा रहे हैं। दस्तावेज, कागजात तक की जांच का नियम नहीं है। लिहाजा धड़ल्ले से किशोर,युवा, अधेड़ आयु वर्ग के लोग चालाक बन गए हैं। जब इनकी तादाद बढ़ गई है, तो शहर की सड़कों पर जगह कम पड़ गई है। सवारी के चक्कर में कहीं भी रोक कर स्टैंड बना ले रहे हैं। हल्की होने, एक बार में स्टार्ट होने के साथ तेज से निकल जाने वाली ई.रिक्शा सड़कों पर जाम का कारण बन गई है। चौक-चौराहों पर खड़ी ई. रिक्शा पर आप आपत्ति जताते हैं, तो चालक लड़ने- मारने, पीटने या गाली -गलौज पर उतर आते हैं। इनके मनमाने पन पर लगाम, पुलिस वाले, और यातायात पुलिस वाले नहीं लगा पा रहे हैं। यहां बता देना जरूरी होगा कि ई. रिक्शों की पहल महानगरों को, साफ-सुथरी, अच्छी सड़कों के लिए की गई थी।
आज राजधानी में शास्त्री चौक, अंबेडकर अस्पताल, एम्स, कालीबाड़ी चौक, फाफाडीह चौक, रेलवे स्टेशन रोड, जयस्तंभ चौक, आमापारा, आमानाका, महोबा बाजार, टिकरापारा, पचपेढ़ी नाका, तेलीबांधा एवं संबंधित चौक-चौराहों पर यातायात जाम होते रहता है। प्रशासन हर बार कार्रवाई होगी यह कहकर पल्ले झाड़ लेता है। तमाम चौक पर सिग्नल के साथ कैमरे लगे हैं। जिससे तेज गति वाले दुपहिया, चार पहिया, वाहन सिग्नल तोड़ने वाले वाहन चालक पकड़ में आ रहे हैं। उन्हें ई. चालान भेजा जा रहा है। पर ई. रिक्शा वालों पर रोक-टोक हेतु शायद कोई जिम्मेदार नहीं है। यही वजह है कि ई. रिक्शा बेलगाम बने हुए हैं।