छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 : दलों के प्रत्याशियों को गैर राजनैतिक कार्यकर्ताओं का टोटा रहेगा ..!

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 :
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 : चुनाव के कारण दशहरा-दिवाली, छोटी दिवाली फीकी रहेंगी.
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 : छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव दो चरणों में पड़ है। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 एक चरण दीपावली बाद तो दूसरा दीपावली गोवर्धन पूजा उपरांत। दलों द्वारा प्रत्याशियों की घोषणाएं जारी है- दोनों चरणों के पहले दशहरा भी है। उधर ऐन मतगणना के वक्त छोटी दीवाली एक (जेठाऊनी यानी देवउठनी एकादशी) रहेगी। ऐसे में आशंका है कि दलों के गैर राजनैतिक कार्यकर्ता या किराए -भाड़े पर उठाए जाने वाले कार्यकर्ताओं का कहीं टोटा न पड़ जाए। या फिर दशहरा-दीपावली उत्सव का माहौल कमतर या फीका न हो जाए। देखे …!
आदर्श चुनाव आचार-संहिता लगते ही मतदान की तिथि घोषित कर दी गई है। जो 7 एवं 17 नवंबर को होनी है। महज 2 दिन बाद 13 अक्टूबर से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। जिसके तीन-चार दिन बाद नामांकन वापस लेने की तिथि। इस बीच पितर पाख यानी पितृ पक्ष का समापन होगा। तो तुरंत बाद शारदीय नवरात्रि पर्व। पूरे 9 दिन का उत्साह। ठीक इसी के मध्य दलों के प्रत्याशी चुनाव प्रचार-प्रसार हेतु कूच कर चुके होंगे। तो वहीं नवरात्रि अष्टमी के पहले नामांकन वापसी हेतु मौका रहेगा।
देखें ज्यादातर लोग 14अक्टूबर को पितर विदा कार्यक्रम में मशगूल (लगे) होंगे। इसके तुरंत बाद 15-16 से नवरात्र शुरू होते ही उपवास पूजन-पाठ कार्यक्रम अधिकतर घरों में। इसी समय नामांकन भरने का दौर रहेगा। स्वाभाविक है कि प्रत्याशी कुछ कार्यकर्ताओं को साथ लेकर गाजे-बाजे के साथ नामांकन भरने जाएगा। चुनाव प्रचार- प्रचार हेतु अब निकलने का दौर शुरू होगा तो कितनी गैर राजनैतिक कार्यकर्ता मिलेंगे। किराए-भाड़े में लेगे तो आजकल सुबह-दोपहर, शाम-रात 4 शिफ्ट में खाली पीली बच्चे, युवा, किशोर, महिलाएं, नवरात्र- दशहरा के बीच कितने मिलेंगे। चलो कुछ काम चलाऊ मिल भी गए तो एक और कार्य अड़ंगा लगा रहा है।
नवरात्रि समाप्ति पर कन्या भोज। जिसके बाद दशहरा हेतु रावण मारने-देखने जाने वाले लोग। फिर मात्र 20-21 रह गए दीपावली के लिए। घर-घर साफ -सफाई, रंगाई पुताई। घरों में काम काज तो वही लोग खुद भाड़े या किराए पर साफ-सफाई, ठेका के लिए श्रमिक मजदूर ढूंढेंगे। तो वहीं हजारों लाखों किशोर,युवा,अधेड़ रंगाई-पुताई से कुछ कमाई करने निकल पड़ेंगे। उधर खेतों पर धन पकने पर गांव वाले, किसान ध्यान देने लग जाएंगे। ऐसे में तमाम दल गैर राजनैतिक कार्यकर्ता कितना ढूंढ पायेगे। या कि भाड़ा-किराया, मजदूरी पारिश्रमिक ज्यादा मांगा जाएगा।
दशहरा से दीपावली के बीच तमाम व्यवसाय व्यापार काम धंधे ,हाट- बाजार में तेजी रहेगी। उठाव रहेगा। लिहाजा अस्थाई कर्मचारी रखने पड़ेंगे तो वहीं हजारों लाखों लोग मौके पर फुटकर धंधा, व्यापार करने बाजार फुटपाथ पर बैठेंगे। ऐसे में फिर कार्यकर्ता कम मिलेंगे।
उपरोक्त तमाम स्थितियों को लेकर देखे तो विधानसभा प्रत्याशियों को गैर राजनैतिक कार्यकर्ताओं का टोटा पड़ सकता है। या फिर भारी मशक्कत करनी पड़ेगी। जो दल से जुड़े हैं। उनके घरों पर भी त्यौहारी काम-धंधा रहेगा। वे लंबी दूरी के चुनाव प्रसार के लिए कन्नी काटेंगे। समझदार- सजग प्रत्याशी, दल अभी से जुटी जा रहे हैं। बाद में दशहरा-दीपावली मनाने अच्छी कमाई हेतु मौका देख गैर राजनैतिक कार्यकर्ता भाव बढ़ा देंगे। तब चुनाव खर्च भी बढ़ेगा। यानी कुल जमा प्रत्याशी की परेशानी बढ़नी है। जेब ढीली होनी है। कार्यकर्ताओं का टोटा रहेगा। अगर उक्त कार्यकर्ता चुनाव में लगते हैं तो दशहरा-दीपावली, एकादशी (जेठउनी ) पर्व फीका रहेगा !
(लेखक डॉ. विजय )