बेटियों का मायके की ओर रुख, बसों ट्रेनों में खचाखच भीड़

तीजा-पोरा पर रिवाज, भाई-पिता,मामा,चाचा लेने पहुंच रहे
रायपुर। राजधानी समेत प्रदेश भर की निजी यात्री बसों में एवं लोकल व एक्सप्रेस ट्रेनों में इन दिनों भीड़ बढ़ गई है। तीज पर्व मनाने मायके जाने वाली बेटियों को घर ले जाने भाई-बंधु, मामा, चाचा, पिताजी आदि उनके ससुराल पहुंचने लगे हैं।
अगर जरूरी कार्य न हो तो फिलहाल कुछ दिनों के लिए यात्रा टाल दें। दरअसल तीज पर्व करीब है। पोला (पोरा) 14 एवं तीजा 18 सितंबर को पड़ रहा है। छत्तीसगढ़ में रिवाज मुताबिक बेटियों को मायके लिवाने (लाने) उनके छोटे-बड़े भाई, पिता, मामा, काका, या ममेरे, फुफेरे भाई बेटी के ससुराल पहुंचते हैं। ऐसे में यात्री बसों ट्रेनों में खचाखच (भीड़) वाली स्थिति रहेगी।
बेटियां इस मौके की फिराक (ताक) में रहती है। दरअसल साल में यह एक मात्र अवसर होता है जब उन्हें अपने मायके हफ्ते भर जाने के लिए रिवाज मुताबिक आवश्यक तौर पर मिलता है।
बहरहाल बेटियों को समय पर मायके लाने उनके मायके पक्ष लोग (परिजन) पहुंचने लगे हैं। अगर मायके पक्ष में उपरोक्त पुरुष वर्ग में कोई नहीं है या किन्हीं कारणों से नहीं जा पाते तो पास-पड़ोस के समाज के किसी सदस्य को भेज देते हैं। कई बार एक ही गांव की कई बेटियां दूसरे एक ही गांव में संयोग से ब्याही रहती है। तो ऐसे में कोई एक के सगे-रिश्तेदार आकर सौजन्यता वश अन्य बेटियों को (मायके) लिवा लाते हैं। मौके पर नाती-नातिन भी आते हैं। हर उम्र की महिला मायके जाती है खैर ! इस पर्व के चलते यात्री बसों में पिछले दो दिनों से भीड़ बढ़ गई है। जिसमें लगातार बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही हैं। हालत यह है कि बसों में सीट नहीं है तो खड़े-खड़े जा रहे हैं। बस ऑपरेटरों ने अपने तमाम चालकों-परिचालकों की छुट्टियां निरस्त कर दी हैं। उन्हें अतिरिक्त कमीशन कुछ दिनों तक दिया जा रहा है। ट्रेनों में भी भीड़ बढ़ गई है। आधा दर्जन लोकल, पैसेंजर, एक्सप्रेस ट्रेनों को रेलवे फिर चलाने लगा है। जिन्हें जरूरी कार्य वश रदद् कर दिया था।
(लेखक डॉ. विजय)