अब रो रहे जार-जार, शर्म के मारे नहीं जा पा रहे हाट-बाजार

0 कोविड -19 के चलते घर बैठे 3 बरस परीक्षा देने वाले कर्णधारों का कमजोर हुआ आधार
रायपुर। राज्य के स्कूल एवं उच्च शिक्षण संस्थाओं से तैयार हो रहे हमारे, कर्णधारों को शिक्षा सत्र 2020, 21 एवं 22 बड़ा शानदार लगा था। आमजन कोविड-19 को दुत्कार रहे थे- तो कर्णधार सराह रहे थे। और अब वही कर्णधार जार- जार हो रो रहे हैं।
कोविड-19 के चलने व चलते भारी मजबूरियों -दबावों के बीच 3 वर्ष 2020, 21, 22 में ज्यादातर स्कूल एवं विश्वविद्यालयों में परीक्षा केंद्रों में नहीं हुई थी। विद्यार्थियों ने घर बैठ कॉपी -पुस्तक की कुंजी गाइड खोल देख-लिख कर परीक्षा दी। पूरी उत्तर पुस्तिका नकल मार -मार कर भर डाली थी। सबके उत्तर- जवाब ए- टू -जेड 100 फीसदी एक -से थे। लिहाजा परीक्षा नतीजे भी उसी तरह यानी 100 प्रतिशत के करीब रहा। सब के सब पास।
तब कक्षा बारहवीं, कॉलेज, फर्स्ट, सेकंड ईयर या कि जो जिस कक्षा या ईयर में था -वह विद्यार्थी गदगद दिखता रहा, कोविड -19 को सराहते हुए, यहां तक कहते देखे गए बाप जन्म में ऐसी परीक्षा नहीं दी। कोविड -19 बने रहे हर बरस ऐसे ही परीक्षा होती रहे। हालंकि आमजन जिन्होंने अपने परिजनों को अकाल खो दिया -वो कोविड -19 फटकारते -दुत्कारते रहे।
बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाती- बरस 2023 को आने से कोविड-19 थोड़े रोक पाता। वह तो जाना ही था। जैसे -तैसे गया (थोड़ा रह गया) तो वर्ष 2023 की परीक्षा स्कूल- कॉलेज, विश्वविद्यालय में केंद्रों पर हुई। यानी कोविड-19 पूर्व वाली स्थिति में। तो फिर नतीजा भी तब के वर्षों की तरह 30- 40- 45 या 50- 55 प्रतिशत आ रहा है। कई का तो और भी गिरा हुआ। कर्णधारों को पता नहीं चला – कब उनका आधार कमजोर पड़ गया शायद हमेशा के लिए ?
बहरहाल अब जब वास्तविकता से दो -चार होना पड़ रहा है- कर्णधारों को अपनी औकात पता चल रही है, तो रो रहे हैं- जार -जार। शर्म के मारे नहीं जा पा रहे मां- बाबूजी संग हाट- बाजार। शर्म तोआनी चाहिए, पहले तीन कक्षाओं में 80-90 प्रतिशत अंक और अब 25-30 प्रतिशत भी नहीं ला पाये। पहले मेरिट, अब डिमेरिट फेल। बड़े बुजुर्गों की सलाह नहीं मानने का असर देख लें कर्णधार शिक्षाविद चिल्लाते रहे -घर से परीक्षा मत लो -मत लो – पर नेता को वोट से मतलब, कह दिया- जैसी शिक्षा (ऑनलाइन घर बैठे) वैसी परीक्षा ऑनलाइन (घर बैठे) भुगते अब विद्यार्थी। नेता नवंबर -दिसंबर में उक्त 3 वर्षो 2020, 21, 22 में पास कराने का भुगतान (वोट) मांगने चले आएंगे। कर्णधार को खोटा सिक्का बनाकर। खोटा सिक्का (फेल कर्णधार) बाजार में थोड़े चलेगा।