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वैज्ञानिकों ने की अनोखी रिसर्च, डॉग्स बताएंगे इंसानों में तनाव है या नहीं

Raipur News:

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Raipur News: कनाडा में डलहौजी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा जर्नल फ्रंटियर्स इन एलर्जी में प्रकाशित शोध के अनुसार, पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी) के लक्षणों से जूझ रहे लोगों को कुत्तों की क्षमताओं से फायदा हो सकता है।

Raipur News: किसी भी इंसान में तनाव की शुरुआत का पता लगाना मुश्किल है। परंतु कनाडा के वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने ऐसा तरीका खोजा है, जिसमें यह संभव हो सकता है।

दरअसल, कनाडा के डलहौजी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने शोध में पाया कि प्रशिक्षित श्वान (कुत्ते) इंसान को सूंघकर उसमें तनाव की शुरुआत को पहचान सकते हैं। वैज्ञानिक अब कोशिश करेंगे कि बुजुर्गों के साथ रहने वाले श्वानों (कुत्तों) को खास तौर से इसके लिए प्रशिक्षित किया जाए। जिससे तनाव की पहचान समय पर की जा सके।

अध्ययन से नई जानकारी मिली

कनाडा के डलहौजी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के फ्रंटियर्स इन एलर्जी जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक पोस्ट ट्रू मैरिक स्ट्रेस डिसॉर्डर (पीटीएसडी) के लक्षणों के साथ संघर्ष कर रहे लोगों को श्वानों की क्षमता का लाभ मिल सकेगा। क्वींस स्कूल ऑफ साइकोलॉजी में पीएचडी छात्र क्लारा विल्सन ने बताया कि 25 प्रशिक्षित श्वानों में से प्रयोग के लिए 4 श्वानों चुने गए। दोनों तनाव और गैर-तनाव वाली सांस के नमूनों का अंतर करने में 90 प्रतिशत कामयाब रहे। तनाव का शुरुआत में पता चलने से इसके निदान में मदद मिल सकती है श्वान उन वाष्पशील जैविक पदार्थो को सूंघना सीख सकते हैं, जो पीटीएसडी से संबंधित है।

अलग-अलग गंध

क्वींस स्कूल ऑफ साइकोलॉजी में पीएचडी की छात्रा क्लारा विल्सन ने कहा, जब हम तनावग्रस्त होते हैं, तो पसीना और सांस अलग-अलग गंध पैदा करते हैं। कुत्ते तनाव औरआराम की गंध के बीच आसानी से अंतर कर सकते हैं।

(लेखक डा. विजय )

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