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Falgun Amavasya 2024 : फाल्गुन अमावस्या पर इन उपायों से पितरों को तर्पण देकर पितृदोष से मुक्ति पाएं

Falgun Amavasya 2024 :

Falgun Amavasya 2024 : फाल्गुन अमावस्या 9 मार्च को है, सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत महत्व है। अमावस्या तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है, इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने की परंपरा है।

Falgun Amavasya 2024 : यह फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाएगा। फाल्गुन अमावस्या 9 मार्च को है, सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत महत्व है। अमावस्या तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है, इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने की परंपरा है। पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की 15वीं तिथि को अमावस्या कहा जाता है। फाल्गुन अमावस्या के दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, जिसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं और अपने पितरों को जल अर्पित करते हैं। फिर अपनी क्षमता के अनुसार दान करते हैं। जो लोग अपने पितरों को तर्पण देना चाहते हैं वे अमावस्या स्नान के बाद काले तिल, कुशा और जल से भी तर्पण कर सकते हैं।

Phalgun amavasya today do these upaya to get rid of shani dosha and pitra dosha today - फाल्गुन अमावस्या 2019 : आज करें शनि और पितृदोष से छुटकारा पाने के ये उपाय,

फाल्गुन अमावस्या पर स्नान और दान करने से पुण्य मिलता है। जो लोग फाल्गुन अमावस्या पर स्नान और दान करना चाहते हैं वे उस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर सकते हैं। इसके अलावा पूरे दिन साध्य योग बन रहा है, जो स्नान और दान आदि के लिए अच्छा है। अमावस्या का दिन पितृ तर्पण, श्राद्ध और शिव पूजा के लिए बहुत शुभ माना जाता है, इसलिए इसे पितरों या पितरों का दिन भी कहा जाता है। फाल्गुन अमावस्या बहुत खास होती है, क्योंकि इससे एक दिन पहले महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि फाल्गुन अमावस्या पर देवताओं का वास संगम तट पर होता है। इस दिन गंगा स्नान करने से जीवन के सभी प्रकार के दोष दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

On this Pitru festival on Falgun Amavasya on March 2, ancestors get satisfaction by taking holy bath and offering water in Peepal. | फाल्गुन अमावस्या 2 मार्च को: इस पितृ पर्व पर

पितृ दोष क्यों लगता है?

परिवार के सदस्यों का उचित अंतिम संस्कार या श्राद्ध नहीं होता है। अकाल मृत्यु और पितरों का अपमान। शुभ कार्यों में पितरों को याद न करना। पीपल, नीम या बरगद के पेड़ काटना या कटवाना। जब कुंडली के नवम भाव में सूर्य और राहु की युति होती है तो पितृ दोष का निर्माण होता है।

पितृ दोष जीवन को बर्बाद कर देता है। पितृ दोष से पीड़ित परिवार कभी समृद्ध नहीं होता। पितृ दोष के कारण व्यक्ति को कदम-कदम पर दुर्भाग्य का सामना करना पड़ता है। घर में हमेशा आर्थिक तंगी बनी रहती है। कड़ी मेहनत के बावजूद भी फल नहीं मिल पाता है। संतान संबंधी सुख आसानी से नहीं मिलता। गर्भपात या गर्भधारण करना बहुत कठिन होता है। अधिक परेशानियां, करियर में बार-बार रुकावटें आती हैं।

पितृ दोष होने पर करें ये उपाय

अमावस्या के दिन किसी गरीब व्यक्ति को भोजन कराएं। अमावस्या के दिन पीपल का पेड़ लगाएं और उस पेड़ की सेवा अवश्य करें। अमावस्या के दिन पितरों के लिए तर्पण, श्राद्ध और दान करें। इससे पितर तृप्त होते हैं, उनके कष्ट कम होते हैं और उनका क्रोध दूर होता है। यदि पूरी गीता पढ़ना संभव न हो तो सातवां अध्याय अवश्य पढ़ें। पीपल के पेड़ पर मीठा जल दें और सरसों के तेल का दीपक जलाएं।

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