घर-घर सर्वे, फिर क्यूं राशन, गरीबी, आयुष्मान कार्ड नहीं बन रहा
विसंगति : केवल महिला के नाम राशन कार्ड, अकेले पुरुष कैसे बनवाए ? कोई बताए…
रायपुर। नगर निगम आम जनता की सेवा में इन दिनों ऑनलाइन जुटा (ऑफलाइन नहीं) हुआ है। बावजूद इसके चूक पर उसका ध्यान नहीं है। राशन, गरीबी, आयुष्मान कार्ड, बनाने घर-घर सर्वे टीमें लगाई गई हैं, जिन्हें समुचित मानदेय दिया जा रहा है, परंतु उचित प्रशिक्षण के अभाव में वे लोगों से गलत तरीके से पेश आ रहे हैं। उनकी मानिटरिंग भी नहीं हो रही है।
निगम को उपरोक्त कार्य 2 वर्ष पूर्व कर लेना था (कोरोना बाद) उसे फिलहाल 1-2 माह से किया जा रहा है। खैर ! देर आए पर दुरुस्त आये ! जी हां ! निगम के पदाधिकारी, अधिकारी दावा करते-फिरते हैं कि शहर के तमाम वार्डों में शिविर लगाकर, सर्वे करवाकर ऑनलाइन राशन कार्ड, गरीबी रेखा कार्ड, आयुष्मान कार्ड, आदि बना कर घर बैठे दे रहे हैं। चूक देखें…!
राशन कार्ड उसी का बन सकता है जो परिवार का हिस्सा हो। यानी पत्नी के नाम, महिला के नाम से ध्यान रहे पुरुष के नाम से नहीं बनता। जहां कोई अकेला अविवाहित युवक पुरुष (एकल परिवार एक तरह से) है उसका राशन कार्ड नहीं बनाया जा रहा है। ऐसे दर्जनों केस (मामले) निगम 2 वर्षों में नहीं सुलझा पाया है। राशन कार्ड नहीं है तो आयुष्मान कार्ड नहीं बनेगा। खूबचंद बघेल स्वास्थ्य कार्ड नहीं बनेगा। ऐसे में यदि उपरोक्त युवक -पुरुष बीमार (वास्तव में है) पड़ जाए तो उसका इलाज मुफ्त नहीं हो सकता। (मुफ्त नहीं हो रहा इलाज) अस्पताल प्रबंधन आयुष्मान कार्ड लाओ कहते हैं। यदि स्थल (अस्पताल) पर बनवाना है तो राशन कार्ड लेकर आओ। राशन कार्ड नहीं है, कहने पर अस्पताल हाथ खड़ा कर लेते हैं। आधार कार्ड बेस (आधार) पर नहीं बनता, आयुष्मान प्लस राशन कार्ड। कई लोग 2 वर्षों से बीमारी झेल-बढ़ा रहे हैं।
बहरहाल सर्वे के लिए लगाई गई टीमों को देखें तो तकरीबन सौ प्रतिशत महिलाएं ज्यादातर स्कूली शिक्षा वाली जिन्हें समझाओ सवाल करो तो कहती हैं – हमको नहीं निगम में जाकर बोलो। जब कहते हैं आपकी ड्यूटी है सर्वे -ततसंबंधी शिकायत दर्ज कर आप (महिला कर्मी) जाकर निगम पहुंचाए- राय लेकर आएं तो कहती हैं यह हमारा काम नहीं हैं। उन्हें निगम बगैर प्रशिक्षण भेज रहा है। वे भी खानापूर्ति कर इतिश्री कर मानदेय वसूल रही हैं। पूर्वान्ह 10:30 से शाम 4 बजे तक वार्ड में आराम से घूमेंगी। फिर हाट-बाजार करते घर वापसी। (यानी कार्यालयीन अवधि 10 से 5 बजे) में। अकेले व्यक्ति के यहां ताला लटका रहेगा। तो उसका नाम पता फोन नंबर पड़ोस से नहीं लेंगी। संपर्क नहीं करेंगी। अनुपस्थिति दर्शाकर इतिश्री। घर बैठे जो सेवा दी जा रही है। वह भी ऑनलाइन। निगम ऑफलाइन फोटो कापी प्रमाणित लेकर आफलाइन सेवा क्यों नहीं देता। गरीब व्यक्ति के पास इंटरनेट (एंड्रॉयड) मोबाइल कहां से आएगा। पार्षद कहते हैं राशन कार्ड मसले पर कलेक्टर से बात करें। क्यों करें। आपकी (पार्षद) जिम्मेदारी का फिर क्या हुआ कहते हैं, माफ करें पेचीदा केस है।