Mahadev Ghat Punni mela 2023 : पुन्नी मेला में लाखों लोग उमड़े, कार्तिक पूर्णिमा पर महादेव घाट में हजारों ने लगाई डुबकी किया दीपदान

Mahadev Ghat Punni mela 2023 :
Mahadev Ghat Punni mela 2023 : भगवान हाटकेश्वर को जल चढ़ाने के लिए भक्तों की कतार लगी रही
Mahadev Ghat Punni mela 2023 : कार्तिक पूर्णिमा पर आज सोमवार 27 नवंबर को महादेव घाट पर Mahadev Ghat Punni mela 2023 पुन्नी मेला लग रहा है। जिसमें एक से डेढ़ लाख लोगों के शामिल होने की संभावना है। इसके पूर्व सोमवार को अलसुबह से हजारों श्रद्धालुजन खारुन नदी स्थित महादेव घाट पहुंचे एवं डुबकी लगा स्नान किया सूर्य देव को अर्ध्य दिया फिर हाटकेश्वर भगवान के दर्शन कर जलाभिषेक किया। यह क्रम दिन भर चला।
नगर निगम एवं जिला प्रशासन समेत विभिन्न विभागों के समन्वित प्रयास से महादेव घाट, मेला स्थल की साफ-सफाई कर व्यापक व्यवस्थाएं मेले में शामिल होने वालों के लिए की गई है। स्नान बाद कपड़े बदलने महिलाओं, पुरुषों की अलग-अलग व्यवस्था कनात, टेंट लगाकर की गई है। जिनमें कनात के ही शेड लगाए हैं। प्राथमिक उपचार हेतु चिकित्सकों की टीम वहां अलग से बनाए टेंट में सुबह से बैठी है। तो इसी तरह नदी में दुर्घटना रोकने गोताखोरों को तैनात किया गया है।
माना जा रहा है कि शहर समेत आसपास के दर्जन भर गांवों से लाखों श्रद्धालु दिनभर पहुंचेंगे।अलसुबह स्नान करने वाले वाहनों ऑटो बाइक से सपरिवार,छोटे-छोटे जत्थों से आते देखे गए जिससे महादेव घाट रोड पर यातायात दिन चढ़ने के साथ बढ़ते गया। जो जाम की स्थिति बनी रही। ट्रैफिक पुलिस के जवान लगाए गए हैं।
मेला स्थल पर बच्चों के झूलने के लिए राइचुली, आधुनिक झूले, लगाए गए हैं। जिसका आनंद सुबह पूर्वान्ह से ही बच्चे किशोर उठाते देखे गए। मेले में मिठाई, पेठा, मिक्सर, सोनपापड़ी बिक रही है। नाश्ते पानी-चाय कॉफी के स्टाल अलग लगे हैं। तो वहीं महिलाओं के लिए साज-श्रृंगार की सामग्री हेतु मनिहारी की दुकाने, बच्चों के लिए खिलौने, पीतल के मनोहारी दीये, दीपक स्टैंड, अगरबत्ती स्टैंड, भगवान की धातु की मूर्तियां, बच्चो-बड़ों के कपड़े, महिलाओं के कपड़े, जूते-चप्पल की भीदुकानें सजी है। गन्ने के दर्जनों स्टाल लगे हैं। जिसका आनंद लेते हुए लोग मेला भ्रमण कर रहे हैं। ड्रैगन झूला, ट्रेन भी है। उधर गन्ने के साथ उखरा भी बहुत बिक रहा है। बहरहाल इस मेले का अपना ऐतिहासिक महत्व हैं। जिसका इंतजार लोग साल भर करते हैं। मेला चार-पांच दिन तक भरा रहता है।
(लेखक डॉ. विजय)