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प्रदेश भर में श्री कृष्ण जनमोत्स्व की आज धूम

मंदिरों समेत घरों पर भक्तों ने की साज-सजावट वैष्णव धर्मालंबी एवं साधुमार्गी गुरु को मनायेगे पर्व

रायपुर। राजधानी समेत समूचे प्रदेश में बुधवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व विधि-विधान पूर्वक मनाया जा रहा है। मंदिरों में विशेष साज-सजावट अलसुबह से शुरू हो गई है। ज्यादातर महिलाओं ने मौके पर परंपरागत तरीके से व्रत रखा हैं। दूसरी ओर वैष्णव धर्मालंबी एवं साधु संत कल गुरुवार जन्माष्टमी मनायेगे

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बुध को सुबह से कृष्ण भक्त महिला-पुरुषों ने स्नान ध्यान कर आराध्या का स्मरण कर व्रत शुरू किया। जो मध्य रात्रि 12 बजे तक जारी रहेगा। भगवान श्री कृष्ण के जन्म लेने के बाद उपवास तोड़ेंगे। घर-घर जन्माष्टमी की तैयारी सुबह से शुरू हो गई। भक्तों ने पूजा स्थल पर विशेष साज-सजावट कर रखी है। अपने आराध्य के लिए (लड्डू गोपाल वास्ते) बाकायदा झूला सजाया गया है। जन्म के बाद भक्त आराध्य को झूला झुलायेगे। बुधवार को अपरान्ह 3 बजकर 37 मिनट पर भादो पक्ष की अष्टमी लगेगी। देर रात 11बजकर 57 मिनट पर रोहणी नक्षत्र लग रहा है। लिहाजा मध्य रात्रि ठीक 12 बजे भगवान का जन्म होगा। कहा जा रहा है कि ग्रह-नक्षत्र, दिवस इस बार लगभग वैसा ही कुछ है जैसा द्वापर युग में था।

भगवान श्री कृष्ण प्रेमावतार - divya himachal

हाट-बाजार में जनमोत्स्व को लेकर श्रीकृष्ण-राधा के शृंगार संबंधी विविध चीजों का स्टाल जगह-जगह कई दिनों से लगा है। जिसमें मंगल-बुध को इजाफा दिखा। मोर पंख, परिधान, बांसुरी, गोवंश, प्रतीकात्मक, झूला, धोती-कुर्ता, घाघरा-चुनरी, लड्डू गोपाल, माला, दीप, पूजन सामग्री, मिठाई-मेवा दूध, दही से निर्मित विविध प्रकार की मिठाइयां,माखन-मिश्री, मटका आदि का स्टाल भरे पड़े हैं। बच्चों समेत बड़ों के लिए राधा-कृष्ण वाले परिधानों के स्टाल जगह-जगह लगे हैं। भक्तजन पसंद अनुरूप परिधान ले रहे हैं। जो 200 से 3000 रुपए तक भी हैं। जहां भक्तजन खरीदारी हेतु टूट पड़े हैं। इसी तरह भोग हेतु राइजीरा के लड्डू, मोतीचूर के लड्डू, पंजीरी (धनिया) सिंघाड़ा हलवा, तीखुर, विभिन्न प्रकार के फल, नारियल भोग (56 भोग) लगेंगे।

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राजधानी समेत प्रदेश के सभी मंदिरों में बुध रात्रि (मध्य) ही श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इस हेतु आकर्षक डेकोरेशन, विघुत साज-सजावट किया गया है। तो वहीं अंदर फूलों की लड़ियों से सजावट की गई है। श्री गोपाल मंदिर, गोपाल-कृष्ण मंदिर, राधा-कृष्ण मंदिर, इस्कॉन मंदिर समेत अन्य मंदिरों में भी मंदिर ट्रस्टी के सदस्य पदाधिकारी साज-सजावट एवं तैयारी में जुटे हुए हैं। उधर वैष्णव धर्मावलंबी एवं साधुमार्गी, अष्टमी पर्व कल पूर्वान्ह 10.30 तक रहने की वजह से पर्व गुरुवार की मनाएगी। दरअसल वे जन्मोत्सव पर अष्टमी पर पहले सूर्योदय जो गुरुवार अलसुबह होगा ओर पूर्वान्ह तक रहेगा। अतः वे गुरुवार को जन्माष्टमी मनायेगे। उसी दिन उपवास रखेंगे। हालांकि जन्म समय मध्य रात्रि यानी बुध-गुरु की दरम्यानी रात (बजे) को लेकर दोनों पक्ष एक मत हैं। दोनों पक्ष के भक्त जन्मोत्सव 12बजे ही मनायेंगे।

(लेखक डॉ. विजय)

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