Delhi School Bomb Threat: स्कूल के बच्चों ने ही दी थी स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी
Delhi School Bomb Threat: दिल्ली पुलिस ने स्कूलों में बम धमकियों को लेकर बड़ा खुलासा किया है। पुलिस का कहना है कि स्कूलों के बच्चों ने ही ये ईमेल भेजे थे। ऐसे तीन स्कूलों के बच्चे पकड़े गए है।
Delhi School Bomb Threat: राजधानी दिल्ली में स्कूलों में फर्जी धमकी मिलने के मामले में पुलिस ने बड़ा खुलासा किया है। पुलिस का कहना है कि कई स्कूलों में उन स्कूलों के बच्चों ने ही ईमेल के जरिए बम से उड़ाने की धमकी दी थी। फिलहाल, पुलिस ने 3 स्कूलों के बच्चों को काउंसलिंग के बाद छोड़ दिया है और उनके पैरेंट्स को भी समझाया गया है कि उनके बच्चे आगे से ऐसा न करें।
दरअसल, दिल्ली के रोहिणी स्थित वेंकटेश्वर ग्लोबल स्कूल को 29 नवंबर को एक धमकी भरा ईमेल मिला था। जिसमें स्कूल को बम से उड़ाने की धमकी दी गई थी। इसके बाद स्कूल को खाली करा दिया गया था और पुलिस ने घंटों तक जांच की थी। लेकिन, मौके से कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला था। इस मामले का खुलासा करते हुए पुलिस ने कहा कि जब साइबर सेल ने इसकी जांच की तो पता चला कि यह ईमेल स्कूल में ही पढ़ने वाले भाई-बहनों ने ही भेजा था। काउसलिंग के दौरान सातवीं कक्षा के इस बात का खुलासा किया है कि वे दोनों चाहते थे कि परीक्षा स्थगित कर दी जाए, क्योंकि उनकी तैयारी ठीक से नहीं हुई थी। जिसके चलते उन्होंने धमकी वाला मेल बनाकर भेज दिया।
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि काउंसलिंग के दौरान दोनों छात्रों ने खुलासा किया कि उन्हें ये आइडिया स्कूलों को बम की धमकी देने की पिछली घटनाओं से मिला था। छात्रों का समझाया गया है और उनके माता-पिता को चेतावनी दी गई। इसके बाद दोनों को छोड़ दिया गया।
पुलिस का कहना है कि इसी तरह से रोहिणी और पश्चिम विहार स्थित दो और स्कूलों में धमकी देने के मामले में उनके छात्रों को ही पकड़ा गया है। जिसमें उन्होंने यह बात कबूल की है कि उन्होंने ही धमकी भरे ईमेल स्कूल प्रबंधन को भेजे थे। इसकी भी वजह यही थी कि छात्र चाहते थे कि स्कूल बंद रहे। इसलिए उन्होंने मेल बनाकर भेज दिया था।
11 दिन में 100 से ज्यादा स्कूलों को मिली धमकी
बता दें कि पिछले 11 दिनों में 100 से ज्यादा स्कूलों को बम से धमकी मिली है। पुलिस की जांच में यह पाया गया है कि ये धमकी वाले ईमेल वीपीएन (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) के माध्यम से भेजे गए थे। जिसकी वजह से अपराधियों का पता लगाना मुश्किल हो गया था। हालांकि, तीन स्कूलों में धमकी देने वालों के नेटवर्क को ट्रेस कर लिया गया और फिर उन्हें समझाकर छोड़ दिया गया।