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PG Girls Hostel : 70 वार्डों में पीजी गर्ल्स हास्टल निगम- पुलिस को सबकी खबर नहीं …!

PG Girls Hostel :

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PG Girls Hostel : देर-शाम रात आना-जाना, घूमना -फिरना, नशा रोकने का कोई उपाय नहीं !

PG Girls Hostel : रायपुर। राजधानी में तमाम 70 वार्डों के मोहल्ले- कालोनियों में, पीजी गर्ल्स हास्टल चलाए जा रहे हैं। PG Girls Hostel परंतु मकान मालिक हास्टल में ना तो सुरक्षा गार्ड रखते और न ही पुलिस प्रशासन, नगर निगम को हास्टल संचालन की सूचना देते हैं। जिससे कभी भी वारदात-दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।

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नगर निगम रायपुर में अपना दायरा बढ़ा लिया है। पर उसकी तुलना में कर्मचारी नहीं रखे हैं। लिहाजा निगम शहर की समुचित मॉनिटरिंग नहीं कर पा रहा है। जैसे कि उसे सिर्फ सड़क, नाली, बिजली से मतलब है। बाकी संबंधित परिक्षेत्रों में मकान मालिक कौन है। किराएदार कितने हैं। पीजी गर्ल्स हास्टल है कि नहीं पता नहीं। है तो कितने लोग रहते हैं पता नहीं। संपत्ति कर मकान मालिक देता है- उपयोग कितने लोग कर रहे हैं पता नहीं।

इसी तरह संबंधित थाना पुलिस सुबह दोपहर शाम रात आटो मोबाइल वैन से राउंड लेकर इतिश्री कर लेती है। पर कभी रुक कर यह नहीं पूछती कि इस रोड या संपत्ति में कौन-कौन, परिवार रहते हैं। हास्टल है तो पंजीयन कराया है कि नहीं। पुलिस में सूचना दे रखी है कि नहीं पता नहीं रहता। मोहल्ले, कालोनी के गर्ल्स पीजी की लड़कियां, युवतियां देर शाम-रात, मध्य रात कहां से आ जा रही है। कोई पूछने वाला नहीं। देर रात पीजी के बाहर थोड़ी दूरी या चौक-चौराहे पर अंधेरी जगहों पर संदिग्धवस्था में खड़ी है तो भी कोई पूछने वाला नहीं।

पीजी संचालक किराएदारों से अच्छा किराया भाड़ा लेते हैं। पर गार्ड नहीं रखते कुछ रखते भी हैं तो युवतियां-लड़कियां चंद रुपए गार्ड को टिप देकर देर रात घूमने- फिरने निकल जाते हैं।

उधर आसामाजिक तत्व देर शाम-देर रात संदिग्ध अवस्था में हास्टलों के पास मंडराते रहते हैं पर मालिक या पीजी संचालकों को मतलब नहीं। कई जगह तो संचालक मकान मालिक अन्यत्र शहरों में रहते हैं। या दीगर मोहल्ले, कालोनी में उपरोक्त स्थिति का प्रभाव संबंधित इलाकों के माहौल पर पड़ रहा है। नशा करते युवक-युवतियां दिख जाएगे। ऐसे माहौल में जानलेवा मारपीट तक हो जाती हैं। उधर पुलिस-निगम का कहना है कि उसे लोग समुचित जानकारी नहीं देते। ठीक है। तो फिर पुलिस, नगर निगम घूमते-घूमते लोगों से क्यों नहीं कहती कि अगर कहीं आसपास या अगल-बगल पीजी संचालित है तो गोपनीय सूचना दे। या कि दोनों संस्थाएं घटना, वारदात हादसे का इंतजार कर रही हैं।

(लेखक डॉ. विजय )

 

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