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CM विष्णुदेव ने बड़ी घोषणा, अब गरीब परिवार भी खरीद सकेंगे महंगी दवाइयां

CG Health Report : आंबेडकर अस्पताल के डॉक्टर केवल 60 फीसदी जेनेरिक दवा लिखते हैं।

Ambedkar Hospital : आंबेडकर अस्पताल के डॉक्टर केवल 60 फीसदी जेनेरिक दवा लिखते हैं। एसएचआरसी यानी स्टेट हेल्थ रिसोर्स सेंटर के सर्वे में इसकी पुष्टि हुई है। डॉक्टर 40 फीसदी ब्रांडेड दवा लिखते हैं, जो बाहर मेडिकल स्टोर में महंगे दामों पर मिलती है। इसे खरीदने के लिए मरीज मजबूर हैं। यही नहीं जो जेनेरिक दवा डॉक्टर लिखते हैं, ज्यादातर मौकों पर दवा स्टोर से नहीं मिलती।

यानी छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन जरूरी दवाओं की सप्लाई करने में फेल है। इसके कारण न केवल आंबेडकर अस्पताल बल्कि प्रदेश के दूसरे मेडिकल कॉलेज अस्पतालों, जिला अस्पतालों, सीएचसी व पीएचसी में जरूरी दवाएं नहीं हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जेनेरिक दवाएं, ब्रांडेड जैसी ही प्रभावी है। बस मल्टीनेशनल कंपनियां व कुछ डॉक्टर लाॅबी इसे लेकर भ्रांतियां फैला रहे हैं। लोगों को भी लगता है कि जेनेरिक दवाएं सस्ती हैं, तो असर करेगी कि नहीं, इसे लेकर असमंजस में रहते हैं।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक में सरकारी अस्पतालों के सभी डॉक्टरों को जेनेरिक दवा लिखने का फरमान जारी किया है। पहले भी यह फरमान मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया व अब नेशनल मेडिकल कमीशन जारी कर चुका है। इसके बावजूद सरकारी मेडिकल कॉलेज व अस्पतालों के डॉक्टर जेनेरिक दवाओं के बजाय ब्रांडेड को प्राथमिकता दे रहे हैं।

आंबेडकर में मल्टी विटामिन से लेकर कई बार एंटी एलर्जिक टेबलेट सिट्राजिन उपलब्ध नहीं रहता। अभी स्टॉक में कुछ दवाएं हैं, जिसे मरीजों को बांटा जा रहा है। सर्दी, खांसी व बुखार के लिए डॉक्टर एंटी एलर्जिक, पैरासिटामॉल व खांसी की सीरप लिखते हैं। कई बार एंटी बायोटिक टेबलेट भी लिखते हैं। जब मरीज पर्ची लेकर पहुंचता है तो इनमें एक या दो दवा ही मिल पाती है। जब वह रेडक्रास व धनवंतरी मेडिकल स्टोर पहुंचता है तो वहां जेनेरिक दवा तो मिल जाती है। लेकिन जब वह निजी मेडिकल स्टोर पहुंचता है, तब उन्हें ब्रांडेड दवा दी जाती है। यह जेनेरिक से तीन से चार गुना महंगी होती है।

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