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Cyberbullying: साईबर बुलिंग का शिकार हो रहे बच्चे, जानें क्या हैं इसके दुष्परिणाम

Cyberbullying:

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Cyberbullying: खेलने-कूदने, पढ़ने-लिखने की उम्र में बच्चों की ऑनलाइन सक्रियता बढ़ने के साथ ही साइबर उत्पीड़न (साइबर बुलिंग) के मामले बढ़े हैं। बुधवार को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यू एचओ) की एक रिपोर्ट जारी हुई है।

Cyberbullying रायपुर से : खेलने-कूदने, पढ़ने-लिखने की उम्र में बच्चों की ऑनलाइन सक्रियता बढ़ने के साथ ही साइबर उत्पीड़न (साइबर बुलिंग) के मामले बढ़े हैं। बुधवार को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यू एचओ) की एक रिपोर्ट जारी हुई है ‘जिसमें स्कूल जाने वाले बच्चों में सेहतमंद आचरण’ में दावा किया गया है कि दुनिया के 44 देशों में हर छठवां बच्चा साइबर उत्पीड़न (साइबर बुलिंग) का सामना कर रहा है। चिंता की बात यह भी है कि इसमें दिनों-दिन बढ़ोत्तरी हो रही है।

साइबर बुलिंग के शिकार बच्चे

उक्त हालिया प्रकाशित रिपोर्ट बताती है कि 15 प्रतिशत बच्चे एवं 16 प्रतिशत बच्चियों ने महीने में एक बार साइबर उत्पीड़न का सामना किया है। रिपोर्ट अनुसार 11 से 15 वर्ष आयु समूह के 16 फ़ीसदी बच्चे 2022 में साइबर उत्पीड़न के शिकार बने। कोविड महामारी के दौर में बच्चों के एक-दूसरे के प्रति आचरण में बदलाव ला दिया है, जो चिंताजनक है इस दौरान बच्चों में अपने साथियों की वर्चुअल हिंसा का तेजी से चलन से बढ़ा। रिपोर्ट के अनुसार इन चार वर्षो में स्कूल में भी उत्पीड़न के मामले बढ़े हैं और करीब 11 फ़ीसदी बच्चों ने पिछले एक माह में दो से तीन बार उत्पीड़न की शिकायत की है जबकि चार वर्ष पूर्व ऐसी शिकायत 10 प्रतिशत थी। उत्पीड़न की शिकायतों के तहत अपमानजनक नाम रखना या संबोधित करना, झूठी और नकारात्मक खबर फैलाना, आपत्तिजनक तस्वीरें भेजना या मिलना निजी जानकारी और तस्वीरों को फैलाना आम है।

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट

इस बीच आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी समेत दो अन्य यूरोपीय यूनिवर्सिटीज के संबंधित अध्ययन में पाया गया कि बच्चे और वयस्कों में बैठने की घंटे बढ़कर 6 से 9 घंटे हो चुके हैं और बच्चे अब शारीरिक गतिविधियों से दूर हो रहे हैं। इस वजह से उनकी धमनियों का स्वास्थ्य बिगड़ रहा है और वे कठोर होती जा रही हैं। इसके चलते उनमें वसा जनित मोटापा, खून में कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर, सूजन, उच्च रक्तचाप और बड़े हुए दिल का खतरा बढ़ रहा है। इन कारणों से उनकी अकाल मौत का खतरा 47 फ़ीसदी बढ़ जाता है। अध्ययनों में यह भी पाया गया है कि साइबर उत्पीड़न का सबसे खतरनाक प्रभाव या बात यह कि प्रायः माता-पिता और शिक्षकों को भी नजर नही आता। पीड़ित बच्चों में आत्महत्या के विचार की प्रवृति चार गुणा बढ़ जाती है, जो अत्यधिक चिंतनीय पहलू है।

(लेखक डा. विजय)

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