Chhattisgarh News: प्रदेश दो माह में 328 लोगों को कुत्तों ने किया घायल, छत्तीसगढ़ मानवाधिकार आयोग का खुलासा
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Chhattisgarh News: राजधानी समेत प्रदेश में कुत्ता काटने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। पिछले बरस प्रदेश में औसतन 328 एवं राजधानी में 44 लोगों को रोज कुत्ता काटने की घटना हुई हैं।
Chhattisgarh News रायपुर। राजधानी समेत प्रदेश में कुत्ता काटने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। पिछले बरस प्रदेश में औसतन 328 एवं राजधानी में 44 लोगों को रोज कुत्ता काटने की घटना हुई हैं। ज्यादातर मामलों में आवारा यानी घुमन्तु कुत्तों के हमलों के शिकार लोग हुए हैं।
छत्तीसगढ़ राज्य मानवाधिकार आयोग के कार्यकारी अध्यक्ष गिरधारी नायक ने बताया है कि आयोग ने पिछले वर्ष कुत्ता काटने के मामलों की स्वतः स्वस्फूर्त’ जानकारी एकत्रित की। प्रदेश के जिला अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से प्रकरण एकत्रित करने, वेकिसनेशन व इलाज के संबंध में जानकारी ली गई।1 जनवरी 23 से 31 दिसंबर 23 तक की अवधि में समूचे प्रदेश में घुमन्तु कुत्ते एवं पालतू कुत्तों के काटने की कुल 1,19,327 घटनाएं दर्ज की गई। आंकड़ों के मुताबिक रायपुर में सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। जहां हर रोज औसतन 44 लोग (करीब चार दर्जन) शिकार हुए, तो वही प्रदेश में 328 लोग रोजाना।
बच्चों को खतरा ज्यादा
आवारा कुत्ता मवेशियों को भी अपना शिकार बनाते हैं और इनसे बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा रहता है। यदि कोई बच्चा अकेला मिल जाए, तो उसे गंभीर रुप से घायल कर सकते हैं।
अधिकारी सिर्फ अभियान चलाने की कहते हैं बात
नगर पालिका अधिकारी सिर्फ अभियान चलाने की बात करते हैं, लेकिन कुत्तों को पकडऩे के प्रयास नहीं होते हैं। कुत्तों की नसबंदी न होने से दिनों-दिन इनकी संख्या बढ़ती जा रही है।
नायक ने बताया कि भारतीय मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम की धारा (2) के तहत मानव अधिकारों के संरक्षण के लिए जागरूकता का दायित्व। छत्तीसगढ़ राज्य मानवाधिकार आयोग का है। पालतू व घुमन्तु कुत्तों के काटने से कई आमजन जीवन के अधिकार से वंचित हो जाते हैं। सुबह-शाम या टहलते या रात में लौटते वक्त कुत्ते भौंकते व काटते हैं, तो मानवाधिकार का खुले आम उल्लंघन होता है। यहां नायक ने यह नही बताया कि कुत्ता काटने से प्रभावित, पीड़ित को किसी तरह की क्षतिपूर्ति या आर्थिक मदद कुछ उक्त क्रम में मिलती है या नही। ऐसा कुछ प्रावधान है या नही।