Mon. Jul 21st, 2025

Chhattisgarh News: रायपुर अंबेडकर अस्पताल में इलाज के मध्य नवजात को ब्लड कैंसर की पुष्टि

Chhattisgarh News:

Chhattisgarh News: बच्चे का इलाज करने वाले पीडियाट्रिशियन के अनुसार मेडिकल हिस्ट्री में 10 लाख नवजात में से किसी एक को यह बीमारी होने की जानकारी मिलती है। एक से लेकर 10 वर्ष तक के बच्चों में ल्यूकेमिया के केस बहुत मिलते हैं।

Chhattisgarh News रायपुर। अंबेडकर अस्पताल में एक नवजात शिशु को ब्लड कैंसर का एक प्रकार से ल्यूकेमिया की पुष्टि हुई है। नवजात में यह बीमारी काफी रेयर है।

उक्त बच्चे का इलाज करने वाले पीडियाट्रिशियन के अनुसार मेडिकल हिस्ट्री में 10 लाख नवजात में से किसी एक को यह बीमारी होने की जानकारी मिलती है। एक से लेकर 10 वर्ष तक के बच्चों में ल्यूकेमिया के केस बहुत मिलते हैं। बच्चे की बायोप्सी समेत जरूरी जांच कराई गई। जिसमें ल्यूकेमिया की पुष्टि हुई। अब बच्चे को कीमो थेरेपी व रेडिएशन दिया जा रहा है। बताया जा रहा है कि बच्चा दुर्ग जिले के एक गांव से आया था। जिला अस्पताल दुर्ग में रिफर किया गया था, जो जन्म बाद मां का दूध नही पी रहा था। स्थानीय सीएचसी को दिखाने के बाद चिकित्स्कों ने उसे जिला अस्पताल दुर्ग रिफर किया था।

इसके बाद इन्फेक्शन की आशंका जताते हुए अंबेडकर अस्पताल रिफर किया गया। बच्चे का लक्षण देखते हुए पीडियाट्रिशियन को लगा कि कहीं ब्लड कैंसर न हो। दरअसल, जब बच्चे की कंपलीट ब्लड काउंट (सीबीसी) जांच कराई गई तो इसमें व्हाइट ब्लड सेल यानी आरबीसी 1 लाख था, जो सामान्य बच्चों में 12 से 18 हजार तक होता है। जबकि प्लेटलेट सामान्य था। डॉक्टरों के अनुसार तीन बार बोन मैरो टेस्ट भी कराया गया। जिसमें दो बार नेगेटिव रिपोर्ट आई। परंतु तीसरी बार में पॉजिटिव रिपोर्ट आया था। जिसमें ब्लड कैंसर होने की पुष्टि हुई।

बच्चों का इलाज कर रहे डॉक्टर आकाश लालवानी ने बताया कि बच्चों को लाया गया। तब वह महज 18 दिन का था। लक्षण देखने के बाद ब्लड कैंसर की आशंका हुई। उन्होंने बताया की ल्यूकेमिया के प्रमुख लक्षणों में श्वेत रक्त का कण का बढ़ना, थकान, खून की कमी, मुंह में छले, यूरीन में संक्रमण, बुखार, पसीना आना, हड्डी में दर्द, त्वचा में चकते, सिरदर्द, नजर कम होना, पेट व छाती में दर्द या बैचेनी होना शामिल है।

(लेखक डा. विजय )

About The Author