Chhatrapati Shivaji Maharaj : आज है छत्रपति शिवाजी महाराज की पुण्यतिथि, जानें उनके बारे में रोचक बातें

Chhatrapati Shivaji Maharaj :

Chhatrapati Shivaji Maharaj : छत्रपति शिवाजी महाराज के शौर्य, देशभक्ति की भावना और साहस से हर कोई परिचित है। आइये उनके बारे में कुछ रोचक बातें जानते हैं।

Chhatrapati Shivaji Maharaj : मराठा साम्राज्य की स्थापना करने वाले वीर योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज की पुण्यतिथि आज 3 अप्रैल 2024 को मनाई जा रही है। छत्रपति शिवाजी महाराज के शौर्य, देशभक्ति की भावना और साहस से हर कोई परिचित है। भारत के वीर सपूत छत्रपति शिवाजी महाराज एक महान देशभक्त, कुशल प्रशासक और महापराक्रमी थे। छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन से जुड़े कई किस्से हैं, जो देशवासियों को गौरवान्वित करते हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज मराठा सम्राट थे। इतिहास के पन्नों में शिवाजी महाराज की शौर्यगाथा सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। उनकी वीरता की मिसाल महाराष्ट्र में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में दी जाती है।

शिवाजी महाराज के कुछ अनमोल वचन
1. एक छोटा कदम छोटे लक्ष्य पर, बाद में विशाल लक्ष्य भी हासिल करा देता है.
2. जब हौसले बुलन्द हो, तो पहाड़ भी एक मिट्टी का ढेर लगता है.
3. शत्रु को कमजोर न समझो, तो अत्यधिक बलिष्ठ समझ कर डरो भी मत.
4. इस देश के खून में वीरता और जोश हमेशा बना रहे.
5. हर मराठा पागल है…. भगवे का, स्वराज का, शिवाजी राजे का… जय भवानी… जय शिवाजी.

छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में रोचक बातें

1. 15 साल की उम्र में किया मुगलों पर हमला
छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म शाहजी भोसले और माता जीजाबाई के घर पर 19 फरवरी 1630 में हुआ था। उनके जन्म के समय भारत मुगल आक्रमणकारियों से घिरा हुआ था। मुगल सल्तनत ने दिल्ली समेत पूरे भारत पर कब्जा कर लिया था। जब हिंदुओं पर संकट आन पड़ी तो शिवाजी महाराज ने महज 15 वर्ष की आयु में हिंदू साम्राज्य को स्थापित करने के लिए पहला आक्रमण किया।

2. गोरिल्ला युद्ध में पारंगत थे शिवाजी महाराज
मुगलों को धूल चटाने के लिए शिवाजी ने बीजापुर पर हमला कर दिया। वह युद्ध में कुशल रणनीति तैयार करने में सक्षम थे और गोरिल्ला युद्ध पारंगत थे। इसी कौशल से शिवाजी ने बीजापुर के शासक आदिलशाह को मौत के घाट उतार दिया।

3. धोखे से औरंगजेब ने बनाया था बंदी
शिवाजी ने बीजापुर के चार किलों पर कब्जा कर लिया था। शिवाजी महाराज की वीरता और पराक्रम के किस्से बढ़ने लगे तो औरंगजेब डर गया। उसने छल से संधि वार्तालाप के लिए शिवाजी को आगरा बुलाया और उन्हें बंदी बना लिया। हालांकि शिवाजी उनके कब्जे में अधिक दिन न रहे और फल की टोकरी में बैठकर मुगलों के बंदीगृह से भाग निकले। उसके बाद उन्होंने मुगल सल्तनत के खिलाफ जंग छेड़ दी।

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