chhath puja : छठ व्रतियों ने ढलते सूर्य को दिया अर्घ्य, घाट पर श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

chhath puja : रायपुर। पूर्वांचल की तरह प्रदेश में भी छठ पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। महापर्व के तीसरे दिन प्रदेश के सभी जिलों में सैकड़ो श्रद्धालुओं ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया। श्रद्धालुओं ने सूर्य की अंतिम किरण को अर्घ्य दिया।
छठ घाटों पर अस्त होते सूर्य देव को अर्घ्य देने व्रतियों के साथ सैकड़ो श्रद्धालु जुटे। नदियों के किनारे घाटों पर छठ व्रतियों के परिवार के सदस्य सिर पर फल और पूजन सामग्री से सजे सूप, दउरा लेकर पहुंचे। यहां सामूहिक रूप से एक साथ हजारों हाथों ने सूर्य देव को अर्घ्य देकर मंगल कामना की। सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ व्रत संपन्न होगा। नदी तट पर छठी मइया के भक्ति गीतों से आस्था की लहर उठने लगी। अर्घ्य से पहले गंगा आरती से आराधना की गई।
पुत्र प्राप्ति, समृद्धि एवं मंगलकामना के पर्व छठ को लेकर सूर्य देव को पहला अर्घ्य दिया गया। गेज नदी तट व श्रीराम मंदिर छठ घाट पर छठ पूजा का विशेष माहौल रहा। अन्य तालाब व जलाशयों में भी सूर्य देव को अर्घ्य दिया गया। छठव्रतियों ने डूबते सूर्य एवं छठमाता की आराधना की।इस दौरान आतिशबाजियां और गाजे-बाजे से माहौल रंगीन रहा।
सूर्यषष्ठी महापर्व पर रविवार की शाम व्रतियों ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। शहर में सबसे बड़ा आयोजन चरचा कॉलरी में किया गया है और इस दौरान यहां मेले जैसा नजारा रहा। घाट के लिए श्रद्धालु निकले तो सड़कों पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। कई श्रद्धालु घर से पैदल व दंडवत होकर घाट पहुंचे। यह ऐसा पर्व है, जिसमें पुरोहित की जरूरत किसी को नहीं होती चार दिन तक चलने वाले इस पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। अगले दिन खरना होता है। खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रती दो दिन तक पानी भी नहीं पीते। तीसरे दिन शाम को डूबते और चौथे दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन होता है।
छठ घाटों पर कुछ व्रती मंगलकामना लेकर घर से घाट तक दंडवत करते पहुँचे। वहीं कुछ व्रती घुटने के बल रेंगते हुए घाट तक आए। माना जाता है कि इससे सूर्य देव व छठी मइया प्रसन्न होते हैं। वहीं कुछ व्रती बैंड बाजा के साथ घाटों पर पहुँचे। वह भी दंडवत करते छठ घाट पहुँची और सूर्य को संध्या अर्घ्य दिया।