Wed. Jul 2nd, 2025

Chennai High Court: मतदान नागरिक का कर्तव्य, मजबूर नही कर सकते- अदालत

Chennai High Court:

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Chennai High Court: चेन्नई हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए उक्त टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि जनहित याचिका में एक विलक्षण मुद्दा उठाया गया है, लेकिन इसके बारे में ऐसा कोई कानूनी प्रावधान मौजूद नही है।

Chennai High Court: वोट देना नागरिकों का कर्तव्य है। लेकिन अनिवार्य रूप से वोट डालने के लिए किसी कानून से बंधा नही है। ऐसा कोई कानूनी प्रावधान नही है, जिसके आधार पर अदालत वोट डालने का आदेश पारित कर सके।

जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चेन्नई हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी की

दरअसल, चेन्नई हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए उक्त टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि जनहित याचिका में एक विलक्षण मुद्दा उठाया गया है लेकिन इसके बारे में ऐसा कोई कानूनी प्रावधान मौजूद नही है जिसके आधार पर अदालत इस तरह का आदेश पारित कर सके। चेन्नई हाई कोर्ट की डबल बेंच ने शुक्रवार को एक जनहित याचिका का निपटारा करते हुए उक्त टिप्पणी की। चेन्नई हाईकोर्ट के डबल बेंच के चीफ जस्टिस एस वी गंगापुर वाला और जस्टिस डी. भरत चक्रवर्ती ने सुनवाई की। अधिवक्ता बी रामकुमार आदित्यन ने जनहित याचिका में कहा कि मतदान के दिन राज्य में अधिकांश प्रतिष्ठान बंद रहते हैं और कर्मचारियों को सवैतनिक अवकाश मिलता है। इसके बावजूद कई कर्मचारी वोट देने जाने के बजाय घर पर आराम करते हैं, घूमते-फिरते रहते हैं। याचिका में अदालत से यह निर्देश देने की मांग की गई कि आगामी लोकसभा चुनाव के मतदान के बाद सभी नियुक्ताओं को अपने कर्मचारियों में उनकी मतदान पर्चिया या मतदान करने का सबूत दिखाने को कहा जाए। अदालत ने फैसले में कहा कि नागरिक को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 195 की धारा 135 बी के तहत मतदान के दिन सवैतनिक अवकाश का अधिकार है। अवकाश के बावजूद नागरिक ने मतदान के मूल्यवान अधिकार का प्रयोग नही करने का फैसला किया है, तो उसे मजबूर नही कर सकते। यह नागरिक का कर्तव्य है लेकिन वह (नागरिक) अनिवार्य रूप से वोट डालने के लिए किसी कानून से बंधा नही है।

(लेखक डा. विजय )

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