नौकरी दिलाने के नाम पर बेरोजगारों से ठगे 12 लाख, कॉलेज जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करें- जानकार

रायपुर न्यूज : एक ओर बेरोजगारी का दौर तो दूसरी ओर सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर झांसा देकर हजारों-लाखों रुपए ठगे जाने पर युवा सकते में आ गये। राजधानी समेत प्रदेश भर में झांसा देना फिर महीनों बेरोजगारों को ठगते रहना कई बरसों से चल रहा है। खबरें मीडिया के माध्यम से युवाओं तक पहुंचती है। बावजूद युवा छले जा रहे हैं। जो व्यक्त करता है कि ठग का शिकार हुए युवा या उन जैसा सोच रखने वाले दीगर युवाओं को लगता है कि सरकारी उपक्रमों या विभागों में भर्ती लेनदेन करके, गुपचुप तरीके से भर्ती हो जाती है या सीधी भर्ती में भी लेनदेन करके काम किया जाता है।

तकरीबन आधा दर्जन युवा हाल ही में टिकरापारा पुलिस के पास पहुंचे और विभिन्न विभागों, मंत्रालयों में नौकरी का झांसा देकर 12 लाख से अधिक की ठगी करने वाले 3 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कराया। पुलिस ने 420 के तहत मामला बनाया है। शिकायतकर्ताओं द्वारा दिए गए नाम आधार पर दो आरोपियों से पूछताछ जारी है। जिसमें एक एनजीओ से जुड़ी महिला भी है। तो एक आरोपी वीआईपी परिक्षेत्र का रहवासी है। टिकरापारा पुलिस मुताबिक धमतरी, विश्रामपुरी, महासमुंद, नांदगांव आदि स्थानों के रहवासी नीलकंठ गोंड, गीता देवांगन, घनश्याम देवांगन, मीनाक्षी मिश्रा, सुरेखा मोरी ने एसएसपी कार्यालय में झांसे की रिपोर्ट दर्ज कराई है।

जानकारों का कहना है कि पढ़े-लिखे युवा भी झांसे में आकर ठगी का शिकार हो रहें हैं तो यह स्पष्ट करता है कि उनकी शिक्षा-दीक्षा में कमी रह गई है। स्नातक पाठ्यक्रम के दौरान (3 वर्षो में) समय -समय पर जागरूकता कार्यक्रम महाविद्यालयों को खुद होकर चलाना चाहिए। जिसमे नौकरी का झांसा,बड़े शहरों या विदेशों में नौकरी दिलाने आदि के झांसे में ना आने, बचने एवं ऐसे तत्वों की पुलिस-प्रशासन को जानकारी देना चाहिए। स्वरोजगार से जोड़ने कार्यक्रम होने चाहिए। हजारों-लाखों युवा हर वर्ष प्रदेश के दर्जनों विश्वविद्यालयों (निजी-सरकारी) के सैकड़ो महाविद्यालयों से स्नातक, स्नातकोत्तर शिक्षा लेकर निकलते हैं। जिन्हें स्पष्ट अवगत करा देना चाहिए कि सरकारी नौकरी कमतर है। सबको नौकरी मिलना असंभव है। स्वरोजगार अपनाए। उन्हें जागरूक करना महाविद्यालयों की नैतिक जिम्मेदारी भी बनती है।

बहरहाल रिपोर्ट दर्ज कराने वाले युवाओं ने बोरियाखुर्द निवासी प्रशांत सोनी को नगद, चेक ऑनलाइन राशि से भुगतान किया है। तो वही विक्रम नेताम भगत सिंह चौक, एनजीओ से जुड़ी एक महिला पर मध्यस्थता में शामिल होने की बात कही है। पुलिस पतासाजी में जुट गई है। तीनों ने अलग-अलग करके 12 लाख से ज्यादा की राशि शिकायतकर्ताओं से वसूली है।

उधर पुलिस वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रदेश के युवाओं उनके पालकों से अपील की है कि नौकरी के नाम पर बड़े, मंझोले शहरों, कस्बों-गांवों तक ठग-शिकार के नाम पर बेरोजगारों पर नजर रखते हैं या बेरोजगार-रोजगार की तलाश में उन तक पहुंच जाते हैं। तब बदमाश चालाकी से उन्हें तरह-तरह का झांसा देकर धीरे-धीरे पैसा वसूलते हैं। अधिकारियों के अनुसार झांसेदार, ठगबाज इसलिए भी रुक-रुककर कुछ-कुछ हजार (किश्तों) में रकम वसूलते हैं क्यों उन्हें पता होता है कि अधिक यानी लाखों रुपए एक साथ लेने पर पीड़ित (प्रार्थी) बेरोजगार,युवाओं को शुरू में शक हो जाता है। फिर इस तरह बदमाश पीड़ित के अन्य दोस्तों, रिश्तेदारों से भी संपर्क कर लेते हैं उनसे भी उगाही करते हैं।

(लेखक डा. विजय)

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