CG University News : UGC ने सूची जारी कर इन विश्विद्यालयों को डिफाल्टर किया घोषित, जानें क्या है वजह

CG University News : छत्तीसगढ़ के कुछ विश्विद्यालयों को UGC ने सूची जारी कर डिफाल्टर घोषित कर दिया है। इस लिस्ट में छत्तीसगढ़ के नामी 5 सरकारी यूनिवर्सिटी शामिल हैं।
CG University News : रायपुर : यूजीसी यानी कि यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन ने हाल ही में एक लिस्ट जारी की है। इस लिस्ट में देशभर के डिफाल्टर यूनिवर्सिटियों की लिस्ट में छत्तीसगढ़ के नामी 5 सरकारी यूनिवर्सिटी शामिल हैं। बता दें कि UGC द्वारा जारी की गई डिफाल्टर यूनिवर्सिटी की लिस्ट में देश के कुल 432 यूनिवर्सिटी का नाम शामिल हैं। जिनमें छत्तीसगढ़ के पांच सरकारी यूनिवर्सिटी भी हैं। छत्तीसगढ़ की पांच यूनिवर्सिटियों में रायपुर का इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय (आईजीकेवी) भी शामिल है।
इसके अलावा सूची में प्रदेश के आयुष एंड हेल्थ साइंस यूनिवर्सिटी आफ छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ कामधेनु विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी उद्यानिकी एंड वानिकी विश्वविद्यालय सांकरा दुर्ग, शहीद नंदकुमार पटेल विश्वविद्यालय दुर्ग को डिफाल्टर घोषित किया गया है।
प्रदेश की ये 5 यूनिवर्सिटी डिफाल्टर की लिस्ट
- > आयुष विश्वविद्यालय रायपुर
- > छत्तीसगढ़ कामधेनु विश्वविद्यालय दुर्ग
- > महात्मा गांधी उद्यानिकी यूनिवर्सिटी
- > इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर
- > शहीद नंद कुमार कुमार पटेल विश्वविद्यालय रायगढ़
ये है वजह
प्राप्त जानकारी के मुताबिक इन सभी विश्विद्यालयों को डिफाल्टर घोषित करने के पीछे एक बड़ा कारण है। बता दें कि यूजीसी के नियम के मुताबिक प्रत्येक विश्वविद्यालय को छात्रों की शिकायतों के निवारण के लिए एक लोकपाल नियुक्त करना है। इस पद पर सेवानिवृत्त कुलपति, 10 वर्षों का अनुभव वाले सेवानिवृत्त प्रोफेसर अथवा पूर्व जिला जज को नियुक्त कर सकते हैं और प्रत्येक विश्विद्यालय में नियुक्त लोकपाल छात्रों की समस्याओं को सुनकर समाधान निकालता है। लेकिन इन सभी विश्विद्यालयों में लोकपाल नियुक्त नहीं किया गया था। और UGC ने लोकपाल नियुक्त नहीं करने पर ही देशभर के 108 राज्य विश्वविद्यालय, 47 निजी विश्वविद्यालय और दो डीम्ड विश्वविद्यालयों को डिफाल्टर घोषित कर दिया है।
क्या पड़ेगा फर्क
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा किसी यूनिवर्सिटी को जब डिफाल्टर की श्रेणी में डाला जाता है तो तत्काल में उसकी मान्यता या एडमिशन की परमिशन पर तो कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। पर दीर्घकालीक इसका प्रभाव होता है। लगातार 2 बार यदि किसी यूनिवर्सिटी को डिफाल्टर की श्रेणी में डाल दिया जाए तो उसकी रैंकिंग गिरने लगती है। यूजीसी द्वारा की जा रही यूनिवर्सिटी के ग्रेडेशन में भी स्टैंडर्ड गिरता है। माना जा सकता है कि यूजीसी के द्वारा विश्वविद्यालयों को यह एक प्रकार से जारी की गई चेतवानी हैं। जिसका बार-बार पालन नहीं करने पर संबद्धता में भी असर पड़ता है।