CG News: हसदेव जंगल खनन के विरोध मामले में, टीएस सिंहदेव ने छत्तीसगढ़ के सीएम से फोन पर की बात

CG News: आदिवासियों के आंदोलन में शामिल होने के बाद सिंहदेव ने हसदेव खनन मामले को लेकर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से फोन पर बात की। हसदेव आंदोलन से जुड़े विरोध प्रदर्शन के बारे में उन्हें बताया।
CG News: छत्तीसगढ़ के पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव हसदेव में हो रही पेड़ों की कटाई और खनन को लेकर आदिवासियों के साथ खड़े हैं। आदिवासियों के आंदोलन में शामिल होने के बाद सिंहदेव ने हसदेव खनन मामले को लेकर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से फोन पर बात की। हसदेव आंदोलन से जुड़े विरोध प्रदर्शन के बारे में उन्हें बताया। सिहंदेव ने कहा कि हसदेव जंगल में पुराने खदानों में उत्खनन के प्रति स्थानीय लोगों के मत विभाजित हैं जबकि नई खदानों में माइनिंग के विरोध में पूरा आदिवासी समाज एकमत है।
हसदेव जंगल में कोल ब्लॉक के लिए पेड़ों की कटाई के विरोध में बैठे ग्रामीणों के समर्थन में पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव सोमवार को उदयपुर पहुंचे थे। उन्होंने पेडों की कटाई का विरोध करते हुए स्थानीय लोगों को कोल खनन के मामले में हर हाल में संगठित रहने की सलाह दी। सिंहदेव ने यहां तक कह दिया कि जल जंगल जमीन को लेकर आदिवासियों की गहरी आस्था है। वे प्रकृति पूजक है लेकिन सीएम खुद आदिवासी होने के बावजूद इसे समझने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। सिंहदेव ने कहा कि सरगुजा के आदिवासी समाज के हित के लिए सीएम साय को हसदेव में नए खदानों पर रोक लगाना चाहिए।
जिले के उदयपुर क्षेत्र में परसा ईस्ट केते बासेन PEKB कोल खदान के लिए घाटबर्रा के पेंड्रा मार जंगल में तीन दिनों से चल रहे पेड़ों की कटाई काफी जद्दोजहद के बाद अंततः सफल हो गई है। घाटबर्रा के पेंड्रा मार जंगल में 91 हेक्टेयर क्षेत्र में 15307 पेड़ों की हुई कटाई के बाद जंगल अब सपाट मैदान नजर आ रहा है। सैकड़ों की संख्या में पुलिस बल तैनात कर पुलिस और प्रशासन के लोगों द्वारा पेड़ों की कटाई कराई गई है। चप्पे चप्पे पर पुलिस बल तैनात कर किसी भी ग्रामीण और बाहर के लोगों को जंगल की ओर नहीं जाने दिया गया।
लगातार कोल खदान का विरोध करने वाले आंदोलनकारियों को पुलिस ने दो दिन पहले उनके घरों से उठाकर हिरासत में रखा था। बीते सप्ताह गुरुवार को देर शाम सभी को छोड़ा गया लेकिन उन्हें धरना प्रदर्शन स्थल पर पेड़ों की कटाई वाली जगह पर जाने की सख्त मनाही थी बावजूद इसके हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के लोग और अन्य आदिवासियों ने इसका विरोध किया और गांव में रैली निकाली।