मणिपुर हिंसा मामले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच को तैयार केंद्र सरकार, सुनवाई के दौरान हिंसा पर दर्ज हजारों FIR का स्टेटस मांगा कोर्ट ने

नई दिल्‍ली। मणिपुर में दो महिलाओं के साथ दरिंदगी से देश को शर्मसार करने वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। बता दें, शीर्ष अदालत दो महिलाओं पर भीड़ द्वारा किए गए हमले से संबंधित मामले की सुनवाई को स्थानांतरित करने के केंद्र सरकार के अनुरोध पर विचार कर रहा है। उसने इस दौरान कड़े शब्दों में कहा कि घटना को यह कहकर उचित नहीं ठहरा सकते कि ऐसा और भी कहीं हुआ है। फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई कल दोपहर 2 बजे के लिए स्थगित कर दी है।

सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच इस मामले में सुनवाई की। मणिपुर की दो पीड़ित महिलाओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल का कहना है कि महिलाएं मामले की सीबीआई जांच और मामले को असम स्थानांतरित करने के खिलाफ हैं। वहीं, सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का कहना है कि हमने कभी भी मुकदमे को असम स्थानांतरित करने का अनुरोध नहीं किया है। हमने कहा है कि इस मामले को मणिपुर से बाहर स्थानांतरित किया जाए। सीजेआई ने कहा कि मैंने खुद वो वीडियो देखा है, वह एक वीडियो कुछ ऐसा है जिसने राष्ट्रीय आक्रोश को भड़का दिया। वहीं, वीडियो अदालत के हस्तक्षेप के लिए ट्रिगर बना। अब सुप्रीम कोर्ट मंगलवार दो बजे इस मामले की सुनवाई करेगा.

सुको में हुई सुनवाई पर अपडेट

– मणिपुर मामले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच को तैयार केंद्र सरकार। सुप्रीम कोर्ट में बड़ा बयान- SG तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र को सुप्रीम कोर्ट मॉनिटरिंग पर कोई आपत्ति नहीं। सुप्रीम कोर्ट निगरानी करेगा तो पारदर्शिता दिखेगी
– याचिकाकर्ता के लिए इंदिरा जयसिंह- मामले में एक हाई पावर कमेटी बनाई जाए, इसमें सिविल सोसाइटी से जुड़ी महिलाएं भी हों, जिन्हें ऐसे मामलों का अनुभव हो

-अटॉर्नी जनरल आर वेंकेटरमनी ने कहा, “मामले की सीबाआई जांच होने दें, मैं खुद जांच की मॉनिटरिंग करूंगा।
– सीजेआई ने कहा, “जो वीडियो सामने आया, केवल महिलाओं के खिलाफ ये ही घटना नहीं हुई है, बाकी महिलाओं के साथ हुए अपराधों में क्या हुआ? हमें सब केसों में मैकेनिज्म हो जहां अन्य महिलाओं के साथ अपराध हुआ है।

– सीजेआई ने AG से पूछा – तीन मई के बाद से महिलाओं के खिलाफ हिंसा से संबंधित आज तक कितनी FIR दर्ज की गई हैं?
– CJI चंद्रचूड़ ने कहा- हमें किसी और वीडियो का इंतजार नहीं करना चाहिए। केंद्र द्वारा दायर हलफनामे से पता चलता है कि यौन उत्पीड़न के कई अन्य मामले हैं। हमें अन्य महिलाओं के खिलाफ हिंसा से निपटने के लिए भी एक तंत्र स्थापित करना होगा। केवल इन तीन महिलाओं नहीं, बल्कि अपराध पीड़ित हर महिला के लिए तंत्र हो।

– कपिल सिब्बल ने कहा- बयानों से पता चलता है कि पुलिस ही दोनों को प्रदर्शनकारियों के पास ले गई, उनको भीड़ के पास छोड़ दिया। एक महिला के पिता, भाई को मार डाला गया। अभी भी शव नहीं मिले हैं। 18 मई को जीरो FIR दर्ज की गई। जब इस कोर्ट ने संज्ञान लिया, तब कुछ हुआ, तो फिर हमें कैसे भरोसा हो?

– SG तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा- सुप्रीम कोर्ट इस केस को मॉनिटर कर सकता है, तो हमें इस पर कोई आपत्ति नहीं।
– सीजेआई ने कहा- हम फिलहाल जांच पर रोक नहीं लगा सकते, क्योंकि हिंसा करने वालों को गिरफ्तार भी करना है।
– इंदिरा जयसिंह ने कोर्ट को बताया कि केंद्र की स्टेटस रिपोर्ट के मुताबिक, 595 एफआईआर दर्ज की गई हैं। इनमें से कितने यौन हिंसा से संबंधित हैं, और कितने आगजनी, हत्या से संबंधित हैं ये नहीं पता। जांच तक पहुंचने से पहले, इस अदालत के पास डेटा होना चाहिए। जहां तक कानून का सवाल है, बलात्कार की पीड़िताएं इसके बारे में बात नहीं करतीं, वे अपने आघात के चलते सामने नहीं आती। पहली बात है आत्मविश्वास पैदा करना। एक उच्च शक्ति समिति होनी चाहिए। पीड़ितों को बाहर आने का आत्मविश्वास होना चाहिए। स्थानीय समुदायों तक पहुंच होनी चाहिए।

– एक संगठन की ओर से वृंदा ग्रोवर ने कहा- आरोप लगाया कि इंफाल में दो महिलाएं कार धोने का काम कर रही थीं। भीड़ आई, अत्याचार किया, उनकी हत्या कर दी, उनके शव इंफाल के मोर्चरी में पड़े हैं। परिवार राहत शिविरों में हैं। मां ने FIR दर्ज कराई है। सरकार में कोई नहीं है जिसने आकर नहीं पूछा है कि डेडबॉडी का क्या होगा।

– मणिपुर केस में ही पश्चिम बंगाल केस का मुद्दा भी उठाया गया। वकील बांसुरी स्वराज ने कहा- मणिपुर के केस की तरह पश्चिम बंगाल में भी हुआ, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। पूरे देश की महिलाओं की सुरक्षा का मामला है।

– स्वराज संस्‍थान ने कहा- ऐसी घटनाएं बंगाल ही नहीं, राजस्थान, छत्तीसगढ़, केरल आदि में हुई हैं। सभी केसों के लिए मैकेनिज्म हो.

– अटॉनी जनरल वेंकेंटरमनी ने कहा कि ये एक जटिल कार्य है, हमें कोर्ट की निगरानी में SIT से कोई आपत्ति नहीं है।

FIR में देरी क्यों, यह जांच का मुद्दा…

– सीजेआई ने पूछा, वीडियो वाले मामले में FIR कब दर्ज हुई? क्या सच है कि ये FIR 18 मई को दर्ज हुई। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा- सच है।

– सीजेआई ने पूछा, चार मई को महिलाओं को निर्वस्त्र परेड कराया गया। 18 मई को FIR दर्ज की गई। 4 मई से 18 मई तक पुलिस क्या कर रही थी? पुलिस को जीरो FIR दर्ज करने में 14 दिन क्यों लगे?

SG तुषार मेहता ने कहा- जैसे ही वीडियो आया 7 आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए। ये जांच का विषय है कि FIR दर्ज करने में देरी क्यों हुई?

FIR के डेटा केंद्र के पास नहीं..!

– CJI ने पूछा- आप कहते हैं कि कुल 6000 एफआईआर हैं। उनमें से कितनी महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित हैं? कितने में हत्या, आगजनी आदि जैसे अपराध शामिल हैं? इन 6000 में से कितनी जीरो FIR हैं? इस पर तुषार मेहता ने कहा- हमारे पास फिलहाल ये डेटा नहीं है।

-सीजेआई ने कहा, मान लीजिए महिलाओं के खिलाफ 1500 FIR हैं तो क्या सीबीआई सभी मामलों की जांच कर सकती है। इस पर तुषार मेहता ने कहा- सीबीआई में ज्वाईंट डायरेक्टर स्तर की महिला अफसर जांच करेगी। हमारे पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है। हम कह रहे हैं कि आप मॉनिटरिंग कर सकते हैं।

हाई पावर कमेटी का हो सकता है गठन

– मणिपुर हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया। मामले में हाई पावर कमेटी का गठन कर सकता है।

– सीजेआई ने कहा, यह निर्भया जैसी स्थिति नहीं है, जिसमें एक बलात्कार हुआ था। वह भी भयावह था, लेकिन अलग। यहां हम प्रणालीगत हिंसा से निपट रहे हैं, जिसे आईपीसी एक अलग अपराध मानता है।

– सीजेआई- मणिपुर राज्य में हीलिंग टच की भी बहुत जरूरत है। हिंसा बेरोकटोक चल रही है। अदालत द्वारा नियुक्त टीम यह संदेश भेजेगी कि सुप्रीम कोर्ट इस पर ध्यान दे रहा है। जजों और अधिकारियों को नियुक्त किया जा सकता है। जो ज़मीन पर क्या हो रहा है, इसकी एक निष्पक्ष तस्वीर प्रदान कर सकते हैं।

– सीजेआई ने केंद्र को कहा कि एसआईटी के लिए नाम सुझा सकते हैं। केवल सीबीआई, एसआईटी को सौंपना पर्याप्त नहीं होगा। हमें ऐसी स्थिति की कल्पना करनी होगी, जहां एक 19 वर्षीय महिला, जिसने अपना परिवार खो दिया है, एक राहत शिविर में है। हम उसे मजिस्ट्रेट के पास नहीं जाने दे सकते। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि न्याय की प्रक्रिया उसके दरवाजे तक पहुंचे। 3 महीने बीत गए। इम्फाल कार धोने वाले मामले में कौन गवाही देगा ?

केवल CBI – SIT को मामले सौंपना पर्याप्त नहीं

– सीजेआई ने कहा, सरकार बताए कि उसने अब तक क्या किया है? अगर सरकार के जवाब से संतुष्ट रहे तो दखल नहीं देंगे. अगर संतुष्ट नहीं हुए तो आदेश जारी करेंगे. केवल सीबीआई, एसआईटी को सौंपना पर्याप्त नहीं होगा. हमें ऐसी स्थिति की कल्पना करनी होगी जहां एक 19 वर्षीय महिला, जिसने अपना परिवार खो दिया है, एक राहत शिविर में है. हम उसे मजिस्ट्रेट के पास नहीं जाने दे सकते। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि न्याय की प्रक्रिया उसके दरवाजे तक पहुंचे। 3 महीने बीत गए। इंफाल कार धोने वाले मामले में कौन गवाही देगा?

जवाब संतोषजनक नहीं हुआ तो करेंगे आदेश

– सीजेआई ने कहा- हम महिला जजों व डोमेन एक्सपर्ट की एक कमेटी बना सकते हैं। सरकार बताए कि उसने अब तक क्या किया है? अगर सरकार के जवाब से संतुष्ट रहे तो दखल नहीं देंगे। अगर संतुष्ट नहीं हुए तो आदेश जारी करेंगे। जो खो गया वो खो गया लेकिन सब कुछ नहीं खोया हैं, उसे संभालने की जरूरत है।

सुको ने केंद्र और मणिपुर सरकार से मांगा ये जवाब

– 6000 FIR का ब्रेक अप
– कितनी जीरो एफआईआर हुईं
– कितने को क्षेत्राधिकार थानों में भेज दिया गया?
– अब तक कितने गिरफ्तार हुए हैं ?
– गिरफ्तार अभियुक्तों की स्थिति
– अब तक धारा 164 के कितने बयान दर्ज किए गए?

VIDEO ने राष्ट्रीय आक्रोश को बढ़ा दिया

सीजेआई ने कहा कि हमारा विचार अंततः यह है कि हम संवैधानिक प्रक्रिया में लोगों का विश्वास बहाल करें। यही वह संदेश है जिसे हमें वहां पर भेजने की जरूरत है। ये कहना सही नहीं कि एक समुदाय के खिलाफ हिंसा हुई। संदेश ये जाना चाहिए कि किसी भी समुदाय के खिलाफ होने वाली हिंसा से सख्ती से निपटा जाएगा। यह सुनिश्चित करने के लिए राज्य क्या कर रहा है कि हिंसा समाप्त हो जाए? मैंने खुद वो वीडियो देखा है, वह एक वीडियो कुछ ऐसा है जिसने राष्ट्रीय आक्रोश को भड़का दिया। वहीं, वीडियो अदालत के हस्तक्षेप के लिए ट्रिगर बना। अब सुप्रीम कोर्ट मंगलवार दो बजे सुनवाई करेगा।

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