छत्तीसगढ़ में जन्माष्टमी को लेकर उत्साह आमजन 6 को, वैष्णव साधु-संत 7 को मनाएंगे
कुछ मंदिरों में 6 को कुछ में 7 को पर्व
रायपुर। राजधानी समेत समूचे प्रदेश में 6 सितंबर, बुधवार को जन्माष्टमी पर्व मनाया जाएगा। जबकि कुछ मंदिरों समेत वैष्णव धर्मालंबी व साधु-संतगण 7 सितंबर गुरुवार को पर्व मनाएगे। कृष्ण भक्तों में उनके जन्म की तिथि करीब आने पर बेहद उत्साह है। उधर व्यापक चर्चा है कि इस बार तकरीबन उसी प्रकार का समय नक्षत्र, तिथि है जैसे द्वापर युग, में श्रीकृष्ण जन्म पर था। लिहाजा ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है।
परंपरागत तरीके से भगवान श्रीकृष्ण का जन्म आज भी जेलों के अंदर मनाया जाता है। भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा करावास के अंदर हुआ था– जिसके बाद करावास का ताला खुद टूट गया और करावास से लगी यमुना नदी पार कर——– ले गए थे। ( कंस मामा से बचाते) बहरहाल भादो मास की अष्टमी तिथि पर रोहणी नक्षत्र में भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था। इस बार अष्टमी तिथि 6 सितंबर बुधवार को अपरान्ह 3 बजकर 37 मिनट पर लग रही है। जबकि रोहिणी नक्षत्र उसी रात (बुध की) 11 बजकर 57 मिनट पर लगेगा। यानी यही समय उत्तम है। लिहाजा भक्तगण (आमजन) मध्य रात्रि (12 बजे) श्री कृष्ण भगवान का जन्मोत्सव मानयेगे। ततसंबंध में तैयारी सनातनियों ने शुरू कर दी है। महिलाए आमतौर पर इस मौके पर उपवास रखती हैं। कुछ महिलाएं फलाहार दिन में ले लेती हैं। पर आमतौर पर व्रत भगवान के जन्म होने के बाद प्रसाद ग्रहणकर (खाकर) खोलती हैं।
उधर कुछ कुछ मंदिरों, वैष्णव धर्मालंबियों (संप्रदाय) एवं साधु-संत 7 सितंबर को यह पर्व उदया तिथि पर मनाएगी। उदया तिथि यानी अष्टमी लगने के बाद होने वाला सूर्योदय (अष्टम तिथि का ही) अष्टमी तिथि 7 सितंबर को पूर्वान्ह 11:30 बजे तक है।
हाट-बाजारों में जन्मोत्सव पर पूजा सामग्री श्री कृष्णा बाल गोपाल या लड्डू गोपाल के परिधान, प्रतिमाएं, श्रृंगार सामग्री मयूर पंख (मोर), बांसुरी रइजीरा लड्डूओं के स्टाल जगह-जगह लगे हैं। तो वहीं ज्यादातर घरों में महिलाएं खुद लड्डू, पंजीरी (धनिया) बनती हैं,और भोग लगाती हैं।
राजधानी समेत प्रदेश भर में श्री कृष्ण मंदिरों में साज-सजावट अंतिम चरणों में है। फूल-मालाओं लाइटिंग आदि से डेकोरेशन किया जा रहा है। भक्तगण घरों में दीप जलायेगे। फूल-मालाओं से घर के पूजा स्थल को सजायेगे साथ ही झूला भी लड्डू गोपाल के लिए अनिवार्यतः लगाएगे।