CBSE Exam Pattern : CBSE स्टूडेंट्स के लिए आई बड़ी खबर, चेंज हुआ एग्जाम पैटर्न
![CBSE Exam Pattern :](https://eglobalnews.in/wp-content/uploads/2024/04/236086cb-b656-449c-aa1d-bfdd9ef99bc5-1024x576.jpg)
CBSE Exam Pattern : CBSE स्कूल में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के लिए एक बड़ी खबर है। बताया जा रहा है कि CBSE एग्जाम का क्वेश्चन पेपर के पैटर्न को बदलाव किया गया है।
CBSE Exam Pattern : नई दिल्ली : केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के लाखों स्टूडेंट्स के लिए एग्जाम से जुड़ा बड़ा अपडेट सामने आया है। खबरों के मुताबिक, बोर्ड ने एग्जाम पेपर्स का पैटर्न बदल दिया है। 2 कक्षाओं का एग्जाम पेपर पैटर्न बदला है, जिनमे 11वीं और 12वीं कक्षाएं शामिल है। साल 2024-25 के एग्जाम नए पैटर्न के अनुसार ही होंगे। बताया जा रहा है कि एग्जाम पैटर्न में यह बदलाव CBSE ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के मुताबिक किया है, जिससे स्टूडेंट्स की असेसमेंट और इवैल्यूएशन काफी बेहतर होगी। राष्ट्रिय शिक्षा नीति के तहत केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने कक्षा 11वीं और 12वीं के पेपर पैटर्न में बड़े बदलाव किए हैं। अब CBSE New Exam Pattern कुछ ऐसा होगा जिससे बच्चों में रट्टा लगाने की आदत लगभग खत्म ही हो जाएगी।
सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन द्वारा जारी किए गए नए दिशा निर्देशों के अनुसार CBSE न्यूज एग्जाम पैटर्न 2025 में क्वेश्चन पेपर में इस तरह के सवाल होंगे-
*सीबीएसई ने बोर्ड परीक्षाओं में बच्चों की विश्लेषणात्मक क्षमता परखने वाले सवालों की संख्या बढ़ाई है।
*रट्टा लगाकर याद किए गए नॉलेज बेस्ड क्वेश्चंस को कम कर दिया गया है।
*क्लास 11th और 12th बोर्ड एग्जाम में बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQ), केस स्टडी पर आधारित प्रश्न, सोर्स बेस्ड इंटीग्रेटेड सवाल या इसी तरह के अन्य सवालों का वेटेज 40 फीसदी से *बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया गया है।
*वहीं, पारंपरिक परीक्षा पैटर्न वाले लघु उत्तरीय/ दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों का वेटेज 2024-25 शैक्षणिक सत्र में 40% से घटाकर 30% कर दिया गया है।
हालांकि, रिस्पॉन्स टाइप क्वेश्चंस का वेटेज पहले की तरह 20 प्रतिशत ही रहेगा।
इसलिए किया गया बदलाव
CBSE बोर्ड ने एक नोटिस में कहा है कि, ‘बोर्ड का मुख्य उद्देश्य रट्टा लगाने वाली शिक्षा प्रणाली को खत्म करना है। ताकि छात्रों में 21वीं सदी की चुनौतियों से निपटने के लिए रचनात्मक, आलोचनात्मक और व्यवस्थित सोच विकसित करने वाली शिक्षा को बढ़ावा दिया जा सके।’