CGPSC भर्ती स्कैम की जांच करेगी CBI, साय सरकार ने जारी की अधिसूचना

CGPSC Recruitment Exam Scam: राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) की राज्य सिविल सेवा भर्ती परीक्षा में हुए घोटाले की जांच CBI को सौंप दी है।
रायपुर। CGPSC Recruitment Exam Scam: राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) की राज्य सिविल सेवा भर्ती परीक्षा में हुए घोटाले की जांच सीबीआइ (CBI) को सौंप दी है। इस संबंध में सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है। सीजीपीएससी भर्ती में उपजे विवादों के बाद भाजपा ने अपने घोषणा-पत्र में इसकी विस्तृत जांच का उल्लेख किया था।
बतादें कि छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग 2021-22 की भर्ती परीक्षा विवादों में रही। सीजीपीएससी की भर्ती में भाई-भतीजेवाद के साथ ही कांग्रेस के नजदीकी लोगों के चयन पर कई सवाल उठाएं गए थे। इसे लेकर एसीबी और बालोद के अर्जुंदा थाने में एफआइआर दर्ज कराई गई थी।
CGPSC भर्ती घोटाले में छत्तीसगढ़ में दो FIR दर्ज
बतादें कि सीजीपीएसी भर्ती परीक्षा में हुए घोटाले को लेकर छत्तीसगढ़ में दो एफआइआर दर्ज है। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की भर्ती में गड़बड़ी और भ्रष्टाचार के आरोप में पीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी, सचिव, परीक्षा नियंत्रक समेत अन्य अधिकारियों के खिलाफ एक और एफआइआर हुई है। बालोद जिले के अर्जुंदा थाने में अपराध दर्ज किया गया है। इसके बाद से आरोपित फरार बताए जा रहे हैं। पीएससी की परीक्षा में हुई गड़बड़ी को लेकर शासन के निर्देश पर आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने भी केस दर्ज किया है।
टाप-15 नामों में भाई-भतीजावाद का आरोप
आयोग ने राज्य सेवा परीक्षा 2021 के अंतर्गत 170 पदों की चयन सूची 11 मई 2023 को जारी की थी। इसमें टाप-15 नामों में भाई-भतीजावाद का आरोप लगा। 17 मई को भाजपा नेता गौरीशंकर श्रीवास ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर पीएससी मामले की जांच कराने की मांग की थी।
पूर्व मंत्री कंवर पहुंचे हाई कोर्ट तो 18 अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर लगी थी रोक
भाजपा नेता व पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर ने इस मामले में हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। इसमें राजभवन के सचिव अमृत खलको के पुत्र-पुत्री के डिप्टी कलेक्टर पद पर चयन को लेकर प्रश्न खड़े किए गए थे। उन्होंने पीएससी अध्यक्ष सोनवानी व कांग्रेस नेता राजेंद्र शुक्ला के रिश्तेदारों के भी चयन पर प्रश्न खड़ा करते आरोप लगाया है कि पीएससी में जिम्मेदार पद पर बैठे लोगों ने न सिर्फ रेवड़ियों की तरह नौकरियां नहीं बांटी, बल्कि इसकी आड़ में करोड़ों का भ्रष्टाचार किया गया। कोर्ट ने भी 18 अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर रोक लगाते हुए शासन को जांच करने कहा था।