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बिहार में विधायकों की खरीद-फरोख्त का खेल हुआ तो जेडीयू-एनडीए को होगा नुकसान, कांग्रेस के 16 विधायकों के हैदराबाद पहुंचने की खबर

खरीद-फरोख्त के डर से कांग्रेस के 16 विधायकों को हैदराबाद भेज दिया गया है। इतना जरूर कहा कि अफवाह फैलाई जा रही है कि कांग्रेस के विधायक टूटेंगे।

Bihar politics : बिहार प्रदेश कांग्रेस के 16 विधायकों के हैदराबाद पहुंचने की उड़ती खबरें मिल रही हैं। कहा जा रहा है कि खरीद-फरोख्त के डर से विधायकों को हैदराबाद भेज दिया गया है। हालांकि इसकी पुष्टि प्रदेश कांग्रेस प्रभारी मोहन प्रकाश ने नही की है। पर उन्होंने इससे इंकार भी नही किया है। इतना जरूर कहा है कि अफवाहें फैलाई जा रही हैं कि कांग्रेस विधायक टूट जाएंगे।

कांग्रेस प्रभारी मोहन प्रकाश का बयान

इसके साथ ही बिहार कांग्रेस प्रभारी मोहन प्रकाश ने आगे एक रोचक बात कही है -कि जनतादल युनाइडेट (जदयू) के राजग (एनडीए) में जाने (शामिल होने ) के उपरांत मतदाताओं में गुस्सा है -जिसका दबाव जदयू विधायक झेल रहें हैं। बेहतर होगा कि अफवाहें फैलाने वाले अपने विधायकों को एकजुट रखने की चिंता करे। उधर चर्चा है कि सत्ता गंवाने के बाद महागठबंधन के दूसरे बड़े घटक दल कांग्रेस के विधायक राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के से दिल्ली जाकर मिले। इस दौरान कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह, विधान परिषद सदस्य प्रेमचंद मिश्र व मदन मोहन झा भी शामिल थे। तीन विधायक अत्यावश्यक कारणों के चलते बैठक में नही गए ओर न ही हैदराबाद। हालांकि एक-दो विधायक शायद सोम-मंगल को हैदराबाद पहुंचे। पर16 विधायकों के हैदराबाद पहुंच जाने की बात कही जा रही है।

एनडीए या जेडीयू द्वारा कांग्रेस विधायकों की खरीद-फरोख्त का मामला

खैर ! यह कांग्रेस पार्टी का आंतरिक मामला है। पर अगर एनडीए या जदयू के द्वारा कांग्रेस विधायकों पर तोड़े जाने की जो अपुस्ट बात सामने आ रही है जिसके चलते कांग्रेसी विधायक हैदराबाद भेजे गए हैं तो या गलत कहा जाएगा। महागठबंधन से अलग होकर हाल ही में एनडीए से जुड़कर सरकार बनाने वाले जदयू की किरकिरी और बढ़ जाएगी। खासकर सुशासन नीतीश कुमार निशाने पर होंगे। पाला बदलने का कारण यह था कि नीतीश कुमार ने ‘इंडिया ‘ गठबंधन और उसकी सरकार को गिराने के कथित प्रयासों का हवाला देते हुए महागठबंधन छोड़ दिया था। और एनडीए में शामिल होकर उन्होंने मुख्यमंत्री का पद आरक्षित कर लिया था। लेकिन सूत्रों का कहना है कि इससे एनडीए को कोई फायदा नहीं हुआ है। अगर किसी को फायदा हुआ है तो वह सिर्फ नीतीश कुमार हैं जो सीएम की कुर्सी पर बने हुए हैं। यह भी कहा जा रहा है कि एनडीए को नीतीश कुमार को उनके हाल पर छोड़ देना चाहिए था।

(लेखक डा. विजय)

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