CAA Notifaction : CAA पर सवाल उठाने वाले अमेरिका को विदेश मंत्री ने दिया जवाब, कई देशों को दिखा दिया आइना…

CAA Notifaction : अमेरिका द्वारा CAA पर सवाल उठाये जाने पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने करारा जवाब दिया है। उन्होंने अमेरिका समेत कई देशों को आइना दिखा दिया।
CAA Notifaction : नई दिल्ली : देश में जब से नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) की अधिसूचना जारी हुई है, तब से सियासी कोहराम मचा हुआ है। भारत के साथ-साथ अब विदेशों से CAA को लेकर प्रतिक्रिया आ रहा है। अमेरिका के साथ-साथ दुनिया के कुछ देशों ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) की आलोचना की है। इन प्रतिक्रियाओं के बाद अब विदेश मंत्री एस जयशंकर का भी बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि ऐसे ‘कई उदाहरण’ हैं जिनमें कई देशों के पास फास्ट-ट्रैक नागरिकता है। जब कई देशों ने नागरिकता देने की प्रक्रिया को त्वरित किया। दरअसल अमेरिका ने भारत में CAA लागू होने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि वह इसे लेकर चिंतित है और इसके कार्यान्वयन पर करीब से नजर रख रहा है। वहीं विदेश मंत्री एस जयशंकर से जब इस बारे में पूछा गया तो यह जवाब दिया।
विदेश मंत्री जयशंकर ने अमेरिकी धरती पर एक खालिस्तानी अलगाववादी को मारने की साजिश रचने के आरोपों का सामना कर रहे एक भारतीय नागरिक और एक दिन पहले अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी की टिप्पणियों पर सवालों के जवाब दिए।
CAA की आलोचनाओं का दिया जवाब
जयशंकर ने कहा ‘आप भारत और कनाडा का कई उदाहरण दे रहे है, अमेरिकी राजनीति ने हिंसक चरमपंथी विचारों और गतिविधियों को उस तरह की जगह नहीं दी है जो कनाडा ने दी है। इसलिए, मुझे नहीं लगता कि इन्हें एक साथ रखना अमेरिका के लिए उचित है। जयशंकर ने कहा कि मैं दोनों के बीच अंतर करूंगा।’
याद दिलाया इतिहास
जयशंकर ने जवाब दिया कि ‘मैं उनके लोकतंत्र या उनके सिद्धांतों की खामियों पर सवाल नहीं उठा रहा हूं। मैं हमारे इतिहास के बारे में उनकी समझ पर सवाल उठा रहा हूं। यदि आप दुनिया के कई हिस्सों से टिप्पणियां सुनते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे भारत का विभाजन कभी नहीं हुआ था, कोई परिणामी समस्याएं नहीं थीं जिन्हें सीएए को संबोधित करना चाहिए।
कई उदहारण हैं
जयशंकर ने कहा, ‘अगर आप मुझसे पूछें कि क्या अन्य देश, अन्य लोकतंत्र जातीयता, आस्था, सामाजिक विशेषताओं के आधार पर नागरिकता के मामलों में तेजी से आगे बढ़ते हैं, तो मैं आपको इसके कई उदाहरण दे सकता हूं।’ विदेश मंत्री ने कहा, ‘दुनिया ऐसे उदाहरणों से भरी पड़ी है और मेरे लिए संदर्भ बहुत महत्वपूर्ण है।’
साथ ही उन्होंने 1947 के विभाजन का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा कि इस देश के नेतृत्व ने इन अल्पसंख्यकों से वादा किया था कि यदि आपको कोई समस्या है, तो भारत आने के लिए आपका स्वागत है। इसके बाद नेतृत्व ने अपना वादा पूरा नहीं किया। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ हमारी समस्या नहीं है। यदि आप यूरोप को देखें, तो कई यूरोपीय देशों ने विश्व युद्ध के दौरान या कुछ मामलों में विश्व युद्ध से बहुत पहले छूट गए लोगों की नागरिकता के लिए तेजी से काम किया है। कुछ ऐतिहासिक मुद्दे जिन पर ध्यान नहीं दिया गया। उस समुदाय के प्रति मेरा नैतिक दायित्व है।