71 लाख का लोन फर्जी दस्तावेज से, वित्तीय संस्थाओं को रहना होगा सावधान

रायपुर। शहर में एक ग्रामीण बैंक व लोन देने वाली एक प्राइवेट फाइनेंस एजेंसी में फर्जी जमीनी कागजात पेश कर, लाखों रुपए का लोन निकाल लिया गया। आरोपी पकड़े गए हैं, पर बैकिंग प्रणाली, प्रबंधन व प्राइवेट फाइनेंस एजेंसी के कामकाज पर सवालिया निशान लगाते हैं। तो वहीं दूसरी संस्थाओं के लिए नसीहत छोड़ते हैं।

रायपुर एक शहर ही नहीं बल्कि राजधानी भी है। जो विभिन्न क्षेत्रों के व्यवसाय के मद्देनजर आर्थिक धूरी (केंद्र) भी है। हजारों व्यवसायी, कामकाजी लोग यहां देश – प्रदेश से रोजाना आते जाते हैं। परिवहन की व्यापक सड़क, रेल, हवाई सुविधा है। कारोबार दिन भर चलता रहता है। 20 लाख से अधिक आबादी है।

उपरोक्त चीजों को देखें तो यहां कारोबार से सीधे जुड़ी संस्थाओं को बड़ा सजग, सतर्क, सावधान रहना अत्यावश्यक है। सुरक्षा समेत लेन-देन के दृष्टिकोण से भी परंतु सामान्य परिस्थितियां रहने, कर्मियों-अधिकारियों को अपनी निजी जान पहचान या संबंधों या किसी निजी संपर्क के हवाले पहुंचने वाले मामलो में कई बार चूक हो जाती है। आर्थिक संस्थाओं से गंभीरता-सजगता की भर उम्मीद ही नहीं रहती बल्कि भरोसा भी।

बहरहाल दो-तीन आरोपियों ने बकायदा योजना बनाकर क्रेता-विक्रेता बन उस जमीन के लिए लोन पास करवा लिया जो जमीनी (वास्तव में) तौर मौजूद ही नहीं है। अस्तित्व में नहीं है। 71लाख बड़ी रकम हैं। छोटे-मोटे कार्य के लिए ऋण लेने पहुंचने वालों की पूरी जांच -पड़ताल कर, ठोंक-बजाकर देख-समझकर बड़ी मुश्किलों के बाद लोन दिया जाता है। फिर उपरोक्त मामले में चूक क्यों हुई। इसकी जिम्मेदारी तय कर कार्रवाई की जानी चाहिए। केवल आरोपी की गिरफ्तारी से मामले की इतिश्री नहीं हो जाती। शहर के बढ़ते विस्तार, आबादी, काम के बढ़ते बोझ, झांसे की घटनाओं,लूट-खसोट, जान पहचान का अनुचित लाभ उठाने आदि को मददेनजर रख निजी, सार्वजनिक, सरकारी उपक्रमों को कार्य करना चाहिए। उपरोक्त ताजा मामले को लेकर दूसरी समकक्ष संस्थाओं को नसीहत लेनी चाहिए।

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