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Brijmohan Agarwal: रायपुर दक्षिण के लोकप्रिय नेता बृजमोहन, इस दौर से भी गुजर जाएंगे ..!

Brijmohan Agarwal:

Brijmohan Agarwal: तीन बार विधानसभा में सर्वश्रेष्ठ विधायक चुने जा चुके हैं। जिसमें एक बार वे अविभाजित मध्यप्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे।

Brijmohan Agarwal रायपुर। छत्तीसगढ़ के कदावर नेता नवनिर्वाचित सांसद वर्तमान में छत्तीसगढ़ के विधायक एवं कैबिनेट मंत्री बृजमोहन अग्रवाल अपने करीब साढ़े तीन दशक के राजनैतिक जीवन में कुछ दिनों से-शायद सबसे ज्यादा आसमंजस्य के दौर से गुजर रहे हैं। पर्याप्त अनुभव, योग्यता से परिपूर्ण, जन सामान्य के बीच अपार समर्थन, आर्थिक-सामाजिक दृष्टिकोण में सक्षम व्यक्तित्व के धनी अग्रवाल को 3 बार विधानसभा में सर्वश्रेष्ठ विधायक के तौर पर चुना जा चुका है। जिसमें एक बार वे अविभाजित मध्य प्रदेश विधानसभा के सदस्य थे। आइए उनके वर्तमान पर थोड़ा समझने की कोशिश करें।

महाविद्यालयीन जीवन से ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े बृजमोहन अग्रवाल 80 के दशक में अपना आधार बना चुके थे। शायद यही वजह थी कि वे दशक के अंत एवं 90 के दशक के शुरुआती दौर में विधायक बने। एक-दो बार नही बल्कि 21वीं सदी के तीसरे दशक तक वे लगातार 8 बार अच्छी लीड के साथ विधायक बनते रहे। उन्हें अविभाजित मध्य प्रदेश के दौर में राज्य मंत्री का पद मिला। दक्षिण रायपुर विधानसभा बनने पर वहां से लगातार चुने जाते रहें हैं। उसे आज कांग्रेसी भी भाजपा का अजेयगढ़ (किला) स्वीकारते हैं। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद उनको तीन बार कैबिनेट मंत्री बनाया गया। उनका नाम कई बार मुख्यमंत्री के लिए भी चला। पर वे पार्टी के अनुशासित सिपाही की तरह निरंतर जन सेवा में लगे रहे।

अच्छे खासे वक्ता छत्तीसगढ़ के बारे में हर कोने की जानकारी रखने वाले जबरदस्त रणनीतिकार, विरोध दलों के बीच वैचारिक मतभेद के बावजूद दोस्ताना संबंध उनकी योग्यता की वजह से है। कांग्रेस जब 5 वर्ष छत्तीसगढ़ में सत्ता पर रही तब भी शायद वे अकेले शख्स है जिन्हें भाजपा कार्यकाल में सरकारी आबंटित बंगला से नही हटाया गया। सभी आयु वर्ग के मध्य भी वे लोकप्रिय हैं। महिला-पुरुष दोनों वर्गों के लाखों समर्थक तमाम धर्म, समुदायों के हैं। इनके इनके ऊपर कभी कोई गलत आरोप नही लगा।

उनका अपना व्यक्तित्व है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद होकर रायपुर संसदीय सीट के लिए उनका नाम सुझाते हुए यह भी कहा कि एक बार बृजमोहन से पूछ लो मन है कि नही। तब मातृ शोक में डूबे बृजमोहन के जवाब के लिए इंतजार भी किया गया। अग्रवाल ने पीएम की बात का मान रख हामी भर दी। तभी यह तय हो गया था कि रायपुर भाजपा की सीट पक्की है। हालांकि दशकों से यहां भाजपा जीत रही है। पर लोग यह देखना चाहते थे कि बृजमोहन कितनी लीड ले जाते हैं। रिकॉर्ड तोड़ 5 लाख 75 हजार मतों से विजय प्राप्त कर देश में नवें सर्वाधिक मतों से विजयी उम्मीदवार बने।

बहरहाल कहानी लंबी हो इसके पूर्व असमंजस्य के वर्तमान दौर पर आते हैं, वे इन दिनों साय मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री के तौर पर कार्यरत हैं। सांसद चुने जाने के बाद दिल्ली जाने पर छोड़ना पड़ेगा। हालांकि, सीएम चाहे तो 6 माह उन्हें मंत्री बनाए रख सकते हैं। 2 दिन पूर्व स्थानीय पत्रकारों के सवालों का नपा- तुला जवाब देते हुए उन्होंने असमंजस्य के दौर का संकेत दिया। पर यह भी कहा कि यह उन्हें तय करना है कि विधायक रहे या मंत्री बने रहे या संसद सदस्य बन जाए। दरअसल पीएम मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में छत्तीसगढ़ से बिलासपुर के भाजपा के नवनिर्वाचित (पहली ही बार) के सांसद को बतौर राज्य मंत्री स्थान दिया है। राजनैतिक गलियारों में चर्चा है कि ऐसा जातिगत कारणों से किया गया- क्योंकि उस बिरादरी की बहुलता है उधर बृजमोहन समेत विजय बघेल के नाम की चर्चा जोरों पर थी कि मंत्री बन सकते हैं।

अब नई स्थिति बन जाने के बाद लाखों समर्थक मायूस हैं कि उनके नेता को मंत्री पद नही दिया गया। बृजमोहन ने सवालों के जवाब में मीडिया से कहा कि आलाकमान समर्थक देख मंत्री नही बनता न ही जातिगत कारणों से। बल्कि योग्यता, अनुभव, शिक्षा, पार्टी के प्रति समर्पण आदि देखा जाता है। वैसे भी समय से पहले किस्मत से ज्यादा कुछ नही मिलता हां अपना कार्य निरंतर करते रहना चाहिए।

यहां बृजमोहन दार्शनिक हो जाते हैं। असमंजस के दौर की बात का संकेत देने के साथ शुक्र-शनि उनकी विजय आभार रैली में लोग स्वागत के लिए देर रात तक उमड़ते रहे। यह रैली संकेत देती है कि वे विधायकी छोड़- सांसद बनेंगे। शायद मंत्री भी बने रहे 6 माह तक। उधर केंद्र में अपनी 15-16 और मंत्री पद खाली हैं। जिन पर देर-सबेर निर्णय होगा। तब संभव है कि बृजमोहन को उनकी योग्यता क्षमता का पारिश्रमिक मिल जाए। बृजमोहन ने एक अन्य सवाल पर कहा कि उनका लंबा राजनैतिक जीवन अभी बचा हुआ है, वे इंतजार करो – देखो देखो वाली नीति की ओर इशारा करते हैं। उन्होंने कहा कि अभी तक छत्तीसगढ़ के लिए विधानसभा में आवाज उठाते रहे, अब पूरे देश के लिए आवाज उठाएंगे। बहरहाल, जो लोग यह सोच रखे हैं कि पीएम ने पहले पूर्व सीएम डॉक्टर रमन सिंह और अब बृजमोहन की ताकत कम कर रहे हैं। उन्होंने शायद न तो डॉक्टर रमन को और न ही बृजमोहन के पूरे व्यक्तित्व को ठीक तरह से समझा है। जिनकी जनाधर दिलों से आता है, जो जमीन से जुड़े रहे हैं। दोनों को छत्तीसगढ़ से पृथक नही किया जा सकता।

(लेखक डा. विजय)

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