Pitru Paksha  2023 : पितृपक्ष के दौरान दान-दक्षिणा अवश्य करें

Pitru Paksha  2023 :

Pitru Paksha  2023 :

 Pitru Paksha  2023 : शनिवार 30 सितंबर से शुरू पितृपक्ष किसी भी रूप में पितर आ सकते हैं मान्यता है सजग रहें

Pitru Paksha  2023 : रायपुर। सनातन धर्म का पितृपक्ष (पितर) कल 30 सितंबर से Pitru Paksha  2023  शुरू हो रहा है। हालांकि कुछ लोगों ने 29 तारीख से शुरू कर दिया है। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का बहुत महत्व है।  मान्यता है कि पखवाड़े भर हमारे पूर्वज पृथ्वी पर आते हैं। वे किसी भी रूप में हमारे बीच रहकर अन्न जल ग्रहण करते हैं। उनकी संतुष्टि के लिए  हम कुछ कार्य करते हैं तो संतुष्टि मिलती है और हमें उनका आशीर्वाद।

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जिनके पूर्वज पूर्णिमा तिथि पर देह त्यागते हैं उनके वंशज 29 सितंबर (आज) से पितर  मना रहे हैं। ज्यादातर कल 30 सितंबर से मनायेगे। पितरों के आगमन पर तैयारी को मूर्तरूप देने सनातनी धर्मालंबी जुटे हुए हैं।  घर की साफ-सफाई, अच्छे खान-पान की व्यवस्था के साथ दान-दक्षिणा की भी तैयारी है। संगम, नदियों, तालाबों जलाशयों में श्राद्ध किया जाता है।

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मान्यता है कि किसी भी रूप में पूर्वज आते हैं।  लिहाजा सजग-सचेत रहना चाहिए। किसी की उपेक्षा न करें। पितृपक्ष में काले तिल का दान करने से बाधाओं  से मुक्ति मिलती है। वस्त्रो का दान करने से, किसी गरीब,पीड़ित या सच्चे ब्राह्मण को भोजन करने से पूर्वज संतुष्ट होते हैं। वे अन्य रूप में आकर वस्त्र की भी कामना करते हैं. गमछा, तौलिया, टोपी, धोती, कुर्ता, पाजामा आदि दान दे सकते हैं। उपरोक्त वर्ग को। चप्पल जूते यथासंभव गरीबों को दान करें।  घर में खुशहाली आती है। घी का दान का महत्व है।  साफ बर्तन में गाय का शुद्ध घी दान करने से पारिवारिक संकट दूर होते हैं। गुड़ दान करने से घर पर सुख-शांति आती है। नमक दान करने पर पितरों को कर्ज से मुक्ति मिलती है।अन्न दान करने से वंश में वृद्धि होती है। जीवन में किसी तरह की रुकावट बाधा नहीं आती है।

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सनातनी धर्मानुसार श्राद्ध करके दान-दक्षिणा देने के बावजूद ब्राह्मण को भोजन जरूर कराना चाहिए। अगर ब्राह्मण  पहले ही भोजन कर लिया हो तो अगले दिन के लिए भोजन वास्ते पैसे दे। छोटा-मोटा वस्त्र भेंट करें।  घर-द्वार पर कुत्ता (श्वान) गाय या अन्य जंतु जानवर आए तो उसे भोजन दे। भोग का पहला हिस्सा गाय या श्वान को खिलाए। आमतौर पर श्राद्ध तीन पीढ़ियों के लिए है। मान्यता है कि पिता, दादा, परदादा साथ ही माता, दादी, परदादी माता, नाना, नानी, परनाना       परनानी के लिए श्राद्ध कराया जाता है। यानी तीन पीढ़ी वास्ते ऐसी मान्यता है कि ऊपर की पीढ़ी यानी परदादा परदादी, परनाना, परनानी के माता-पिता (पूर्व पीढ़ी) स्वर्ग पहुंचकर मोक्ष प्राप्त कर चुके होते हैं। जबकि बीच के पीढ़ी (उपरोक्त पिता, दादा, परदादा ) पृथ्वी व स्वर्ग के मध्य रहते हैं। दूसरे अर्थों में नए परपोता के पुत्र-पुत्र होने परदादा- परदादी या परनाना, परनानी को भगवान स्वयं स्वर्ग ले (मोक्ष ) जाते हैं

पितृपक्ष में के दौरान पूर्वज किसी भी रूप में आपके पास आ सकते हैं। लिहाजा उनकी शांति के लिए सही उपाय करें। अन्यथा नाराज होकर चले जाने पर पितृ दोष लगा सकता है।

घर में यदि अचानक कहीं पीपल का पौधा उग आए  तो संभव है कि घर पर पितर हैं। लिहाजा पौधा निकालने के बजाय दोष दूर करने का प्रयास करें। आचनक  लाल चींटी आती है तो संकेत है कि पितर आये है उन्हें आटा डाले। चीटियों के आने का कारण पता करें। उन्हें मारने के बजाय अन्य उपाय से बाहर निकले। अगर घर पर लगे तुलसी अचानक सुख जाए तो आसपास पितर होने का संकेत है। हालांकि पौधा सूखना आम बात है। पितृ दोष दूर करने का उपाय करें।

घर पर अगर काला कुत्ता आ जाए तो भी पितर आने का संकेत है। ऐसे में काले कुत्तें को पूर्वजों का संदेश वाहक माना जाता है। यह पितरों के प्रसन्न होने की वजह हो सकती है। काला कुत्ता को रोटी दें। अगर घर पर कौाअे भी दिखाई दें। छत,मुंडेर, बालकनी या दरवाजे आदि पर तो उन्हें भोजन (भोग ) दे। कौआ  अगर भोजन (भोग ) ग्रहण कर लें तो समझिए पितर आसपास मौजूद है। वे आशीर्वाद दे रहे हैं। कृपा दृष्टि पूर्वजों की बनी रहने से घर के कई दोष दूर होते हैं।  इस तरह पितृपक्ष पर आपको सावधान रहना चाहिए। चीजों पर नजर रखनी चाहिए। बदलावट दिखे तो कारण पता करें। पितर के संकेत हो तो उपाय करें।

(लेखक डॉ विजय )

 

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