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Chhattisgarh Lok Sabha Elections : BJP के ‘बृजमोहन’, कांग्रेस के ‘विकास’, कौन जीतेगा जनता का विश्वास?

Chhattisgarh Lok Sabha Elections :

Chhattisgarh Lok Sabha Elections :

Chhattisgarh Lok Sabha Elections : लोकसभा चुनाव के तहत रायपुर क्षेत्र से बीजेपी प्रत्याशी बृजमोहन अग्रवाल और कांग्रेस प्रत्याशी विकास उपाध्याय के बीच मुकाबला है। दोनों सामान्य वर्ग से आते हैं।

Chhattisgarh Lok Sabha Elections : लोकसभा चुनाव अंतर्गत रायपुर क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी बृजमोहन अग्रवाल कांग्रेस प्रत्याशी विकास उपाध्याय के मध्य मुकाबला हो रहा है। दोनों सामान्य वर्ग से आते हैं, जबकि क्षेत्र में ओबीसी वर्ग की बहुलता है। बृजमोहन रिकॉर्ड तोड़ सात बार लगातार विधायक वह भी दक्षिण रायपुर से चुने जाते रहे हैं, वर्तमान में विधायक एवं मंत्री छत्तीसगढ़ शासन हैं। विकास एक बार 2018 में विधायक चुने गए तथा 2023 में उन्हें हार मिली। उनका क्षेत्र पश्चिम रायपुर रहा है। बृजमोहन वरिष्ठ नेता तो विकास नए नेता के तौर पर देखे जाते हैं।

दोनों उम्मीदवार पहली बार लोकसभा के लिए प्रत्याशी बनाए गए है –

लोकसभा हेतु दोनों प्रत्याशी पहली बार प्रत्याशी बनाए गए हैं। बृजमोहन भले ही एक क्षेत्र विशेष के विधायक हैं पर पिछले दो दशक से अधिक समय से वे भाजपा के दीगर प्रत्याशियों को लोकसभा सीट में अच्छी लीड दिलाते रहे हैं। रमेश बैस, सुनील सोनी को सांसद बनाने में अहम भूमिका निभाई है। उन्हें तमाम क्षेत्रों की बारीकी से जानकारी है। विकास भले ही एक बारगी के विधायक रहे पर एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष, प्रदेशाध्यक्ष रहें हैं उन्हें भी सभी क्षेत्रों की जानकारी है। फिर उस समय के उनके कार्यकर्ता युकां से जुड़े। तो विकास युकां के पदाधिकारी रहे। वे कांग्रेस के लिए दीगर राज्यों में राज्य प्रभारी भी रहें हैं।

विकास में आत्मविश्वास एवं जुझारूपन हैं –

बृजमोहन यानी विजय का पर्याय माने जाते हैं। इस बात को भाजपा के साथ विरोधी कांग्रेस भी मानते है। वे कुशल रणनीतिकार रहें हैं। चुनाव में दीगर स्थानों पर सीधे या उपचुनाव में जाकर वे प्रत्याशियों को लीड दिलाते रहें हैं। कुछ लोगों को लगता है कि शायद बृजमोहन उक्त विशेषता, योग्यता पकड़ लोकप्रियता देख कुछ चर्चित कांग्रेसियों ने रायपुर से चुनाव लड़ने के प्रस्ताव को नमस्ते कर दिया। नतीजन गेंद विकास उपाध्याय के पाले आ गई। चूंकि विकास एकदम से नए नही है, फिर उन्हें पहली बार संसदीय चुनाव लड़ने का मौका दिया गया है, तो उन्होंने भविष्य की खातिर स्वीकारना उचित समझा है। दरअसल उनमें आत्मविश्वास एवं जुझारूपन है। साथ ही अपने नजदीकी कार्यकर्ताओं पर भरोसा है।

देखना यह है कि आम चुनाव में अंतर बढ़ता है या घटता है-

रायपुर जिले अंतर्गत विधानसभा की 8 सीटों में से 7 में भाजपा के प्रत्याशी इस बार विधानसभा चुनाव जीते हैं। जिनके जीतों के अंतरों को जोड़ा जाए तो 4 लाख के करीब हो जाता है। शायद उससे थोड़ा ज्यादा यह अंतर लोकसभा चुनाव के पूर्व है। देखना है कि आम चुनाव में अंतर घटता या बढ़ता है, प्राथमिक तौर पर इतने अंतर से भाजपा प्रत्याशी लीड पर हैं। यह दीगर बात है कि मतदाताओं का एक वर्ग विधानसभा-लोकसभा के लिए अलग-अलग दलों को भी (प्रत्याशीनुसार भी) वोट करता है। बहरहाल बृजमोहन 2 दिन से प्रचार शुरू कर चुके हैं, तो विकास दो दिन बाद शुरू करेंगे। भाजपा प्रदेश में सत्तारूढ़ हो चुकी है, जो मोदी की गारंटी को पूरा कर रही है, जिसका लाभ भाजपा प्रत्याशी को मिलना तय बताया जा रहा है। हालांकि कुछ दीगर फैक्टर भी मतदाताओं को रूख तय करते हैं। मुस्लिम वोटर्स का रुख किस ओर रहेगा यह फिलहाल कहना मुश्किल है।

(लेखक डा.विजय)

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