भाजपा नेताओं के हत्या-दर-हत्या नक्सलियों का आखिर क्या मकसद ?

रायपुर न्यूज : छत्तीसगढ़ में एक वर्ष के अंदर पौन दर्जन (9) भाजपा नेताओं की हत्या गहन जांच का विषय है। नौंवी हत्या 7 जनवरी, रविवार को कांकेर के पखांजूर स्थित पुराना बाजार चौक में हुई। जहां पखांजूर नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष असीम राय की गोली मारकर अज्ञात बाइक सवारों ने हत्या कर दी थी। जिसके बाद वहां जनाक्रोश है। सोमवार को इसके विरोध में पखांजूर परकोट पूरी तरह बंद रहा।

एक के बाद एक करके 16 जनवरी 2023 से 7 जनवरी 2024 के मध्य 9 भाजपा नेताओं की प्रदेश में अलग-अलग जगह (ज्यादातर बस्तर क्षेत्र) हत्या होना संयोग नही हो सकता। यह टारगेट किलिंग भी हो सकती है। इनके तार आपस में कहीं न कहीं जुड़े होंगे। इनकी जांच बड़ी एजेंसी से कराना चाहिए ताकि खुलासा हो सके कि तमाम हत्याओं से जुड़े लोगों का वास्तव में क्या मकसद है।

16 जनवरी 2023 को बुधराम करटाम की कांकेर में संदिग्ध मौत। 5 फरवरी 2023 को बीजापुर भाजपा मंडल अध्यक्ष नीलकंठ कक्केस की एक शादी समारोह के दौरान नक्सलियों ने हत्या की। जिसके महज 5 दिनों बाद 10 फरवरी 23 को नारायणपुर भाजपा जिला उपाध्यक्ष सागर साहू की घर घुसकर नक्सलियों हत्या की। इसके महज 24 घंटे बाद 11 फरवरी को दंतेवाड़ा के पूर्व उपसरपंच रामधर आलसी की हत्या नक्सलियों ने की। 4 माह बाद 21 जून 23 भाजपा एसटी जिला मोर्चा महामंत्री काका अर्जुन की गला रेत नक्सलियों ने हत्या की। तो वही 2 माह बाद 21 अगस्त 2023 को चिकटराम पहाड़ी से भाजपा नेता महेश गोटा को अगवा कर लिया गया। बाद में उनका शव मिला। जिसकी हत्या की पुष्टि पोस्टमार्टम से हुई। हफ्ते भर बाद 18 अगस्त 23 को बीजापुर के चिन्नागेलुर निवासी रामा प्रानेम की नक्सलियों ने मुखबिरी का आरोप लगा हत्या की। करीब 2 माह बाद 20 अक्टूबर 23 को मोहला- मानपुर (राजनंदगांव जिले के पास) में भाजपा कार्यकर्ता बिरजु तारक की हत्या नक्सलियों ने की। तो 13 दिन बाद 3 नवंबर 23 को नारायणपुर भाजपा उपाध्यक्ष रतन दुबे की नक्सलियों ने कुल्हाड़ी मारकर हत्या कर दी थी। अब ताजा घटनाक्रम में 2 माह बाद 7 जनवरी की रात पंखाजूर में पूर्व नगर पंचायत उपाध्यक्ष असीम राय की गोली मारकर अज्ञात लोगों ने हत्या की है। जिसके लिए नक्सलियों पर संदेह है।

इधर कांग्रेस द्वारा भाजपा शासन में नक्सली सक्रियता बढ़ने के आरोप पर डिप्टी सीएम एवं गृह मंत्री विजय शर्मा ने पलटवार किया। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस हमेशा नक्सलियों से समझौता करके रहती है। यह सर्वविदित है। इसी कारण बस्तर इलाके में वारदातें बढ़ी हैं। बकौल शर्मा भाजपा सरकार बनने से नक्सलियों में बौखलाहट है। पुलिस जांच कर रही हैं।

बहरहाल भाजपा पार्टी के नेताओं की हत्या- दर- हत्या से संबंधित क्षेत्र के अन्य नेताओं पर प्रभाव पड़ रहा है। जिससे उन्हें फील्ड पर खुलकर कार्य करने का मौका नहीं मिल पाता। आखिर इन सिलसिलेवार हत्याओं की क्या वजह हो सकती है ? थोड़े-थोड़े अंतराल पर वारदातों को मूर्तरूप देकर नक्सली क्या साबित करना चाह रहे हैं या उनका मकसद क्या है ? इस तरह किसी भी दल के नेता की हत्या से विकास योजनाएं बाधित भी होती हैं। खासकर सत्तारूढ़। हालांकि जो हत्या हुई है वह विपक्ष में रहते भाजपा नेताओं समेत सत्ताधारी भाजपा जनप्रतिनिधियों की है।

(लेखक डा. विजय )

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