Mon. Sep 15th, 2025

Bihar Opinion Poll : बदले-बदले से दिख रहे बिहार की जनता के सियासी तेवर

Vote Vibe Bihar Opinion Poll : बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा अब बस औपचारिकता भर रह गई है, लेकिन राज्य की राजनीति में उबाल अभी से दिखने लगा है. इस बीच वोट वाइब (Vote Vibe) के एक ताजा सर्वे सामने आया है जिसमें जनता की नब्ज कुछ और ही कहानी बयां कर रही है. सर्वे में पूछा गया कि राज्य में सत्ता विरोधी लहर है या नहीं. खास बात ये है कि यह सर्वे उस वक्त हुआ जब राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा बिहार से गुजर चुकी थी. ऐसे में यह सर्वे सियासत के असल मूड को दिखाने का दावा करता है.

 

Bihar Opinion Poll : पटना. बिहार चुनाव की तारीखों की घोषणा जल्दी ही होने वाली है और इससे पहले ही प्रदेश में चुनावी माहौल बन गया है. वहीं, विभिन्न सर्वे एजेंसियां भी अपने आंकड़े जुटाने में लगी हुई हैं. इसी कड़ी में वोट वाइब (Vote Vibe) ने बिहार चुनाव को लेकर एक सर्वे किया है जिसमें कई चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. जानकारी के अनुसार यह सर्वे 3 सितंबर से लेकर 10 सितंबर के बीच किया गया है और कुल 5635 सैंपल कलेक्ट किए गए हैं. बता दें कि यह सर्वे और इसके आंकड़े इसलिए महत्वपूर्ण हो जाते हैं कि इससे पहले बीते 17 अगस्त से लेकर 1 सितंबर तक राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा बिहार में चली थी. तेजस्वी यादव और राहुल गांधी ने बिहार के 22 से अधिक जिलों का दौरा किया और वहां यात्रा निकाली. ऐसे में इसके बाद किए गए सर्वे में कई तथ्य उभरकर आए हैं जो गौर करने लायक हैं.

क्या चाहती है बिहार की जनता? सर्वे का सबसे बड़ा खुलासा

सबसे पहले यह जान लीजिए कि जो सैंपल इकट्ठे किए गए हैं, उनमें विभिन्न वर्गों की भागीदारी कितनी है. इसमें पुरुष 52% और महिलाएं 48% हैं. इसमें भी जाति समुदाय के आधार पर अनुसूचित जाति के 20% लोगों की हिस्सेदारी है, जबकि अनुसूचित जनजाति के दो प्रतिशत लोगों से बात की गई है. अदर बैकवर्ड क्लास यानी पिछड़े वर्ग के 44% लोगों ने इसमें पार्टिसिपेट किया है, जबकि अपर कास्ट के हिंदुओं में 16% से बात की गई है. जबकि मुस्लिमों की करीब 18% की भागीदारी रही है. इसके अलावा अन्य वर्गों के एक प्रतिशत लोगों से पूछा गया है. इसको कैटेगरी में बांटते हैं तो शहरी क्षेत्र के 30% और ग्रामीण आबादी के 70% लोगों से बात की गई है. अब आइये आंकड़े जानते हैं.

शहरी और ग्रामीण, दोनों ही क्षेत्रों के लोगों का रुझान क्या?

सर्वे में सबसे पहला सवाल था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए की सरकार के संबंध में आप क्या सोचते हैं, सत्ता विरोधी रुझान है या समर्थन का रुझान है, इसको किस प्रकार देखते हैं? सर्वे में कई चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. 48 प्रतिशत लोगों ने साफ तौर पर माना है कि बिहार में मजबूत सत्ता विरोधी लहर है, जबकि 27.1% लोगों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि सत्ता के समर्थन में लोग खड़े हैं. वहीं तटस्थ रहने वालों की संख्या भी काफी महत्वपूर्ण है, और यह करीब 20.6% है. जबकि, पता नहीं या फिर कह नहीं सकते कहने वालों की संख्या 4.3% है.

इन आंकड़ों को गहराई से देखें तो शहरी वर्ग के लोगों में 48% लोगों ने साफ कहा कि हम मौजूद सरकार के खिलाफ हैं. वहीं, 31% शहरी लोगों ने समर्थन में अपना मत व्यक्त किया, जबकि 17% लोग तटस्थ रहे. वहीं, चार प्रतिशत लोगों ने कहा कि पता नहीं या कह नहीं सकते. इसी प्रकार इसी सवाल पर ग्रामीण क्षेत्र के 48% लोगों ने सत्ता विरोधी बात कही तो 25% लोगों ने समर्थन में अपना मत जाहिर किया है, जबकि 22% लोगों ने तटस्थता की बात की. वहीं, 4% लोगों ने अपनी अभिज्ञता जाहिर की है, यानी उन्होंने कहा कि वह कह नहीं सकते या उन्हें कुछ पता नहीं है.

पुरुष और महिलाएं समान रूप से नीतीश सरकार के खिलाफ?

इन आंकड़ों में और गहराई से जाएं तो आपको पता चलेगा कि पुरुषों और महिलाओं में 48-48 प्रतिशत की मजबूत एंटी इंकंबेंसी है, जबकि न्यूट्रल रहने वालों में 20% पुरुष हैं और 22% महिलाएं स्ट्रांग प्रो इनकंबेंसी वालों में 29% पुरुष हैं, जबकि 25% महिलाएं इसमें शामिल हैं. वहीं डोंट नो कहने वालों में 4% पुरुष है और 5% महिलाएं शामिल हैं.

क्या नीतीश फैक्टर अब कमजोर पड़ रहा है?

बता दें कि सर्वे उस समय हुआ जब राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ हाल ही में संपन्न हुई थी.  हालांकि सर्वे यह स्पष्ट नहीं करता कि कांग्रेस या RJD को इससे सीधा फायदा मिलेगा, लेकिन एंटी-इनकंबेंसी के संकेत जरूर हैं.  बहरहाल, सर्वे से जाहिर हो रहा है कि नीतीश कुमार लंबे समय से बिहार की राजनीति का चेहरा रहे हैं, लेकिन यह सर्वे बताता है कि जनता अब बदलाव की ओर देख रही है. खासतौर पर युवा, महिलाएं और ग्रामीण मतदाता अब विकल्प तलाशने लगे हैं.

About The Author