बिहार चुनाव में वंशवाद की भरमार, NDA या महागठबंधन… किसपर ज्यादा भार?
बिहार की सियासत में वंशवाद एक ऐसा मुद्दा है जो छाया रहता है. बीजेपी खासतौर से इसपर मुखर रहती है. वो आरजेडी पर हमलावर रहती है. लालू की पार्टी भी पलटवार करती है. समय-समय पर वो बीजेपी के उन नेताओं की लिस्ट जारी करती रहती है, जिनके बेटे या बेटी राजनीति में सक्रिय हैं.
बिहार में चुनाव हो और वंशवाद की बात ना हो, ऐसा कैसे हो सकता है. सत्ता में बैठी बीजेपी इसे लेकर आरजेडी पर हमलावर रहती है. तो वहीं तेजस्वी भी समय-समय पर बीजेपी के उन नेताओं की लिस्ट जारी करते रहते हैं, जिनके बेटे या बेटी राजनीति में सक्रिय हैं. ये एक ऐसा मुद्दा रहा जिससे शायद ही कोई राजनीति दल अछूता रहा हो. इस चुनाव को ही देखें तो इसमें क्या एनडीए और क्या महागठबंधन, दोनों में ही एक ही परिवार में कई टिकट बंटे हैं.
इन दोनों गठबंधन में शामिल अलग-अलग राजनीतिक दलों में नेताओं के बेटे, बेटियां, पत्नियां, बहुएं, दामाद और भतीजे चुनाव मैदान में हैं. एनडीए में हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के संस्थापक और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी अपने परिवार के सदस्यों को टिकट देने वालों की सूची में सबसे ऊपर हैं. मांझी की बहू दीपा कुमारी इमामगंज सीट से चुनाव लड़ रही हैं, जबकि दीपा कुमारी की मां ज्योति देवी को बाराचट्टी विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया गया है. मांझी के दामाद प्रफुल्ल मांझी को सिकंदरा विधानसभा सीट से टिकट मिला है.
NDA में किस किसको टिकट?
पूर्व सांसद अरुण कुमार एनडीए में अपने परिवार के तीन सदस्यों, बेटे, भाई और भतीजे के लिए टिकट पाने में कामयाब रहे हैं. अरुण के बेटे ऋतुराज कुमार घोसी विधानसभा सीट से जनता दल (यूनाइटेड) के उम्मीदवार हैं, जबकि उनके भाई अनिल कुमार और भतीजे रोमित कुमार को टिकारी और अतरी विधानसभा क्षेत्रों से हम (एस) का टिकट मिला है.
बीजेपी वंशवाद की राजनीति पर मुखर रहती है. भाई-भतीजावाद को लेकर विपक्षी दलों पर हमला करने का वो कोई मौका नहीं छोड़ती. उसने भी अपनी ही नीतियों के विपरीत जाकर निर्णय लिए हैं. बीजेपी ने 101 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं और प्रत्याशियों की सूची पर गौर करें तो उसने स्थापित राजनेताओं के परिवार के सदस्यों को टिकट दिया है.
इनमें प्रमुख नाम बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी का है. वह समता पार्टी के संस्थापक सदस्य और वरिष्ठ नेता शकुनि चौधरी के पुत्र हैं. सम्राट चौधरी तारापुर विधानसभा सीट से 15 साल बाद चुनाव लड़ रहे हैं. बीजेपी ने झंझारपुर विधानसभा सीट से नीतीश मिश्रा को फिर से उम्मीदवार बनाया है, जो बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा के पुत्र और पूर्व रेल मंत्री एलएन मिश्रा के भतीजे हैं. नीतीश मिश्रा वर्तमान में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली कैबिनेट में राज्य मंत्री भी हैं.
इसी तरह जमुई विधानसभा सीट से श्रेयसी सिंह को फिर से टिकट दिया गया है. श्रेयसी पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय दिग्विजय सिंह की पुत्री हैं, जबकि उनकी मां पुतुल कुमारी बांका संसदीय क्षेत्र से सांसद थीं. बीजेपी ने गौरा-बौराम विधानसभा सीट से अपना उम्मीदवार बदलकर सुजीत कुमार सिंह को टिकट दिया है. उनकी पत्नी स्वर्णा सिंह वर्तमान विधायक हैं. उन्होंने 2020 का विधानसभा चुनाव विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के टिकट पर जीता था, लेकिन बाद में बीजेपी में शामिल हो गईं.
पूर्व राज्यपाल के बेटे को टिकट
सूची में एक और नाम दीघा विधानसभा सीट से संजीव चौरसिया का है. संजीव बीजेपी नेता और पूर्व राज्यपाल गंगा प्रसाद के बेटे हैं. बांकीपुर विधानसभा सीट से नितिन नवीन को टिकट दिया गया है, जो पूर्व विधायक नवीन किशोर प्रसाद के बेटे हैं. इस लिस्ट में कई और नाम भी हैं.
- मधुबन सीट से लड़ रहे बीजेपी नेता राणा रणधीर पूर्व विधायक और पूर्व सांसद सीताराम सिंह के बेटे हैं.
- गोरियाकोठी सीट से किस्मत आजमा रहे देवेश कांत सिंह बीजेपी नेता और पूर्व विधायक भूपेन्द्र नारायण सिंह के बेटे हैं.
- तरारी सीट से लड़ रहे विशाल प्रशांत पूर्व विधायक सुनील पांडे के पुत्र हैं.
- परिहार सीट पर गायत्री देवी पूर्व विधायक राम नरेश यादव की बहू हैं.
- बरूराज सीट पर अरुण कुमार सिंह बीजेपी नेता बृज किशोर सिंह के बेटे हैं. उनके दादा यमुना सिंह भी बीजेपी में थे.
जेडीयू के उम्मीदवारों की सूची उसके गठबंधन सहयोगी से अलग नहीं है क्योंकि उसने कई ऐसे उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है जिनका संबंध मौजूदा राजनेताओं से है. बाहुबली नेता अनंत सिंह मोकामा से चुनाव लड़ रहे हैं. वे मौजूदा विधायक नीलम देवी के पति हैं. पूर्व सांसद आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद को नबीनगर सीट से और पूर्व मंत्री मंजू वर्मा के बेटे अभिषेक कुमार को चेरिया-बरियारपुर से उम्मीदवार बनाया गया है.
कोमल सिंह लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की सांसद वीणा देवी की बेटी हैं. कोमल सिंह गायघाट से चुनाव लड़ रही हैं. एक और कद्दावर नेता धूमल सिंह को एकमा सीट से टिकट दिया गया है, जहां उनकी पत्नी सीता देवी ने 2020 का विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन जेडीयू उम्मीदवार के रूप में आरजेडी के श्रीकांत यादव से हार गई थीं.
प्रभुनाथ सिंह के बेटे और भाई को टिकट
पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव की पत्नी विभा देवी नवादा विधानसभा सीट से जेडीयू उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रही हैं. इसी तरह पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह अपने बेटे और भाई के लिए दो अलग-अलग राजनीतिक दलों से टिकट पाने में कामयाब रहे हैं. उनके बेटे रणधीर सिंह मांझी विधानसभा क्षेत्र से जेडीयू उम्मीदवार हैं, जबकि उनके भाई केदारनाथ सिंह बनियापुर सीट से बीजेपी उम्मीदवार हैं.
रामविलास पासवान के पुत्र और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के नेतृत्व वाली एलजेपी ने उनके भतीजे सीमांत मृणाल को भी टिकट दिया है, जबकि उनके बहनोई पहले से ही जमुई से सांसद हैं. सासाराम विधानसभा क्षेत्र से स्नेहलता भी मैदान में हैं, जो राज्यसभा सदस्य और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी हैं.
आरजेडी में क्या हाल?
आरजेडी कई वर्षों से वंशवाद की राजनीति को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रही है. उसने भी कई ऐसे उम्मीदवार उतारे हैं जिनमें पूर्व मुख्यमंत्रियों लालू प्रसाद और राबड़ी देवी के बेटे तेजस्वी यादव भी शामिल हैं, जो राघोपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. पार्टी ने मोहम्मद शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा को सीवान जिले की रघुनाथपुर सीट से टिकट दिया है, जबकि पूर्व विधायक और बाहुबली नेता मुन्ना शुक्ला की बेटी शिवानी शुक्ला को लालगंज विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया है. शिवानी शुक्ला की मां इस सीट से पूर्व विधायक हैं.
आरजेडी ने शाहपुर विधानसभा सीट से वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी के बेटे राहुल तिवारी को भी मैदान में उतारा है. पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा प्रसाद राय की पोती करिश्मा राय परसा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं, जबकि पूर्व विधायक जगदीश शर्मा के बेटे राहुल शर्मा घोसी सीट से उम्मीदवार हैं. वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने अपने छोटे भाई संतोष सहनी को गौरा-बौराम सीट से मैदान में उतारा है, जहां उनका आरजेडी उम्मीदवार अफजल अली खान के साथ मुकाबला है.

