शिक्षा विभाग का बड़ा फैसला, दो बार सीजी बोर्ड आयोजित करने से छात्र-अभिभावक होंगे प्रोत्साहित

छत्तीसगढ़ न्यूज :

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विद्यार्थियों के हित में, कमजोर छात्रों के लिए संजीवनी का काम करेगा- शिक्षाविद्

छत्तीसगढ़ न्यूज : राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल के एक अहम प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है जिसके अंतर्गत बोर्ड की मुख्य परीक्षा 10-12 वीं अब सत्र के दौरान 2 बार आयोजित होगी। 3 माह के अंतराल में होने वाली दूसरी मुख्य परीक्षा में वे विद्यार्थी बैठ सकेंगे जो पहली मुख्य परीक्षा में फेल हो गए हैं या श्रेणी सुधार चाहते हैं या कि उन्हें पूरक मिला था। किन्हीं कारणों से पहली परीक्षा से चुके विद्यार्थी दूसरी मुख्य परीक्षा में बैठ सकेगे।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति में छात्रों के तनाव को कम करने पर जोर दिया गया है-

दरअसल राष्ट्रीय शिक्षा नीति में विद्यार्थियों का तनाव कम करने पर जोर दिया गया है। केंद्रीय नई दिल्ली माध्यमिक शिक्षा मंडल में भी इस व्यवस्था को लागू करने की कवायद शुरू हो गई है। पर इधर छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल ने कदम उठा लिए है उसने स्कूल शिक्षा विभाग को प्रस्ताव बनाकर भेजा था। जिस पर विभाग ने सहमति प्रदन्त करते हुए मुहर लगा दी है। हालांकि अभी क्या स्पष्ट नहीं किया गया है की नई व्यवस्था चालू सत्र 2023-24 से ही लागू कर दी जाएगी या फिर नए सत्र 24-25 में। पर जानकारों का कहना है कि चालू सत्र से ही लागू कर देने में कोई दिक्कत नही है।

छात्र बिना किसी तनाव के पहली मुख्य परीक्षा देंगे –

बहरहाल इस निर्णय के कई प्रभाव पड़ेगे। पहला प्रभाव विद्यार्थी प्रथम मुख्य परीक्षा बगैर तनाव के देगा। फेल या पूरक भी आता है तो तनाव नही होगा वजह उसके पास दूसरी बार बैठने का मौका रहेगा। मसलन कमजोर विद्यार्थियों को दूसरी बार महज 3 माह में परीक्षा पास करने का मौका मिलेगा। इससे 10-12वीं बोर्ड मुख्य परीक्षा में फेल होने वाले विद्यार्थियों को प्रोत्साहन मिलेगा वे कमजोरी को जान दूसरा प्रयास करेंगे। किन्हीं कारणों से जो विद्यार्थी पहली मुख्य परीक्षा में बैठने से वंचित हो गए होंगे(फार्म भरने के बाद) यानी जो पंजीकृत हुए थे परीक्षा हेतु वे भी दूसरी मुख्य परीक्षा देकर 3 माह में पास हो सकेगे। यानी एक बरस खराब होने से बच जाएगा। तो वहीं पूरक परीक्षा अलग से आयोजित नही करनी पड़ेगी। पहली परीक्षा में पूरक पाने वाले भी दूसरी मुख्य परीक्षा के वक्त पूरक वाला विषय फिर से दे सकेगे। चूंकि श्रेणी सुधार का भी मौका इसमें दिया गया है। लिहाजा पहली परीक्षा में कमतर प्रदर्शन करने वाले-दूसरी परीक्षा देकर अच्छा प्रदर्शन करने का मौका तीन माह में पा सकेंगे। इसमें एक अच्छी बात यह है कि पहली हो या दूसरी मुख्य परीक्षा अगर विद्यार्थी दोनों में शामिल होता है तो जिसमें ज्यादा नंबर रहेगा वह अंकसूची में जुड़ेगा। यह प्रत्येक विषय के साथ रहेगा। मसलन 6 विषय में दूसरी परीक्षा में शामिल होने पर अगर चार में बढ़ता है तो चारों लागू। शेष में यदि नही बढ़ता तो उसमें पहले प्राप्त अंक (ज्यादा) दूसरी में मान्य होंगे। बेशक यह व्यवस्था प्रोत्साहित करती है अध्ययन के प्रति।

शिक्षाविद् के मुताबिक कमजोर छात्रों के लिए यह संजीवनी साबित होगी

विशेषज्ञों का कहना है कि यह व्यवस्था शिक्षा में बदलाव लाकर उसे बेहतर बनाएगी जेईई में भी दो बार मौका दिया जाता है। इससे स्कूल ड्राफ्ट (छोड़ने) वालों की संख्या तेजी से गिरेगी। सबसे ज्यादा प्रभाव यह पड़ेगा कि जो विद्यार्थी फेल या पूरक या कम प्रतिशत आने पर आत्महत्या जैसा घातक अप्रिय कदम उठा लेते थे उस पर कदाचित विराम लगेगा। इस व्यवस्था में एक और अच्छा कदम है वह यह कि पहली परीक्षा में जिन विषयों में कम अंक मिले होंगे विद्यार्थी चाहे तो उन्हीं विषयों में दोबारा परीक्षा देकर अंक बढ़ाने का प्रयास कर सकेगे यानी चाहे 2 हो या 4 या 6 विषय विद्यार्थी खुद तय कर सकेगे। दूसरी परीक्षा में बैठने के लिए विद्यार्थियों को पुन: आवेदन करना होगा। शिक्षाविदों का मानना है कि यह निर्णय पालको को प्रेरित करेगा कि वे बच्चों को फेल होने पर दोबारा प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। साथ ही उनका प्रयास होगा कि बच्चे कम से कम 10-12वीं तक पढ़ाई पूरी कर लें। इसका एक अन्य प्रभाव दिखेगा उच्च शिक्षा प्राप्त करने वालों का प्रतिशत बढ़ेगा। यानी महाविद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या में इजाफा होना तय है। एक बड़े शिक्षाविद के अनुसार यह कमजोर विद्यार्थियों के लिए संजीवनी साबित होगा।

(लेखक डा. विजय)

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