मौसम की मुस्कुराहट व्यक्त करता बसंत ..!
तमाम शिक्षण संस्थाओं में मां सरस्वती देवी की पूजा-अर्चना की गई।
बंसत पंचमी 2024 : आज बुधवार को बसंत पंचमी है। दिवस विशेष पर मां सरस्वती की पूजा की जा रही है। मान्यता है कि आज के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। शिक्षा क्षेत्र से जुड़े विद्यार्थियों के लिए भी दिवस महत्व रखता है। छोटे बच्चों को आज के दिन से अक्षर ज्ञान कराने से उनकी प्रगति का मार्ग प्रशस्त होता है। बसंत ऋतु का आगमन आज से ही माना जाता है,जो छह ऋतुओं के मध्य ऋतुराज के नाम से जाना जाता है।
तमाम शिक्षण संस्थाओं में आज बसंत पंचमी पर देवी मां सरस्वती की पूजा अर्चना कर विविध कार्यक्रम आयोजित हैं। विद्यार्थी आमतौर पर दिवस विशेष पर गुरुजनों का तिलक-टीका कर उनसे आशीर्वाद लेते हैं। बसंत ऋतु पर मौसम सुहावना हो जाता है। सर्वत्र उत्साह-उमंग नजर आता है।
बसंत यानी जैसे वन द्वार पर खुशबुओं की दस्तक। बाग-बगीचों में कोयल का गीत। खेतों में जैसे सरसों का संगीत, आम मंजरी की महक, आंगन में फुदकती गौरैया की चहक। टेसुओं की टोली का प्रतीक बसंत। उल्लास, आशा, मस्त मौसम की जैसे मृदंग हो बसंत।
बहरहाल देश में मां सरस्वती का प्राकट्य दिवस है बसंत पंचमी। आरंभ शुभ माना जाता है। सच-मायनों में बसंत पंचमी भारत की संस्कृति का सम्मान भी है। शिक्षण संस्थाओं में बसंत पंचमी पर विद्यार्थी-शिक्षक मां सरस्वती देवी के समक्ष मंत्र पढ़ते हैं -” या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।” यह मंत्र प्रतिष्ठिा-निष्ठा का मंत्र होता है। विद्यादान का मंत्र-ज्ञानदान का मंत्र है अक्षर के अभियान का मंत्र है।
बसंत पंचमी की एक विशेषता यह भी हैं कि इसके पांच अंक में जैन धर्म के पंच परमेष्ठी भी शामिल है। जो गणेश जी का प्रतीक माना गया है। कहते है कि इसी वजह से बसंत पंचमी गणेश जी को सरस्वती जी से और सरस्वती जी को गणेश जी से जोड़ती है। परिवार में एकता से जीवन-यापन सिखाती है।
पर्व विशेष भले ही शिक्षण संस्थाओं में मनाया जाता है। पर लेखक, साहित्यकार, रचनाकार, सृजनकर्मी भी दिवस पर मां सरस्वती की पूजा अर्चनाकर आशीर्वाद लेते हैं। बसंत पंचमी के दिन से मौसम सुहावना बन पड़ता है – न तो अधिक ठंड और न गर्मी। बल्कि बहार चलती है जो तन-मन को उल्लास उमंग से भर देती है।