पूरे देश में मनाया जा रहा है बकरीद, जानिए क्यों दी जाती है आज के दिन बकरे की कुर्बानी

ईद उल अजहा(बकरीद) आज पुरे देश में धूम धाम से मनाई जा रहे है। बकरीद को लेकर मुस्लिम धर्मावलंबियों में काफी उत्साह है। इसको लेकर लोगों ने जमकर कुर्बानी के लिए बकरे की खरीदारी की। ईद की नमाज होने के बाद बकरे या किसी अन्य जानवर की कुर्बानी का सिलसिला शुरू हो जाएगा। बाजारों में दिनभर चहल-पहल बानी रही। डेढ़ लाख से लेकर 10 हजार रुपये तक का बकरा कुर्बानी के लिए बिका।
इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, इस्लाम के पैगंबर हजरत इब्राहिम 80 साल की उम्र में पिता बने थे। उनके बेटे का नाम इस्माइल था। इस्माइल से पिता हजरत इब्राहिम को बहुत ज्यादा प्यार था। इसी दौरान हजरत इब्राहिम को एक रात ख्वाब आया कि उन्हें अपनी सबसे प्यारी चीज को कुर्बान करना होगा। इस्लामिक जानकार बताते हैं कि हजरत इब्राहिम के लिए ये अल्लाह का हुक्म था, जिसके बाद हजरत इब्राहिम ने बेटे को कुर्बान करने का फैसला कर लिया।
इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, अल्लाह के हुक्म पर बेटे इस्लाइन की कुर्बानी देने से पहले हजरत इब्राहिम ने कड़ा दिल करते हुए आंखों पर पट्टी बांध ली और उसकी गर्दन पर छुरी रख दी। हालांकि, उन्होंने जैसे ही छुरी चलाई तो वहां अचानक उनके बेटे इस्माइल की जगह एक दुंबा (बकरा) आ गया। हजरत इब्राहिम ने आंखों से पट्टी हटाई तो उनके बेटे इस्माइल सही-सलामत थे। इस्लामिक मान्यता है कि ये सिर्फ अल्लाह का एक इम्तिहान था। अल्लाह के हुकुम पर हजरत इब्राहिम बेटे को भी कुर्बान करने के लिए तैयार हो गए। इस तरह जानवरों की कुर्बानी की यह परंपरा शुरू हुई।