ई.ऑटो रिक्शा से राजधानी में यातायात बाधित
लाख कोशिश करने के बाद भी ट्रैफिक पुलिस ई-ऑटो रिक्शा चालकों पर सख्त कार्रवाई नहीं कर पा रही है, राजधानी रायपुर में इनकी संख्या हजारों में पहुंच गई है। जिसमें ट्रैफिक जाम की समस्या रहती है।
रायपुर न्यूज : यातायात पुलिस ई ऑटो रिक्शा वालों पर चाहकर भी सख्ती नही बरत पा रही है। राजधानी रायपुर में इनकी संख्या हजारों में चली गई है। जिसमें ट्रैफिक जाम की भी नौबत आ रही है। तो वही हड्डी रोग, कमर दर्द से पीड़ित एवं ऑपरेशन वाले मरीजों को इसकी सवारी से तकलीफ हो रही है।
ई.ऑटो रिक्शा की बाढ़ आने की कुछ खास वजहों में पहले राज्य सरकार ने महिलाओं को एवं रोजगार वास्ते ई. ऑटो रिक्शा सब्सिडी पर दिए। नतीजन सैकड़ो महिलाओं ने इसका लाभ उठाया। पर ऑटो वे खुद न चलाकर घर पर उनके पुरुष परिजन दौड़ा रहे हैं। इस योजना का लाभ उठाने वाली महिलाओं की संख्या दिनों दिन बढ़ी। कुछ महिलाएं भी अब ऑटो चलाने लगी है। पर पुरुष चालक ज्यादा हैं।
दूसरी वजह बैटरी चलित होने से एवं गरीबी रेखा वालों को मुफ्त बिजली तथा दीगर ग्राहकों को आधे दाम पर बिजली मिलने से चालक बड़ी आसानी से बैटरी चार्ज कर ले रहे हैं। चालकों का कहना है कि बिजली बिल माह भर बैटरी चार्ज करने ( 5-6 घंटा) से महज 500-700 रुपए अतिरिक्त आता है। तीसरा इसे चलाने के लिए लाइसेंस नही चाहिए। फिर चलाने में भी आसानी। हल्की होने से आपरेट करना सरल है। इसके संचालन में अन्य खर्च नगण्य प्रायः है। कभी-कभार ही पंचर होती है। इंजन है नही लिहाजा बिगड़ने या आइल का भी खर्च नही बैठता। एक दिन में 1000-1200 कमा लेते हैं।
ई. ऑटो रिक्शा चालकों के लिए न तो परमिट सिस्टम है और न ही स्टैंड न ही गाड़ी कागजात रखने का सिरदर्द। वर्तमान में दो से तीन लाख में ई.ऑटो रिक्शा घर बैठे आसान किस्तों में खुद कंपनिया प्राइवेट बैंक, फाइनेंसर उपलब्ध करा रहें हैं। यही वजह है कि शहर में ई.ऑटो रिक्शा की बाढ़ आ गई। ट्रैफिक पुलिस का अनुमान है कि 8 से 10 हजार ई.ऑटो रिक्शा दौड़ रहे हैं। जिस सड़क चौक-चौराहे पर देख लें हर तीन-चार मिनट में दर्जनों ऑटो दिख जाते हैं। लंबी सड़क पर सैकड़ो तीन सवारी की जगह 6-8 सवारी बैठा रहे हैं। चलान न के जितना कटता है। ट्रैफिक नियमों का पालन करते नही है। नतीजन जाम की नौबत आती है। कहीं भी सवारी आसानी से बिठा-उतार लेते हैं।
बीच से यातायात पुलिस ने व्यवस्था बनाने की बात कही थी। पर उस पर अमल नही हुआ। पेट्रोल डीजल वाले ऑटो नगण्य रह गए है। नए की बिक्री (डीजल) प्रतिबंधित है। अतः 90-95 प्रतिशत ई.ऑटो रिक्शा दौड़ रहें हैं। ये बात खुद ट्रैफिक पुलिस कहती है, नियमों की कमी का ऑटो चालक (ई.ऑटो रिक्शा) बेजा फायदा उठा रहे हैं। वे भी मानते हैं कि इससे ट्रैफिक जाम हो रहा है। लेकिन वे यह कहते हुए हाथ उठा देते हैं कि उनके हाथ बंधे हुए हैं।