काऊ कैचर टीम की धरपकड़ शुरू, हाईकोर्ट के न्यायाधीश वस्तुस्तुति देखने राजधानी का मुआयना किया

खबर फैलते ही मालिक अपने जानवरों को ढूंढते घर ले जाते दिखे।
रायपुर। सन्यासी पारा रायपुर में कुछ दिन पूर्व आवारा सांड के हमले से मारी गई वृद्धा मामले को लेकर जिला प्रशासन गंभीर हुआ तो उधर हाईकोर्ट बिलासपुर में एक जनहित याचिका बाद, वहां से न्यायाधीशों की एक टीम जांच हेतु रविवार को राजधानी पहुंच गई हैं।
उपरोक्त परिस्थितियों को मददेनजर रखते हुए जिला प्रशासन के आदेश उपरांत नगर निगम की काऊ कैचर गाड़ी शुक्रवार को दौड़ने लगी है। बताया जा रहा है पहले ही दिन आधा दर्जन से अधिक चौराहों, विभिन्न मार्गों से 100 से अधिक आवारा घूम रहे गाय-बैल पकड़े गए। जिन्हें गौठानों में ले जाया गया। काऊ कैप्चर टीम ने क्रमशः मालवीय रोड, बिजली ऑफिस चौक, कालीबाड़ी, संतोषी नगर, टिकरापारा, बुढ़ेश्वर मंदिर चौक, नगर निगम भवन (गांधी सदन), श्याम टॉकीज तिराहा आदि स्थानों पर धर पकड़ की।
टीम के सदस्य एक मोटे रस्से में फंदा बना रखे थे। वे वाहन जानवरों के समीप रोक तुरंत फंदा उनके गले में फेंक कस लेते। फिर खींच कर, लाठी से मारकर (हकाल कर) डालर में चढ़ाते देखे गए। इस दौरान अन्य पशु नजारा देख-माजरा भांप कर आसपास खाली जगहों की ओर दौड़ लगाते-भागते रहे। यानी आधा दर्जन जानवरों का झुंड मिला तो टीम बमुश्किल 1 या 2 पशु पकड़ पा रही थी। दहशत में भागते गाय-बैल बछड़ों को देख लोग(राहगीर) डर जा रहे थे।
जानकारों का कहना है कि अगर घास या सब्जी, ब्रेड आदि खाद्य पदार्थ डाल पशुओं को आकृष्ट किया जाए तो कुछ ज्यादा सफलता मिलेगी। उधर जिला प्रशासन ने कहा कि जिन मालिकों के जानवर पकड़े जा रहे हैं उनसे 1000 रुपए जुर्माना वसूले रसीद दें अगर दूसरी बार पकड़े जाए तो 5000 रुपए तक जुर्माना वसूला जाए।
खैर ! रविवार को न्यायाधीशों की टीम राजधानी के सड़कों, चौक चौराहों, गलियों का मुआयना ततसंदर्भ में किया। संभव है कि टीम आमजनों से संक्षिप्त चर्चा कर उनकी राय जानी। देखना होगा कि अचानक मुस्तैद हुई काऊ कैप्चर टीम कितना स्कोर (पकड़) पाती है। 2 टीमें क्रमशः सुबह 6 से दोपहर 2 बजे एवं दोपहर 2 से रात 10 बजे तक धर पकड़ कर रही है। सूत्रों के अनुसार संबंधित जानकारी पता चलते ही (धरपकड़) पशु मालिकों ने अपने जानवरों की तलाश शुरू कर दी है। बहुत से लोग जानवर ढूंढकर फिलहाल घर ले गए हैं। मालिक अपने जानवरों को रिझाने,पकड़ने सुरक्षित करने खाद्य सामग्री साथ रखे हुए थे।
ई. ग्लोबल न्यूज़ इन ने उक्त जनहित याचिका एवं वृद्धा घटनाक्रम के बहुत पहले अपनी 2 रिपोर्ट में सुझाव दिए थे। जिसमें बताया गया था कि आवारा जानवरों के अस्थाई पकड़-धकड़ जुर्माना और फिर छोड़ देने से समस्या बरकरार रहेगी। भले कुछ दिनों के लिए राहत मिलेगी। इस कार्रवाई के बजाय आवारा पशुओं को पकड़ कर नीलाम करने, गोद देने एवं शहर के चारों ओर शासकीय पड़ी खुली जमीनों पर गोठान बना रखने का सुझाव दिया था। गोद लेने वाले नए मालिकों को लाभांश समय-समय पर दूध, दही, घी आदि प्रदत्त करें। इससे शासन पर एकाएक ज्यादा खर्च भी नहीं आएगा। (लाभांश घर पहुंचा कर दिया जाए)