रायपुर उत्तर विधानसभा क्षेत्र 2023 : उत्तर विधानसभा क्षेत्र दिनों दिन दिलचस्प बन रहा ..!
रायपुर उत्तर विधानसभा क्षेत्र 2023 : भाजपा -कांग्रेस के साथ-साथ निर्दलीय उम्मीदवार भी सुबह से शाम तक लगातार प्रचार कर रहे हैं।
रायपुर उत्तर विधानसभा क्षेत्र 2023 : रायपुर उत्तर विधानसभा का चुनाव दिनों दिन दिलचस्प हुआ जा रहा है। रायपुर उत्तर विधानसभा क्षेत्र 2023 भाजपा-कांग्रेस के साथ निर्दलीय उम्मीदवार भी लगातार सुबह से शाम प्रचार-प्रसार में डटे हैं। इस बीच वोट के केंद्रीकरण की बात भी उड़ने लगी है।
दरअसल उत्तर विधानसभा के लिए कांग्रेस ने एक बार फिर से विधायक कुलदीप जुनेजा को टिकट दिया है। जबकि यहां से दो अन्य दावेदार दावे कर रहे थे। एक दावेदार तो जुनेजा के लिए कहे मुताबिक चुनाव संचालन में लग गए हैं। तो दूसरे युवा कांग्रेसी अजीत कुकरेजा बाकायदा निर्दलीय लड़ रहे हैं। सिंधी समुदाय ने यहां से टिकट मांगी थी। पर कांग्रेस ने जुनेजा पर भरोसा जताया है। कहा जा रहा है कि धमतरी में सिख समाज के प्रत्याशी की टिकट कटी है, जिसे संतुलन देने जुनेजा को फिर से उतरा गया है। जुनेजा को सिख समाज का नेता बताया जाता है। खैर! टिकट न मिलने पर खफा सिंधी समाज ने अजीत कुकरेजा पर भरोसा जताते हुए उन्हें निर्दलीय खड़े होने कहा। अब यह समाज के लिए खुद प्रतिष्ठा की बात बन गई है। सवाल उठ रहा है कि कांग्रेस को जो सिंधी समाज वोट दे रहा था। वह अब कुकरेजा को समर्थन-वोट देगा। इससे कांग्रेस को नुकसान होगा।
उधर सिंधी समुदाय ने भाजपा से भी सिंधी प्रत्याशी को टिकट देने की मांग दोहराई थी। सुंदरानी को भाजपा यहां से दो बार लड़ा चुकी है। वे विधायक रहे भी हैं। पर इस बार भाजपा ने प्रसिद्ध उड़िया नेता पुरंदर मिश्रा पर भरोसा करते हुए उन्हें टिकट दिया। इस क्षेत्र में हजारों की तादाद में उड़िया समाज के लोग रहते हैं। वे खुश हैं कि उनकी मांग भाजपा ने मान ली। प्रदेश में एक मात्र उड़िया नेता को टिकट भाजपा ने दी। उड़िया समाज के लोग प्रदेश में दर्जन भर विधानसभा क्षेत्र में प्रभाव छोड़ते हैं। पर एक पेच आ रहा है। कहा जा रहा हैं कि सिंधी समाज का मतदाता ज्यादातर भाजपा को वोट देता है। लिहाजा अजीत कुकरेजा जो वोट काटेंगे। वह कांग्रेस का नहीं बल्कि भाजपा का होगा। उधर उड़िया समाज की एक भाजपा नेत्री सावित्री जगत भी निर्दलीय खड़ी है। जिस पर कहा जा रहा है कि कुछ उड़िया वोट काटेगी। चर्चा है कि कुकरेजा जब खिन्न होकर निर्दलीय लड़ रहे हैं। तो वे कांग्रेस का वोट न काट भाजपा का वोट काटेंगे। तो फिर उनके विरोध स्वरूप खड़े होने का क्या लाभ। उन्होंने पार्टी को क्यों नाराज किया। जबकि उन्हें (कुकरेजा) इससे नुकसान हो सकता है। ठीक यही सवाल सावित्री पर आ रहा है कि वे कांग्रेस को पड़ने वाले उड़िया वोट कांटेगी। ऐसे में उन्हें विरोध स्वरूप खड़े होने का क्या लाभ पार्टी को नाराज किया। उन्हें (सावित्री) भी नुकसान हो सकता है।
खैर ! चुनाव में मोहल्ले दर मोहल्ले चर्चा अलग- थलग होते रहती है। कांग्रेस-भाजपा दोनों के प्रत्याशी अपने समर्थक- कार्यकर्ताओं के साथ दिन-रात एक किए हुए हैं। जुनेजा फिर एक मौका अन्य काम करने के लिए मांग रहे है तो वही पुरंदर मिश्रा कह रहे हैं कि क्षेत्र में बहुत से विकास कार्य करने है। उन्हें एक बार मौका दें तो वे विकास कार्यों को की बाढ़ ला देंगे। वे दावा करते हैं कि उन्हें तमाम समुदायों का समर्थन प्राप्त हो रहा है।
( लेखक डॉ. विजय)