Wed. Sep 17th, 2025

Vinayak Chaturthi 2024: आज मनाई जाएगी आषाढ़ विनायक चतुर्थी, कथा सुनने और पढ़ने मात्र से दूर हो जाएंगी जीवन की सारी बाधाएं

Vinayak Chaturthi 2024:

Vinayak Chaturthi 2024: विनायक चतुर्थी व्रत के दौरान कथा सुनने और पढ़ने का विशेष महत्व है। अगर आप चतुर्थी तिथि पर व्रत नहीं कर रहे हैं तो कथा सुनने मात्र से ही जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

Vinayak Chaturthi 2024 रायपुर। आज आषाढ़ विनायक चतुर्थी व्रत मनाया जा रहा है। पंचांग के अनुसार हर माह दो चतुर्थी व्रत रखे जाते हैं। एक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को और दूसरा शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। दोनों ही चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा की जाती है। विनायक चतुर्थी व्रत के दौरान कथा सुनने और पढ़ने का विशेष महत्व है। अगर आप चतुर्थी तिथि पर व्रत नहीं कर रहे हैं तो कथा सुनने मात्र से ही जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। आइए जानते हैं विनायक चतुर्थी व्रत की कथा के बारे में

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार माता पार्वती और भगवान महादेव नर्मदा नदी के तट पर चौपड़ खेल रहे थे। खेल में हार-जीत का फैसला करने के लिए महादेव ने एक पुतला बनाकर उसकी प्राण प्रतिष्ठा की। भगवान महादेव ने बालक से कहा कि जीतने पर विजेता का फैसला करना। महादेव और माता पार्वती खेलने लगे और तीनों बार माता पार्वती जीत गईं। खेल खत्म होने के बाद बालक ने महादेव को विजेता घोषित कर दिया। यह सुनकर माता पार्वती क्रोधित हो गईं और बालक को अपंग रहने का श्राप दे दिया।

माता पार्वती ने बताया उपाय

इसके बाद बालक ने माता पार्वती से माफी मांगी और कहा कि यह गलती से हुआ था। जिसके बाद माता पार्वती ने कहा कि श्राप वापस तो नहीं लिया जा सकता लेकिन इसका एक उपाय है। माता पार्वती ने बालक को उपाय बताते हुए कहा कि भगवान गणेश की पूजा करने नाग कन्याएं आएंगी और तुम्हें उनके कहे अनुसार व्रत करना होगा, जिससे तुम श्राप से मुक्त हो जाओगे। बालक कई वर्षों तक श्राप से जूझता रहा और एक दिन नाग कन्याएं भगवान गणेश की पूजा करने आईं। जिनसे बालक ने गणेश व्रत की विधि पूछी। बालक ने सच्चे मन से भगवान गणेश की पूजा की, जिससे भगवान गणेश प्रसन्न हुए और उसे वरदान मांगने को कहा।

बालक को मिली शाप से मुक्ति

बालक ने भगवान गणेश से प्रार्थना की और कहा, हे विनायक, मुझे इतनी शक्ति दीजिए कि मैं कैलाश पर्वत पर चल सकूं। भगवान गणेश ने बालक को आशीर्वाद दिया और अंतर्ध्यान हो गए। इसके बाद बालक ने कैलाश पर्वत पर भगवान महादेव के श्राप से मुक्त होने की कथा सुनाई। चौपड़ के दिन से ही माता पार्वती भगवान शिव से नाराज हो गई थीं। बालक के बताए अनुसार भगवान शिव ने भी 21 दिनों तक भगवान गणेश का व्रत किया। व्रत के प्रभाव से माता पार्वती के मन से भगवान महादेव के प्रति नाराजगी समाप्त हो गई। मान्यता है कि जो लोग सच्चे मन से भगवान गणेश की पूजा और प्रार्थना करते हैं, उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं। साथ ही कथा सुनने और पढ़ने मात्र से ही जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।

About The Author