Aghan Guruwar : तीसरे अगहन गुरुवार को कैसे पाएं महालक्ष्मी की कृपा ? जानिए व्रत विधि और पूजा

Aghan Guruwar :
Aghan Guruwar : अगहन मास चल रहा है और इस दिन माता Aghan Guruwar लक्ष्मी के साथ गणेश भगवान का पूजा व्रत का योग है। हिंदी महीनों के अनुसार, अगहन के महीना की शुरूआत हो चुकी है। इस महीने में गुरुवार का काफी महत्व माना जाता है, जिसे अगहन गुरुवार कहते हैं। अगहन मास में हर गुरुवार के दिन महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है. माता को प्रसन्न करने और महालक्ष्मी की कृपा सदैव परिवार पर बने रहने के लिए अगहन गुरुवार के मौके पर घर में महिलाओं द्वारा मां लक्ष्मी की विशेष पूजापाठ की जाती है गुरुवार को ये तिथि होने से इस दिन गणेश जी के साथ भगवान विष्णु और गुरु ग्रह की विशेष पूजा करनी चाहिए। इनके साथ ही श्रीकृष्ण का गंगा जल से अभिषेक करना चाहिए।माता लक्ष्मी के साथ श्री हरि विष्णु के साथ गणपति की पूजा करने से सारी विपत्ति दूर होती है। मां लक्ष्मी के स्तोत्र का पाठ करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
माता लक्ष्मी की पूजा
अगहन गुरुवार को माता लक्ष्मी का विशेष पूजा (अगहन गुरुवार) को किया जाता है। बुधवार की रात घर की सफाई कर चवाल के आटे से अल्पना बनाई जाती हैं माता के चरणों का छाप बनाकर माता का विधि विधान व्रत उपवास पूजा करते हैं माँ को लाल एवं पीले गेंदा के फूल से पूजा की जाती है। माता की पूजा में चावल, कुमकुम, हार-फूल, फल, मिठाई,नारियल, सूखे मेवे, पान आंवला, आंवला के पत्ते, आम के पत्ते, नारियल के पत्ते से माता का दरबार को सजाया जाता हैं अल्पना से आंगन और कमरों में माँ के पद्चिन्ह बनाये जाते हैं। लक्ष्मी माता की चालीसा अगहन व्रत कथा की कहानी पढ़ी जाती हैं मां लक्ष्मी के स्तोत्र का पाठ करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। माँ को चावल से बनी मीठी सामग्री का भोग लगाते हैं।
गणपति की पूजा
घर के मंदिर में गणेश जी पूजा करें। गणेश जी को सिंदूर, दूर्वा, फूल, चावल, हार-फल, मिठाई अर्पित करें। धूप-दीप जलाएं। गणेश जी के मंत्रों का जप करते हुए आरती करें। लड्डू का भोग लगाएं। इस प्रकार पूजा करने के बाद गणेश जी के सामने व्रत करने का संकल्प लें। इस व्रत में दिनभर निराहार रहते हैं और शाम को चंद्र दर्शन के बाद व्रत खोला जाता है।
अगहन मास में ऐसे करें श्रीकृष्ण की पूजा
सबसे पहले प्रथम पूज्य भगवान गणेश की विधिवत पूजा जरूर करें। गणेश प्रतिमा पर जल चढ़ाएं, वस्त्र, चंदन, दूर्वा, हार-फूल अर्पित करें। भोग लगाएं। धूप-दीप जलाएं और आरती करें।
भगवन कृष्ण को सुगंधित फूलों वाले गंगा जल से स्नान कराएं, दूध से अभिषेक करें। भगवान को चावल, कुमकुम, हार-फूल, अष्टगंध, जनेऊ, फल, मिठाई, नारियल, सूखे मेवे, पान और दक्षिणा चढ़ाएं।पंचामृत का भोग लगाएं। दूध, दही, घी, शहद और मिश्री मिलाकर पंचामृत बनाया जाता है। तुलसी के साथ भोग लगाएं।