छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 : रूठों को मनाने -समझाने बहलाने का दौर तो इधर मतदाताओं के मध्य कयासों का वक्त

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 :
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 : प्रत्याशियों की घोषणा बाद ! ना रहेगा बांस ना बजेगी बांसुरी !
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 : रायपुर विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों की घोषणा के बाद, नाराज दावेदारों को छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 मनाने, भीतरघात रोकने हेतु घेराबंदी शुरू हो गई है। तो वही मतदाताओंं के बीच भी चर्चा चल रही है कि प्रत्याशी कैसा, छूट गया दावेदार क्या कुछ करेगा आदि।
हर राजनैतिक दल में एक-एक सीट के लिए कई दावेदार होते हैं। ठीक वैसे ही जैसे किसी सरकारी-गैर सरकारी पदों पर भर्ती के लिए एक सीट सौकड़ों प्रत्याशी। खैर अधिक दावेदार होना लोकतंत्र का प्रतीक भी है। पर एक को टिकट मिल जाने पर बाकी का नाराज होना भी स्वाभाविक है। लिहाजा शेष को मनाने, समझाने, बहलाने का कार्य संगठन एवं पार्टी के बड़े नेताओं की जवाबदारी है।
इस क्रम में शेष दावेदारों को संगठन में कई पद दिए गए जा रहे हैं। मसलन प्रवक्ता प्रभारी आदि। उन्हें अपने विधानसभा से इतर भेजा जा रहा है। शायद भीतरघात न हो जाए इसलिए। यानी न बांस रहेगा ना बांसुरी बाजेगी। नई जगह दो-तीन हफ्ते रहने से माहौल बदलेगा -सम्मान मिलेगा, अच्छा खान-पान चलेगा। बस मन बहल जाएगा- समय (चुनाव) कट जाएगा। या फिर सरकार बनने पर कोई पद देने का वादा किया जाता है। इधर पार्टी-प्रत्याशी भी अपने हिसाब से चुनाव लड़ लेगा। यानी पार्टी का तनाव कम होगा।
राज्य में आधा दर्जन से ऊपर दल चुनाव में प्रत्याशी खड़ा कर रहे हैं। छोटे- मंझोले दलों को जोड़ो तो 10 के करीब बड़े दलों में दावेदार ज्यादा होना स्वाभाविक है। छोटे दल में कम। बावजूद सभी जगह कम-ज्यादा नाराजगी टिकट को लेकर रहती हैं। आम मतदाता इसका मजा लेता है। वह इससे बनता बिगड़ता माहौल देखकर आपस में चर्चा करता हैं। नतीजे पर पड़ने वाले प्रभाव को ले कयास लगाता है।
(लेखक डॉ. विजय )