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हाई कोर्ट ने एमसीडी को प्लास्टिक, इलेक्ट्रिकल, मेडिकल कचरे की अवैध डंपिंग रोकने का दिया निर्देश

दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम को राष्ट्रीय राजधानी के भीतर बिजली, प्लास्टिक और मेडिकल कचरे की अवैध डंपिंग को रोकने का निर्देश दिया है। अदालत ने 2020 में राष्‍ट्रीय राजधानी के विभिन्न गांवों में कचरे के अनुचित डंपिंग के साथ-साथ अन्य प्रदूषक इंडस्ट्रियल यूनिट के एमिशन से उत्पन्न प्रदूषण पर स्वत: संज्ञान जनहित याचिका शुरू की थी। अदालत ने कहा कि चूक करने वाली इकाइयों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरुला की खंडपीठ ने नागरिक निकाय को दिल्ली नगर निगम अधिनियम 1957 के तहत सभी दोषी इकाइयों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया है।

पीठ ने कहा कि एमसीडी यह सुनिश्चित करेगी कि वैधानिक प्रावधान के विपरीत दिल्ली में इलेक्ट्रॉनिक, प्लास्टिक और मेडिकल कचरे की अवैध डंपिंग न हो। एमसीडी डीएमसी अधिनियम की धारा-416 के तहत सभी डिफ़ॉल्ट इकाइयों के खिलाफ उचित कार्रवाई करे और अन्य प्राधिकरण भी दिल्ली में सभी उल्लंघन करने वाली इकाइयों के खिलाफ कानून के अनुसार उचित कार्रवाई करेंगे।

पीठ ने एमसीडी को पर्यावरण कानूनों के तहत वैधानिक प्रावधान का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने और मानदंडों का उल्लंघन करने वाली इकाइयों और गैर-औद्योगिक क्षेत्रों में कार्यात्मक इकाइयों के खिलाफ शुरू की गई कार्रवाई को चार महीने के भीतर पूरा करने का भी निर्देश दिया।

अदालत ने इलेक्ट्रॉनिक, प्लास्टिक और मेडिकल कचरे की अवैध डंपिंग के साथ-साथ अन्य तरह के प्रदूषण के कारण शहर के विभिन्न इलाकों में बन रहे गंभीर हालात के संबंध में प्राप्त एक पत्र को 2020 में स्वत: संज्ञान जनहित याचिका मानकर सुनवाई की थी। एमसीडी को निर्देश पारित कर हाईकोर्ट ने इसका निपटारा कर दिया।

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