टाटीबंध परिक्षेत्र में मरीजों के परिजनों को अवैध गेस्ट हाउस ..!

एम्स, हजारों मरीज रोजाना पहुंचते हैं, मंदिर परिसरों बाग बगीचों में रात्रि पड़ाव
रायपुर। टाटीबंध परिक्षेत्र में एम्स स्थित है। जहां समूचे प्रदेश भर से लोग इलाज वास्ते आते हैं। भर्ती होने वाले मरीजों के साथ एक से अधिक परिजन अंदर नहीं ठहर सकते। नतीजन अन्य परिजन गेस्ट हाउस, मंदिर परिसर, बाग बगीचो, दुकानों के शेड के नीचे ठहर रहें हैं।
एम्स ओपीडी में रोजाना ढाई-तीन हजार मरीज जांच व इलाज के लिए औसतन आते हैं। कई बार यह आंकड़ा साढ़े तीन हजार पर कर जाता है। इनमें से कुछ मरीजों को भर्ती करना पड़ता है। जिनके साथ परिवार का कोई एक सदस्य अनिवार्यता रह सकता है। चूंकि गंभीर मरीज के साथ कई परिजन देखरेख (शिफ्ट वाइज) हेतु साथ आते हैं। लिहाजा शेष परिजनों को बाहर रहना पड़ता है।
ऐसे मौके का बेजा फायदा टाटीबंध के कुछ मकान मालिक उठा रहे हैं। खासकर ठीक सामने स्थित (सड़क किनारे के पहली पंक्ति- दूसरी, तीसरी पंक्ति गाली) वाले मकान मालिक। जिन्होंने एक-एक कमरा 500 से डेढ़ हजार रुपए किराए पर रोजाना के हिसाब से दे रखा है। यहां कई घरों में मोबाइल नंबर देते हुए मरीजों के परिजनों के लिए किराए पर उपलब्ध वाली सूचना चस्पा देखी-पढ़ी जा सकती है। तो कुछ ऐसे ही एम्स के बाहरी दीवारों या ठेले,खोमचें, खंभो पर जो मरीज पैसे वाले या उच्च मध्यम वर्गी है। उनके परिजन ठहर जाते हैं। या दूसरे राज्यों के मरीज परिजन। पर गरीब या निम्न मध्य वर्गीय परिजन सामने, आसपास स्थित मंदिर की परिसरों में रात गुजार (पड़ाव डाल) परिवार सुबह एम्स (दिन भर रहते हैं ) में पहुंच जाते हैं। बाग बगीचे में ठहरते हैं। दोनों स्थानों पर वे थोड़ा बहुत कुछ रुपए-पैसा दे देते हैं।
बहरहाल न तो उपरोक्त मकान मालिक पर (मकान) को गेस्ट हाउस बनाने-संचालित करने की सूचना नगर निगम को देते न ही पुलिस-प्रशासन को धड़ल्ले से धंधा कर रहे हैं। हालांकि उड़नदस्ता पुलिस सब देखती-समझती है। इसी तरह मंदिर परिसर के पुजारी, प्रबंधन, बाग बगीचों के कर्मी भी खबर नहीं देते। इन मजबूर परिजनों की शेष बची-खुची जेब भोजनालय, होटल, रेस्तरां वाले मनमाना दर वसूल कर काट रहें हैं। नाश्ता 25-40 रुपए प्लेट, चाय 7 से 10 रुपए। भोजन हाफ थाली 50-60,फूल थाली 120 से 130 रुपए। असीमित 200 से 250 रुपए। बच्चों के खिलौने, नवजातो के कपड़े बेचने, प्रसाधन सामग्री वाले फुटकर व्यापारी अलग लूट मचाए हैं। रही सही कसर ऑटो रिक्शा, एंबुलेंस वाले पूरा कर कमर तोड़ दे रहे हैं।