Thu. Jul 3rd, 2025

कई ट्रेने कैंसिल- होटल संचालकों बस, ऑपरेटर ऑटो चालकों की बल्ले बल्ले.. !

रायपुर। दक्षिण-मध्य पूर्व लाईन पर चलने वाली दर्जन भर से अधिक ट्रेनें कैंसिल हैं। कुछ अन्य दिशाओं में भी इसी तरह के हालात हैं। इतना ही नहीं विगत कुछ माह से दो-चार ट्रेनों का स्थगित या रद्द होना सामान्य बात हो गई है। खैर ! इस सबका लाभ निजी बस ऑपरेटर जमकर उठा रहें हैं।

ट्रेनों के कैंसिल होने से जरूरी कार्यवश बाहर जाने वाले यात्री या दूसरी जगहो से आए छत्तीसगढ़ पहुंचे यात्री वापस जाने भटकते हैं। ऐसे में छत्तीसगढ़ वासी तो निजी बस ऑपरेटर से आनन-फानन में सीट बुक करा गंतव्य के लिए निकल जाता है। जरूरी होने के कारण वह हजार-पांच सौ ज्यादा देकर बसों में सीट (बर्थ ) रिजर्व करा लेता है। या फिर जरूरी नहीं होने पर यात्रा स्थगित कर वापस घर चला जाता है। पर बाहर से आया यात्री और ज्यादा परेशान होता है। उसके आगे दो विकल्प होते हैं। पहला या तो यहां किसी होटल-गेस्ट हाउस में रुके। जिसका भारी अतिरिक्त खर्च वहन करें। फिर ट्रेन शुरू हो तब जाए। या फिर बस सेवा का उपयोग अधिक किराया देकर करें। चूंकि दूसरे विकल्प का खर्च पहले के अपेक्षाकृत से कम है इसलिए बस चुनता है।

रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग से क्रमशः महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, राजस्थान, बिहार आदि दर्जन पर राज्यों की राजधनियों, बड़े, मंझोले शहरों के लिए एसी बस सेवा (बर्थ सहित) उपलब्ध हैं।

बस ऑपरेटरों के एजेंट रेलवे स्टेशन में घूमते रहते हैं। दूसरा ऑटो वालो को प्रति यात्री कमीशन देकर भी बस ऑपरेटर यात्री जुगाड़ करते हैं। गौरतलब है कि ऑटो चालकों को बड़े होटल-रेस्तरां वाले ग्राहक लाते पर बंधा-हुआ कमीशन तुरंत काउंटर पर ग्राहक छोड़ते दे देते हैं।

खैर ! जो भी हो ट्रेन सेवा बाधित होने का ज्यादा फायदा बस आपरेटर उठाते हैं। यह स्थिति (मौका) सामान्य दिनों से तिगुना लाभ देती है। यही तिगुना-चौगुना लाभ होटल वाले उठाते हैं। जेब हर बार बुरे फंसे यात्री की कटती है। (सभी होटलों-रेस्तरां बस ऑपरेटरों के अपने चिन्हित चयनित दर्जन-डेढ़ दर्जन ऑटो वाले होते हैं। जो ग्राहक को बरगला कर, फुसलाकर अच्छी सेवा के नाम पर घेरे में लेते हैं।)

उधर कार टैक्सी वाले ट्रेन कैंसिल होने का फायदा उठा रहें हैं। वे स्टेशन पहुंच ऐसे 2-4 यात्री ढूंढते हैं। जो अकेले खर्च वहन नहीं कर पाते। तो उन्हें शेयरिंग टैक्सी सेवा के जाल में फांस कमाई करते हैं। धनाढ्य वर्ग देख अच्छा खासा भाड़ा, ए.सी. त्वरित अच्छी- सेवा के नाम पर हजारों का बिल थमा देते हैं।

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