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नाईट पार्टियों पर पुलिस प्रशासन कड़ाई से रोक लगाए

रायपुर। राजधानी के कुछ बड़े होटलों, रेस्तरांओ, क्लबों, फार्महाउसों में नाईट पार्टी का कल्चर (चलन) जोर पकड़ने लगा है। जहां कपल्स को ही प्रवेश दिया जाता है। आमतौर पर ऐसी पार्टी देर रात 10-11 बजे से अलसुबह 4-5 बजे तक चलती है। पुलिस प्रशासन को इसे रोकने ठोस उपाय करने होंगे।

देखने में आता है कि देर रात कई बार मुख्य मार्गों, चौराहों या होटलों,रेस्तरांओं, क्लबों फार्म हाउसों में छेड़छाड़ या अन्य वजहों से युवाओं के मध्य लड़ाई-झगड़े, खून-खराबे की स्थिति निर्मित होती है। एक्सीडेंटल घटनाएं होती रहती है। जिसकी प्रमुख वजह उपरोक्त स्थानों में देर रात 10-11 बजे तड़के 4-5 बजे तक चलने वाली कपल्स नाईट पार्टिया होती हैं। जिसमें जोड़ों को ही प्रवेश दिया जाता है। सूत्र बताते हैं कि जो जोड़े उपरोक्त स्थानों पर पार्टी करने जाते हैं। उनमें ज्यादातर (80%) पति-पत्नी नहीं बल्कि कथित गर्ल्स-बॉयफ्रेंड होते हैं। या कॉल गर्ल- ग्राहक के साथ जाती हैं। जहां पार्टी में कथित जोड़ा बदल जाता है। या फिर कुछ रईसजादे अपने जान-पहचान वाली ऐसी साधारण महिलाओं-युवतियों को साथ ले जाते हैं। जो एकल जीवन व्यतीत करते हैं। जिनमें अकेले रहने वाली युवा विधवाएं तक शामिल हैं। चूंकि ये कामकाज वास्ते शहर में किराए पर रहती हैं। या खुद के घर में अकेले (तलाकशुदा, विधवा या अविवाहित) रहती हैं। ऐसी महिलाओं को पैसे वाले युवक,पुरुष देर रात किसी चौक,चौराहों,सड़क पर बुलाकर नाईट क्लब पार्टी में कथित तौर पर पत्नी बना ले जाते हैं। ऐसे
पुरुषों, युवाओं का मकसद ऐन-केन प्रकरण कपल्स नाईट पार्टी में जहां शराब, मांस-मदिरा आम बात है। वहां प्रवेश करना पाना होता है। आयोजकों को वास्तविकता का पता करने (पति-पत्नी ) का कोई जरिया नहीं होता बस भरोसे से जाने देते हैं। शुल्क मिलना चाहिए। जिसके बाद वे अंदर मनचाहे कार्ल गलर्स के साथ या महिला के साथ रात बिताते हैं। सुबह होने के पूर्व कथित साथ गई महिला-युवती को उसके घर के आसपास छोड़ चले जाते हैं। जो मॉर्निंग वॉक या नाईट ड्यूटी का बहाना बता मोहल्ले-कॉलोनी स्थित अपने कमरे या घर में आसानी से चली जाती हैं।

पुलिस प्रशासन को ऐसे नाईट कार्यक्रम करने वाले तमाम स्थानों को चिन्हित कर एकाध माह के लिए सील करना चाहिए साथ ही जुर्माना भी भारी भरकम लगाना चाहिए। चूंकि ऐसे स्थानों पर प्रवेश शुल्क ही 5 से 10 हजार रुपए तक होता है। एक रात में लाखों का धंधा करते हैं। पकड़े जाने वालों को भी अंदर करके जुर्माना लेकर एवं जमानत में छोड़ना चाहिए। साथ ही मोहल्ले-कॉलोनी में ठीक वैसे ही जुलूस निकाले जैसे उठाई गिरी, मारपीट या अन्य छोटा-मोटा अपराध करने वालों के साथ पुलिस करती है। मध्य रात के तमाम उक्त कार्यक्रम, पार्टियां पुलिस-प्रशासन के लिए सिरदर्द एवं समस्याएं पैदा करते हैं। जिससे ही अपराध पनपता है।

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