शिक्षा के हित में रविवि मांग खारिज कर दे निर्णय अन्य राजकीय विश्वविद्यालयों, नैक दर्जा
खुद विद्यार्थीयों- शिक्षकों के भविष्य को प्रभावित करेगा
रायपुर। पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के विगत सत्र 2022-23 की वार्षिक परीक्षाओं में फेल हुए परीक्षार्थी पूरक की पात्रता मांग रहे हैं। उनका कहना है कि नतीजे खराब आए हैं अतः 2 विषय में फेल हुए परीक्षार्थियों को पूरक का पात्र घोषित कर एक वर्ष खराब होने से बचाया जाए।
गौरतलब है कि विगत माह के अंतिम हफ्ते के ठीक पहले यूजीसी की “नैक” टीम विश्वविद्यालय का दौरा कर गई है। जिसने तमाम चीजों का बारीकी से अध्ययन, परीक्षण कर उसे B डबल प्लस का दर्जा दिया है। जो पहले के A दर्जे से एक पायदान नीचे है।
उक्त दर्जे को लेकर नए कुलपति महोदय समीक्षा करवा रहे हैं कि कहां किस बात की कमी है उसे दूर किया जाए। पांच सदस्यों की समीक्षा टीम ने काम शुरू कर दिया है। यह अच्छा कार्य है। सराहनीय है।
रही बात इधर उपरोक्त मांग की। तो विश्वविद्यालय का हित चाहते हैं तो उक्त मांग सिरे से ही खारिज कर देनी चाहिए। विश्वविद्यालय परीक्षार्थियों एवं शिक्षकों से पूछे कि उन्होंने क्या अपना100 प्रतिशत अध्ययन-अध्यापन कार्य हेतु दिया था। यह जानते-समझते कि सत्र 2023- 24 में ऑफलाइन परीक्षा होगी। लिहाजा उस तरीके की तैयारी दोनों वर्गों ने क्यों नहीं की। जबकि विश्वविद्यालय ने परीक्षा पूर्व सचेत करते हुए मासिक एवं पूर्व वार्षिक टेस्ट परीक्षा लेने कहा था। यह भी पूछे कि कितने प्रतिशत विद्यार्थियों ने न्यूनतम 75 प्रतिशत उपस्थिति महाविद्यालय में दी। राज्य के वरिष्ठ एवं प्रसिद्ध शिक्षाविदों ने ततसंबंध में अपनी राय, प्रतिक्रिया, व्यक्त बेधड़क जारी-व्यक्त किया था। जिन्हें निकालवा कर पढ़ लिया जाए।
अगर विश्वविद्यालय दवाब में आकर या भावना में बहकर मांग पूरी कर देता है या “दीगर” वजहों से तो तय मानिए (जानिए) अगले यानी चालू सत्र 2023- 24 में भी परीक्षा नतीजे खराब रहेंगे। एक वर्ष बर्बाद भले हो पर पाठ्यक्रम का पुख्ता अध्ययन विद्यार्थी करें। तब उन्हें उपाधि (डिग्री) की पात्रता सही मायनों में रहेगी। हां जिम्मेदार शिक्षक हैं तो कार्रवाई सुनिश्चित बेधड़क की जाए। चाहे वेतन काटा जाए। वेतन वृद्धि रोका जाए। या फिर अध्यापन कार्य से रोका जाए। विश्वविद्यालय यह भी ध्यान रखें कि उसे अपना दर्ज पूर्ववत A या A प्लस लाना है। (अगले बार) यह भी ध्यान रखें कि उपरोक्त प्रकार की डिमांड राज्य के किन्हीं और राजकीय विश्वविद्यालयों से नहीं उठी हैं। जबकि वहां भी रिजल्ट खराब है। रविवि को (उक्त संदर्भ में निर्णय) प्रभावित करेगा। कृपया शिक्षा का स्तर न गिराएं ।