गठबंधन का नाम ‘INDIA’ रखने के खिलाफ दिल्ली HC में याचिका, केंद्र, ECI और विपक्षी दलों को नोटिस

NEW DELHI: इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (I.N.D.I.A) नाम के इस्तेमाल को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट से विपक्षी दलों को राहत मिली है। हाईकोर्ट ने आईएनडीआईए के उपनाम के तौर पर इंडिया का उपयोग करने पर तत्काल रोक लगाने से इनकार कर दिया है। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार, निर्वाचन आयोग समेत अन्य से नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। बता दें कि कार्यकर्ता गिरीश भारद्वाज ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की है। इस याचिका में विपक्षी दलों को गठबंधन के संक्षिप्त नाम आईएनडीआईए का इस्तेमाल करने से रोकने की मांग की गई है।
याचिकाकर्ता गिरीश भारद्वाज ने अधिवक्ता वैभव सिंह के माध्यम से कहा कि कई राजनीतिक दल हमारे राष्ट्रीय ध्वज को अपने गठबंधन के लोगों के रूप में उपयोग कर रहे हैं, जो कि निर्दोष नागरिकों की सहानुभूति और वोट हासिल करने और उन्हें बढ़ावा देने के लिए एक और रणनीतिक कदम है। यह चिंगारी जो राजनीतिक घृणा को जन्म दे सकती है जो अंततः राजनीतिक हिंसा को जन्म देगी।
इंडिया भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन का संक्षिप्त रूप है, जो अगले साल के चुनावों में भाजपा का मुकाबला करने के लिए 26 पार्टियों के नेताओं द्वारा घोषित एक विपक्षी मोर्चा है।
याचिका में आरोप लगाया गया कि राजनीतिक दल दुर्भावनापूर्ण इरादे से संक्षिप्त नाम इंडिया का उपयोग कर रहे हैं जो न केवल हमारे देश में बल्कि विभिन्न अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्मों पर भी हमारे महान राष्ट्र यानी भारत की सद्भावना को कम करने के लिए कारक के रूप में कार्य करेगा।
याचिका में कहा गया कि यदि भारत शब्द का उपयोग भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया द्वारा एक संक्षिप्त शब्द के रूप में किया जाएगा, लेकिन इसके पूर्ण रूप (भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन) में नहीं, तो इससे निर्दोष नागरिकों के बीच भ्रम की भावना पैदा होगी। गठबंधन यानी आई.एन.डी.आई.ए 2024 के आम चुनाव में हार जाता है तो इसे भारत के रूप में पेश किया जाएगा क्योंकि भारत देश पूरा हार गया है, जो देश के निर्दोष नागरिकों की भावनाओं को फिर से आहत करेगा जिससे राजनीतिक हिंसा हो सकती है।
याचिका में कहा गया कि इन राजनीतिक दलों के कृत्य से आगामी 2024 के आम चुनाव के दौरान शांतिपूर्ण, पारदर्शी और निष्पक्ष मतदान पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, जिससे नागरिकों को अनुचित हिंसा का सामना करना पड़ सकता है और देश की कानून व्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है।